
एक दिन अचानक-1 उस दिन जब हम बिग बाज़ार में थे तो अचानक मेरी पत्नी की नज़र एक सुंदर सी औरत पर पड़ी और उसने आवाज़ लगाई- रागिनी !सुन कर उस औरत ने पीछे मुड़ कर देखा और मेरी बीवी को देख कर जोर से चिल्लाई- हाय संगीता.. कितने दिनों के बाद मिली तू !दोनों सहेलियाँ एक दूसरे से बात करती रही और मैं रागिनी को देख रहा था.. मैं तो अपनी पलक झपकाना ही भूल गया था.. इतनी खूबसूरत.. क्या फिगर है.. ऐसा लगा जैसे सब कुछ एकदम सांचे में तराश कर लगाया हो ! उसकी नोकदार चूचियाँ.. पतली कमर और उभरे हुए नितम्ब.. उफ़ एक तो मैं वैसे ही बहुत सेक्सी हूँ और ऐसे फिगर वाली सुंदर औरतें मेरी कमजोरी है।उसने काले रंग का सलवार सूट पहना था, जिसमें से उसके बदन का हर कटाव एक दम साफ़ नज़र आ रहा था। उसके गोरे रंग पर काला ड्रेस मानो उसके बदन की रेखाओं को उजागर कर रहा था, उसकी गोलाई और उभार से मेरी नज़र हटने का नाम ही नहीं ले रही थी।तभी मेरी बीवी ने पलट कर मेरी तरफ़ देखा और कहा- यह रागिनी है मेरी कॉलेज की दोस्त !मैंने हेलो कहा, उसने मुस्कुरा कर जवाब दिया।अब मैंने उसने होंठो को देखा.. एकदम रस भरे गुलाबी होंठ. मानो कह रहे हो- आओ मेरा रस चूस लो !इस पहली मुलाकात में ही रागिनी ने मेरे लंड को मानो चोदने की दावत दे दी थी। यह सोच मुझे परेशान करने लगी कि इसे कैसे चोदा जाए ! एक तरफ़ मैं सोच रहा था कि ये मेरी बीवी की ख़ास सहेली है.. कहीं कुछ गड़बड़ न हो जाए इसे चोदने के चक्कर में।सच तो यह था कि मेरी बीवी भी काफी सेक्सी है लेकिन रागिनी उससे भी ज्यादा सेक्सी और सुंदर थी। उसे मेरे बिस्तर में ले कर नंगी करके चोदना ही मेरा सपना बन गया उस पहली मुलाकात के बाद।उस दिन तो दोनों ने मिलकर ही शौपिंग की लेकिन उसके बाद भी अक्सर दोनों साथ साथ ही घूमने जाती।रागिनी को नंगी करके चोदने का सपना सपना ही रहेगा, ऐसा मुझे लगने लगा था क्योंकि वो बहुत ही नपे तुले स्टाइल में बात करती थी, कभी कोई वाहियात बात या कोई गन्दा मजाक नहीं करती थी। उसकी बातों से पता चलता था कि वो अपने पति को भी बहुत प्यार करती है और उसके साथ खुश भी है।कभी कभी रात में अपनी बीवी को चोदते हुए मैं कल्पना करता था कि मेरी बांहों में रागिनी है और मैं उसे चोद रहा हूँ। रागिनी की बातों से लगता था कि वो थोड़ी पुराने ख्यालात की है और बहुत ही शर्मीली भारतीय गृहिणी है।उसके बाल बहुत लंबे थे जो मुझे ज्यादा पसंद हैं। शरीर मानो अजंता की कोई मूर्ति हो। उसकी चूचियाँ, उसके चूतड़ और उसकी गदराई जांघें जो उसकी सलवार से महसूस होती थी। उसका चेहरा अंडाकृति था, गोरा और भरा हुआ।सबसे बड़ी बात जो मुझे बाद में पता चली कि उसके दो बच्चे हैं। उसके शरीर की बनावट से वो 25 साल की युवती लगती थी जबकि उसकी उमर थी 35 साल। मुझे उसके पतली कमर के साथ डोलते हुए चूतड़ बहुत विचलित करते थे, मैं सोचता था कि उसे नंगी करने के बाद उसके गोरे गदराये चूतड़ कितने प्यारे लगेंगे.. उन्हें सहलानेमें और दबाने में कितना मजा आएगा !और कमर से ऊपर नज़र जाते ही.. उफ़ उसकी भरी हुई छातियाँ.. उसके स्तन एकदम कसे हुए थे.. दो बच्चों की माँ लेकिन स्तन जैसे बीस साल की कुंवारी लड़की के.. 36 साइज़ होगा उनका.. दोनों उसके ब्लाऊज़ या कुरते के अन्दर एक दूसरे से चिपके हुए रहते थे.. जिसके कारण उसके बीच की घाटी बहुत ही उत्तेजक दिखाई देती थी। सब कुछ मिला कर मेरे जैसे कामी पुरूष के लिए वो एक विस्फोटक औरत थी...ऐसे ही दिन गुजर रहे थे। अचानक मेरी बीवी के पिताजी की तबियत ख़राब होने का समाचार आया, उसने मेरे बेटे को साथ लिया और दूसरे दिन सुबह की बस से चली गई।इस बात को करीब एक हफ्ता हो गया। मैं घर में अकेला ही था। मेरे ऑफिस में भी मार्च के महीने के लिए बहुत काम था, मुझे छुट्टी भी नहीं मिली थी इसलिए सुबह जल्दी ही ऑफिस जाना पड़ता था।एक दिन सुबह प्रात: कालीन विधि व स्नान करने के बाद मैं काफी की चुस्की ले रहा था कि दरवाजे की घण्टी बजी। मैंने हाथ में लिया हुआ पेपर रखा, मैं सोच रहा था कि इतने सुबह कौन आ गया। दरवाजे पर जाकर पहले खिड़की से बाहर देखा.. वहां और कोई नहीं, मेरे सपनों की मलिका रागिनी खड़ी थी।मैंने दरवाजा खोला, मैं सोच रहा था कि इतनी सुबह वो मेरी बीवी से मिलने क्यों आई है जबकि उसे मालूम था कि मेरी बीवी पिछले हफ्ते अपने पिता के यहाँ गई हुई है और अभी वहीं रहेगी।मैंने दरवाजा खोला और कहा," गुड मोर्निंग रागिनी !"वो वहीं चुपचाप खड़ी रही.. मैंने कहा,"वहीं खड़ी रहोगी क्या? हेल्लो भी नहीं कहोगी?""हाय" उसने कहा।वो मुस्कुराई," संगीता कहाँ है? रागिनी ने पूछा।"तुम्हें संगीता ने पिछले हफ्ते फोन करके बताया था ना कि वो अपने पिता के यहाँ जा रही है, उसके पिताजी की तबियत ठीक नहीं थी। खैर तुम इतनी सुबह सुबह कैसे आई?" उससे बात करते हुए मेरी नज़रें उसकी उभरी हुई चूचियों पर बार बार जा रही थी और नीचे मेरे लंड में तनाव आ रहा था। वो मेरे शोर्ट में टेंट न बना ले इसलिए मैं एक हाथ से उसे दबाने की कोशिश में लगा था और हल्के से मसल भी रहा था।वो अन्दर आई, मैंने उसे सोफे पर बैठने को कहा। फ़िर अन्दर जाकर उसके लिए एक कप काफ़ी ले कर आया और उसे दिया। फ़िर उसके सामने बैठते हुए मैंने थोड़ी हिम्मत जुटाते हुए कहा,"इतनी सुबह सुबह भी तुम काफी खूबसूरत लग रही हो ! और मजाक में कहा,"शायद मुझे कुछ हो जाए तुम्हें देख कर !"रागिनी मेरे इस दुस्साहस पर कुछ बोली नहीं, इसलिए मुझे भी आश्चर्य हुआ। मेरी हिम्मत और बढ़ी, उसने काफ़ी ख़त्म की और कहा,"मै चलती हूँ।"मैंने कहा,"तो आप यहाँ सिर्फ़ अपनी सहेली से मिलने आई थी? वो नहीं है तो एक बुढ्ढे को अकेला छोड़ कर जा रही हो?""ओह, आप बुढ्ढे हो?" और वो मुस्कुराई।मैंने उसे मुस्कुराते देखा, उसकी यह मुस्कराहट कुछ अलग थी।"क्या यही मौका है.. जिसका मैं इंतज़ार कर रहा था.. क्या मेरा सपना सच होने वाला है?" मैंने सोचा।वो उठी और कमरे में घूम कर देखा. मैंने अब बाहर का दरवाजा बंद कर दिया। यह पहला मौका था कि हम दोनों एक बंद कमरे में अकेले थे। मैं सोफे पर उसके साथ बैठ गया। हम अपनी घर की बातें करने लगे। कुछ इधर उधर की बात करने के बाद बात मेरी बीवी के बारे में होने लगी। हमारी शादी को 15 साल हो चुके थे। मैंने बताया कि अब वो अपने बच्चे में ज्यादा ख्याल देती है, मेरी जरुरत को इनता महत्व नहीं देती और सेक्स के प्रति भी बहुत उदासीन हो चुकी है। अब हमारे बीच में कुछ नया नहीं है जिसके लिए हम ज्यादा परेशान हों या व्याकुल रहें।रागिनी ने कहा- फ़िर भी आप अपनी बीवी और बच्चे का बहुत ख्याल रखते हो और संगीता भी खुश है।मैं उसकी इस बात पर खुश हुआ और उसे धन्यवाद दिया। फ़िर मैंने उससे पूछा,"रागिनी अब तुम अपने परिवार के बारे में बताओ, तुम्हारे पति भी तुम लोगों का बहुत ख्याल रखते हैं, तुम्हें खुश रखते हैं ! है ना?" मैंने कहा।मैंने रागिनी के चेहरे पर उदासी देखी। एक गहरी साँस लेकर उसने कहा- सभी यही सोचते हैं कि हम लोग खुश हैं।"रागिनी क्या बात है? तुम दुःखी लग रही हो, तुम्हारे चेहरे से लग रहा है कि तुम खुश नहीं हो?" "नहीं.. नहीं.. ऐसी बात नहीं है.. सब कुछ ठीक ही है।" उसने कहा।"नहीं रागिनी.. तुम कुछ छुपा रही हो ! क्या तुम मुझे बताना नहीं चाहोगी?""मेरी समस्या यह है कि मेरी बीवी अब मुझमें रुचि नहीं लेती। तुम समझ रही हो न कि मैं क्या कहना चाहता हूँ? उसे मेरी फिकर करनी चाहिए लेकिन फ़िर भी हम दोनों के बीच कोई तनाव नहीं है, हालाँकि हमारे बीच प्यार और सेक्स वाली बात अब इतनी ज्यादा नहीं है, मैं उससे दूर जाना चाहता हूँ, लेकिन जा नहीं पाता। मुझे लगता है कि शायद वो फ़िर से मुझे समझ ले !" रागिनी मेरी बात बहुत ध्यान से सुन रही थी, उसने कहा- मैं सब समझ रही हूँ !कुछ देर में हमारी बातें बहुत गंभीर होने लगी, भावुकता आने लगी बातचीत में ! मैं थोड़ा भावुक होने लगा। तब रागिनी ने अपना हाथ मेरे हाथ पर रखा और मुझे समझाने की कोशिश करने लगी। उसके हाथ का स्पर्श पाते ही मेरे शरीर में गर्मी सी आने लगी और मेरा लंड खड़ा होने लगा।अब मैंने उसका हाथ कस कर पकड़ लिया और कहा,"रागिनी, मैं यह कहना नहीं चाहता था लेकिन अब बिना कहे रहा नहीं जाता, जिस दिन पहली बार मैंने तुम्हें देखा था, उसी दिन से मैं तुम्हें पाना चाहता हूँ, और यही सच है !"यह सुनते ही उसने मेरी तरफ़ देखा उसकी नज़रों में थोड़ा आश्चर्य था, उसने कहा," तुम बहुत बदमाश हो ! अच्छा हुआ कि यहाँ तुम्हारी बीवी नहीं है और उसने यह सुना नही ! अगर वो यह सुन लेती तो मुझसे बात करना बंद कर देती और मुझे ग़लत समझती !""क्या तुम उसे यह बताने वाली हो?" मैंने उससे मजाक में पूछा।"मैं नहीं कहूँगी लेकिन......" उसने अपना वाक्य पूरा नहीं किया।"रागिनी क्या मैं तुमसे कुछ रिक्वेस्ट कर सकता हूँ? तुम उसे मानोगी?""यह तो आपके रिक्वेस्ट पर निर्भर करता है !""अगर मैं तुमसे कुछ मांगू तो?" "क्या?" "क्या तुम मुझे एक चुम्बन दोगी? अगर मैं मांगू तो?""यह आप क्या कह रहे हैं? मैंने आपके लिए ऐसा कभी सोचा भी नहीं !" उसने गुस्से से नहीं लेकिन बहुत धीमे से और मेरी बात पर चौंकते हुए कहा।"प्लीज़ रागिनी सिर्फ़ एक.. तुम्हारे इन रस भरे होंठो का एक चुम्बन ही तो मांग रहा हूँ मैं ! समझो मैं भीख मांग रहा हूँ।""भीख मांगने से कोई फायदा नहीं है, मैं इसके लिए आपको मना करने वाली नही !" और वो मुस्कुरा दी।उसके सफ़ेद दांत उसके सुंदर चेहरे पर और चार चाँद लगते हुए दिखे," ठीक है ! लेकिन सिर्फ़ एक ही दूंगी.. और इस बात का पता न तो आपकी बीवी को और ना मेरे पति को चले !आप वादा करो कि किसी से यह बात नहीं कहोगे !" उसने कहा।मेरी हिम्मत बढ़ी मैं उठा और उसके बाजू में जा कर बैठ गया, उसके एकदम करीब। मैंने देखा मेरी इस हरकत से वो थोड़ी सी सिमट गई। मैंने उसकी तरफ़ देखा, उसने नज़रें झुका ली और अपने दोनों हाथ मसलने लगी।मैंने अपना चेहरा बढ़ाया और उसके गालों पर से बालों को एक ऊँगली से हटाया, वो सिहर उठी।मैंने तभी अपने होंठ उसके फूले हुए गालों पर रख दिए और "पुच्च" से एक चुम्बन लिया।वो कसमसाई और तिरछी नज़र से सिर्फ़ मेरी तरफ़ देखा उसने किसी प्रकार का विरोध या सहमति नहीं दिखाई। मैं जब उसके और करीब खिसका तो उसने कहा,"बस !"मैंने कहा- यह चुम्बन नहीं था, यह तो सिर्फ़ तुम्हें छू कर देखा मैंने होंठों से !अब मैंने उसके कंधे पर हाथ रखा, मैं उसके दाहिने तरफ़ बैठा था, मैंने उसे अपनी तरफ़ खींचा। वो शायद इसके लिए तैयार नहीं थी, वो मेरी गोद में गिरने लगी। मैंने उसके दोनों हाथ पकड़ लिए। अब वो मुझे आगे बढ़ने से रोकने का हल्का प्रयास कर रही थी।मैंने कहा- तुम्हें तो मालूम है कि असली चुम्बन कैसे और कहाँ लिया जाता है.. और तुम ख़ुद यह करने के लिए तैयार हुई हो.. कहते हुए मैं उसकी बांहों को अपनी ऊँगली से हल्के हल्के नीचे से ऊपर और ऊपर से नीचे सहलाने लगा। उसके कंधे पर दबाव बढ़ाते हुए फ़िर से उसके गालों पर कान के ठीक पास में चूमा और जीभ से उसके कान को सहलाया.. उसकी सांसे बिखरने लगी, वो मेरी तरफ़ शरमाई नज़र से देख रही थी.. उसके मुँह से एक भी शब्द नहीं निकला। अब मैंने उसके चेहरे की तरफ़ अपना चेहरा किया और उसके थरथराते लाल रसीले लरज़ते होंठो पर अपने होंठ रख दिए। मैंने बहुत हल्के से उसके होंठों पर "चु..ऊ..क.," करके चुम्बन कर दिया।मैं उसकी बांहों को सहला रहा था.. और उन्हें सहलाते हुए मैंने उसका आँचल धीरे से कंधे से हटा दिया। उसके दोनों हाथ मैंने पकड़ रखे थे इसलिए वो अपना आँचल संवार नहीं पाई और मेरे सामने उसके पीन पयोधर आमंत्रण देते हुए महसूस हुए ! वैसे मैं उसकी बांहों की सहलाते हुए उसकी चूचियों को बाजू से स्पर्श कर रहा था. मैंने उसके गालों को हल्के हल्के "पुच्च.. पुच्च.. " करते हुए चूमना जारी रखा था... फ़िर मैंने अपने होंठ उसके कानों की तरफ़ बढाये.. और उसके कान में फ़ुसफुसाकर कहा.. "रागिनी तुम बहुत खूबसूरत हो, तुम्हें पाने के लिए मैं बहुत बेताब हूँ !"कहते हुए उसके कान के लैब अपने होंठो में लिए .. उसके मुँह से सी.आह्ह..की आवाज़ निकली। मैं उसकी गर्दन और कंधे मसल रहा था। वो थोड़ा सा कसमसाई।अब मैंने उसकी साड़ी को उसके वक्ष से पूरी तरह हटा दिया। वो हल्का विरोध कर रही थी.. "नहीं..संजय.. प्लीज़ ऐसा मत करो.. किसी को पता चल गया तो !"मैंने उसकी बात नहीं सुनी.. मैंने अपना हाथ उसकी बांई चूची पर ब्लाउज के ऊपर से रख दिया और गोलाई को सहलाया.. उसने मेरे हाथ पर अपना हाथ रखा और दबा लिया.. मैंने पंजे में चूची पकड़ी और हल्के से दबाया तो उसके मुँह से आ...आ..आह.. निकल पड़ी...मेरे हाथ को पकड़ते हुए उसने कहा,"बस संजय.. इसके आगे नहीं.. ! इसके आगे जाने से हम दोनों बदनाम हो सकते हैं...!"मैंने उसकी बात नहीं सुनी.. मेरे हाथ तो उसके ब्लाउज के बटन खोल रहे थे। उसका हाथ मेरे हाथ पर था। लेकिन कोई हरकत नहीं थी.. ब्लाउज के दोनों पल्ले खोल कर मैंने देखा अन्दर काले रंग की ब्रा है, मैंने जल्दी से उसके स्तनों पर मेरे होंठ रखे और उसके उरोजों की गर्मी महसूस की... आह्ह.. उसके गोरे बदन पर मस्तानी चूचियों पर काले रंग का ब्रा.. मैंने जल्दी से ब्रा को बिना खोले ऊपर की तरफ़ उठा दिया, वो सोफे पर पीछे झुक गई जिससे उसके फूले हुए गदराये स्तन और उभर आए थे। मैंने उसकी चूची पर चूमा और उसके मुँह सेसी. .सी.. स्..स्.. स्. आह.. ऐसी कराहें निकलने लगी.. उसकी लाजवाब चूचियां मेरे सामने थी जिनके मैं सपने देखा करता था.. मैंने उसके गालों पर फ़िर से चूमते हुए उसके कान में कहा,"रागिनी मैं तुम्हें प्यार करता हूँ.. मुझे आज मत रोकना प्लीज़ !"उसने कुछ कहा नहीं.. वो सोफे पर और पीछे झुक गई.. उसने अपने स्तन और ऊपर कर दिए.. उसके स्तन अभी भी सख्त थे.. किसी रबर की गेंद की तरह. उसके स्तन का साइज़ 36 डी होगा, यह मैंने उन्हें हाथ में ले कर जाना..अब मैंने पीछे हाथ ले जाकर उसके ब्रा का हुक खोल दिया और ब्रा के खुलते ही उसने अपने दोनों हाथों से अपने स्तनों को ढकना चाहा लेकिन मैंने उसके हाथ पकड़ लिए। मैं उसके नायाब खजाने को देखना चाह रहा था.. उसका गोरा बदन.. एकदम चिकना.. हाथ रखते ही हाथ फिसल जाता.. इतना चिकना बदन किसी का हो सकता है .. यह सोच कर ही मेरी मस्ती सातवें आसमान पर पहुँचने लगी.. ये नरम गदराया जिस्म मेरे सामने है .. इसकी चूत कितनी नरम होगी.. कितनी मजेदार नज़ारा होगा.. उफ़.. ये ख्याल इंच दर इंच मेरे लंड की लम्बाई और मोटाई को और बढ़ा रहे थे।मैंने कहा,"रागिनी, मुझे इन्हें जी भर के देखने और प्यार करने दो..कहते हुए मैंने उसके गुलाबी चुचूक को हाथ लगाया, मसला.. वो अब कड़क होने लगे थे.. उसके मुँह से आउच.. की आवाज़ निकली..मैंने उसे अपनी तरफ़ खींचा.. वो सीधे मेरे कंधे पर सर टिका कर मेरे गालों को चूमने लगी... मेरे हाथ की उँगलियाँ उसकी चूचियों पर भ्रमण कर रही थी. .. उसकी साँस बहुत तेज़ हो रही थी.. उसकी साड़ी का आँचल अब ज़मीन पर पड़ा था।"संजय अभी अगर कोई आ जाए और हमें इस तरह देख ले तो? क्या होगा ? बोलो ! "फिकर मत करो इतनी सुबह कोई नहीं आयेगा ! और फ़िर मैंने बाहर का दरवाज़ा अच्छे से बंद कर दिया है इसलिए अगर कोई आयेगा तो उसे वैसे ही दरवाजे से वापस जाना होगा।" कहते हुए अब मैंने उसे अपनी बांहों में भर लिया और उसके होंठों पर एक लंबा चुम्बन लिया.. उसने भी अब मेरा साथ दिया.. उसकी साँस फूलने से उसने मुझे धकेला और बहुत ही सेक्सी नज़र से देखा.. आह क्या दिख रही थी वो.. गोल गोल गोरे गोरे उरोज.. एकदम तने हुए और गुलाबी चुचूक...मैंने अपनी बनियान निकाल दी। मेरे बालों से भरे सीने में उसके गुलाबी स्तनाग्र रगड़ने खाने लगे...उसने मेरी तरफ़ देखा और कहा,"तुम बहुत बदमाश हो ! एक दम गंदे !" और फ़िर मेरे सीने से लग गई.. वो अपनी चूचियों को मेरे नज़रों से छुपाने की कोशिश कर रही थी, मैंने उसे थोड़ा परे किया और अब मैंने अपना चेहरा उसकी चूचियों पर रखा और उसके निपल मुँह में लिया. दुसरे को उँगलियों से मसल रहा था.. उसने मेरा सर जोर से अपनी छाती पर दबाया.. और "आह्ह..बस..उफ़.. संजय.." करने लगी.. लेकिन मुझे तो नशा हो रहा था.. उसके मदमस्त स्तन.. चूसने में मुझे किसी शहद या मिठाई से ज्यादा मीठापन महसूस हो रहा था.. मैं अब जोर से चूसने लगा.. मैंने हल्के से उसके बाएँ निपल में काट लिया ..ऊईई...उफ्फ्फ्फ़...बस संजय.. रुक जाओ.. अब और नहीं.." कहते हुए वो उठने लगी मैंने उसके कान में फुसफुसाते हुए कहा,"नहीं रागिनी मुझे मत रोको प्लीज़.. मुझे आज मेरे सपनो की रानी को जी भर कर प्यार करने दो !"और मैं फ़िर से उसके निपल मुँह में लेकर एक एक कर चूसने लगा।"आआआआआह्ह्ह..हाँ..संजय.. जोर से... उफ़. बहुत अच्छा लग रहा है.." कहते हुए मेरे सर को अपने सीने पर दबाने लगी।मैंने अब उसकी साड़ी को निकालना शुरू किया.. वो उठने लगी..मैंने साड़ी निकाल कर फेंक दी.. अब वो सिर्फ़ पेटीकोट में थी... कमर पर थोड़ा गदरायापन था. उसकी नाभि बहुत गहरी थी. मैंने उसकी नाभि पर हाथ फेरा... वो मचल उठी.. मैंने फ़िर से उसके गालों को चूमा.. फ़िर उसके कान पर गीली जीभ फेरी.. वो उछल पड़ी.. मैं चाहता था कि उसके उछलने से उसकी चूचियाँ भी उछलें .. लेकिन नही.. वो तो जैसे उसके सीने पर चिपकी हुई थी.. जैसे किसी मूर्ति के स्तन हो ! एकदम सख्त.. !दोस्तों आप सोच सकते हो मेरी क्या हालत हो रही थी उसके इस रूप को देख कर... उसके निपल मानो स्ट्राबेरी हों इस तरह गुलाबी से लाल हो रहे थे... मेरे चूसने से और कड़क हो गए थे.. मैंने उसके एक स्तन को पंजे से पकड़ा और ज्यादा से ज्यादा मुँह के अन्दर लेकर चूसने लगा... आह..आह.. ओह्ह.. संजय.. उफ़.. तुम बहुत बदमाश हो.. आह.. उफ़.. मुझे क्या हो रहा..इश..इश्ह.. कहते हुए वो अपनी दोनों जांघों को रगड़ने लगी.. संजय.. क्या कर रहे हो.. आ..आह्ह..बस.. हाँ दबाओ.. चूसो.. और उसने एक हाथ से अपनी चूची पकड़ी और मेरे मुँह में डालने लगी.... उसके पैर उसी तरह हिल रहे थे.. वो अपने चूतड़ ऊपर कर रही थी.. और अचानक उसने मुझे जोर से भींच लिया.. और आह्ह..आह्ह.. आह... करते हुए अपने पैरों को पूरा लंबा कर दिया..मैं समझ गया कि वो झड़ गई है.. अब उसको मैंने फ़िर से होंठो से चूमना शुरू किया.. और चूमते हुए मैंने उसके हाथों को ऊपर उठाया और अपना मुँह उसकी बगल में घुसाया.. ओह्ह.. उसके बगल की वो मादक खुशबू.. पसीने और पाऊडर की मिली-जुली खुशबू.. मैंने उसे सूंघा और फ़िर जीभ फेरते हुए चाटने लगा।उसे गुदगुदी होने लगी.. मैंने दोनों बगलों को करीब दस मिनट तक चाटा.. वो मचलती रही.. फ़िर मैं दुबारा उसके स्तनों पर आ गया.. इस बार मैं पूरे स्तन को हथेली में लेता और निपल समेत जितना मुँह में ले सकता, उतना मुँह में लेता और चूसता.. दोनों चूचियाँ अब लाल हो चुकी थी, दबाने से नीले निशान दिख रहे थे.. मैंने जहाँ जहाँ दांत लगाये, वहां पर दांतों के निशान भी पड़ गए थे... रागिनी सिर्फ़ आह.. ओह्ह.. कर रही थी.. मैं उसकी पतली कमर को सहलाता.. पेट पर हाथ फेरता.. अब मैं नीचे पेट की तरफ़ आया.. जैसे ही गोरे पेट पर चूमा.. वो थोड़ी उछल पड़ी.. मैंने अपने दोनों हाथ उसके चूतड़ के नीचे डाल दिए। उसके चूतड़ किसी कुंवारी लड़की जैसे सख्त थे.. लेकिन उस सख्ती में एक मुलामियत का अहसास था... मैंने उन्हें दबाते हुए मेरी जीभ उसकी नाभि पर गोलाई में घुमाना शुरू किया.. अब वो फ़िर से बेचैन होने लगी थी.. ओह्ह संजय.. बहुत बदमाश हो तुम.. उफ़ नहीं.. बस.. मैं.. मर जाउंगी.इ.इ.इ.इ." और वो थोड़ा उठ कर बैठ गई..मैंने जल्दी से उसके होंठो पर अपने होंठ रख दिए और चूमने लगा.. अब वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी... मैंने अपनी जीभ उसके मुँह के अन्दर डाल दी.. फ़िर उसकी जीभ मुँह में लेकर चूसने लगा.. मुझे मालूम था कि अब रागिनी भी गरम हो चुकी है फ़िर से.. मैंने उसके चेहरे को दोनों हाथों से पकड़ा.. उसकी चूचियों को देखते हुए मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर चिपका दिए.. और जोरों से चूसने लगा.. उसके मुँह से उम् ऽऽ उम् आह की आवाज़ निकलने लगी.. मेरे हाथ स्तनों पर थे.. मैंने मेरे होंठ फ़िर से उसके निपल पर रखे ..उसका हाथ मेरे बालों में घूम रहा था.. इस पोज़ में मुझे थोड़ी दिक्कत हो रही थी. मैंने उसे सोफे के किनारे पर पैर लटका कर बिठाया और मैं नीचे ज़मीन पर घुटनों के बल बैठ गया.. इस तरह बैठने से उसकी चूंचिया ठीक मेरे होंठो के सामने आ गई। मैंने दोनों चूचियों को अपनी हथेलियों में भर लिया और उसके निपल मुँह में लिए.. कभी कभी मैं उसकी कमर को भी सहला देता था.. मैंने नीचे सर झुकाया तो मैंने देखा उसका पेटीकोट सामने से गीला हो रहा है.. मैं अपना मुँह नीचे की तरफ़ लाया उसके पेट पर से होते हुए उसके दोनों जांघों के बीच में मैंने सर रखा और नाभि का चुम्बन लेते हुए उसकी जांघों को हाथों से फैलाया.. पेटीकोट का कपड़ा पूरा फ़ैल गया।मेरे होंठ उसकी जांघों पर पहुंचे पेटीकोट के ऊपर से ही.. पैर फैला देने से मुझे उसकी उभरी हुई चूत का आभास मिल रहा था. मैंने बहुत हलके से उस उभार पर होंठ रखे और "पुच्च..पुच्च." किया.. वो सिहर उठी.. अपनी जांघ सिकोड़ने लगी।अब मैंने उसका पेटीकोट निकलने का निश्चय किया और उसकी डोरी पर हाथ रखा। उसने मेरा हाथ पकड़ लिया,"नहीं संजय.. ये मत करो.. प्लीज़, अपनी बीवी और मेरे पति के बारे में सोचो.. यह ग़लत है.. हम उनसे दगाबाजी कर रहे हैं .. रुक जाओ संजय !"उसने मुझे रोकने का एक असफल प्रयत्न किया और उठ कर खड़ी होने लगी।"रागिनी, अब बहुत देर हो चुकी है.. तुम भी जानती हो कि अब हम दोनों के लिए रुकना नामुमकिन है.. अब इस मौके का फायदा उठाओ और मजा लो.. इसी में दोनों की भलाई है !" कहते हुए मैंने उसे पकड़ा और उसके पेटीकोट का नाडा खींच दिया.. पेटीकोट नीचे खिसका.. शेष कहानी अगले भाग में ! एक दिन अचानक-2 प्रथम भाग से आगे : "रागिनी, अब बहुत देर हो चुकी है.. तुम भी जानती हो कि अब हम दोनों के लिए रुकना नामुमकिन है.. अब इस मौके का फायदा उठाओ और मजा लो.. इसी में दोनों की भलाई है !" कहते हुए मैंने उसे पकड़ा और उसके पेटीकोट का नाडा खींच दिया.. पेटीकोट नीचे खिसका.. अब उसने अपनी गांड उठाते हुए पेटीकोट को चूतड़ से निकाल दिया.. उफ्फ्फ्फ्फ़.. उसके वो भरे-गदराये चूतड़.. पतली कमर पर टिके हुए वो गोल गोल गोरे चूतड़.. मैंने उन पर हाथ फेरते हुए पेटीकोट को नीचे किया.. और... रागिनी ने पैंटी नहीं पहनी थी.. मैं तो जैसे पलक झपकाना भूल गया..और मेरी तो आँखे फटी रह गई.. क्या चूत थी.. दो केले के खंभे जैसी जांघों के बीच में गोरी चूत.. एक भी बाल नही.. मुझे मेरी आँखों पर विश्वास नहीं हो रहा था कि यह किसी 35 साल की औरत की चूत है.. उभरी हुई.. और चूत की सिर्फ़ दरार दिखा रही थी.. मेरी बीवी की चूत तो काली होने लगी थी चुदवा चुदवा कर.. लेकिन यह तो जैसे किसी २० साल की लड़की की कुंवारी चूत मेरे सामने थी.. मैंने जैसा सोचा था उससे कहीं ज्यादा सेक्सी चूत थी.. जैसे ही मेरी नज़र उसकी चूत को घूरने लगी.. उसने शरमाते हुए सर झुकाया और अपनी चूत को हाथों से ढक लिया। उसकी गुलाबी चूत मुझ से कुछ इंच दूर थी, मैंने धीरे से उसके हाथ हटाये और चूत पर मेरे होंठ रख दिए.. उसके बदन की थरथराहट मैंने महसूस किया... उसके मुँह से.. ओह्ह.. निकला... उसकी चूत से पानी बाहर बह रहा था.. और जैसे ही मैंने उसके पैरों को फैला कर मेरी जीभ चूत की गुलाबी फांक के अन्दर डाली।"आह..ह.ह.ह.ह.हह... सं.ज.ज..ज...य...य..य.य.य... म..त. क..रो...ओह..हह.ह.ह.ह.. मै..म..र..जाऊं..गी..ई..ई..." मैं उसकी चूत को फैलाकर मुँह से फूँक मार रहा था.. जीभ से उसका रस चूस रहा था.. और वो,"हे भगवान्... ये क्या.. हो..रहा.. मुझे... ऐसा पहले..कभी नहीं हुआ.." वो मेरे चेहरे को और ज्यादा अपनी चूत के ऊपर दबा रही थी.."संजय.. मत त..ड़..पा..ओ.... आह.. उफ़.. स्.स्.स्.स् .स्.स्.स्.स्..."इधर मेरा लंड मानो मेरा बरमूडा फाड़ कर बाहर निकल आयेगा इस तरह उछल रहा था.. मैंने खड़े हो कर अपना बरमोडा खोल कर उसे नीचे किया अन्दर मैंने अंडरवियर नहीं पहना था. इसलिए मेरा लंड उछल कर एकदम से बाहर निकाल आया और सीधा रागिनी के मुँह के सामने डोलने लगा।रागिनी को इस रूप में देख कर मेरा लंड फटा जा रहा था.. उसकी फूली हुई, रस भरी चूत और उसके नितम्ब की मांसलता से मैं बेकाबू हो रहा था... मेरे लंड को इस तरह बाहर आते देख कर अचानक रागिनी के मुँह से निकल गया,"बाप रे ! कितना लंबा और कितना मोटा है तुम्हारा.. मुझे संगीता ने कभी नहीं कहा कि वो इतना मजा लेती है !"उसके चेहरे पर आश्चर्य झलक रहा था।मैंने कहा "रानी.. आज तुम भी इसका मजा लो !"उसने जल्दी से मेरे लंड को अपने दोनों हाथों से पकड़ा और वो उसके सुपारे से घूँघट खोल कर उसे ऊपर नीचे करने लगी। सुपारा भी बहुत फूल गया था और उसके मुँह से लार टपक रही थी। रागिनी मेरे लंड को बहुत आहिस्ता आहिस्ता सहला रही थी.. उसने मेरी तरफ़ ऊपर देखा और मुस्कुराते हुए उसने सुपारे पर चूम लिया और जीभ निकाल कर सुपारे का स्वाद लेते हुए अपना मुँह खोल कर उसे मुँह के अन्दर लेने का प्रयास करने लगी... लेकिन यह उसके बस की बात नहीं थी.. फ़िर भी किसी तरह उसने पूरे सुपारे को अपने थूक से गीला कर दिया था... फ़िर किसी तरह उसने सुपारा मुँह के अन्दर ले लिया और अन्दर बाहर करने लगी.. मैंने उसका सर पकड़ कर धक्के लगाने शुरू किए.. मेरे लंड में अब तनाव बहुत ज्यादा बढ़ गया था. .. मैं अपना लावा उसके मुँह के अन्दर ही निकाल दूंगा, ऐसा महसूस हुआ.. लेकिन मैं ऐसा नहीं करना चाहता था.. मैं मेरे लंड को उसकी चूत के अन्दर डाल कर उसकी जबरदस्त चुदाई करना चाहता था.. अपना सपना आज सच करना था मुझे. मैंने उसके मुँह से लंड बाहर निकालते हुए कहा,"रागिनी.. रुक जाओ... और लंड बाहर निकालते ही मैंने उसके होंठो को चूम लिया.. उसने मुझे अपनी बांहों में ले लिया.. वो मेरे कान के पास फुसफुसाई,"संजय.. मुझे बेड पर ले चलो.. जहाँ तुम संगीता को ऐसे नंगी कर के प्यार करते हो !"मैंने उसे बांहों में उठा लिया.. उसका वज़न 50 किलो से ज्यादा ही होगा.. फ़िर भी मैंने उसे गोद में उठाया और बेड पर ले जाकर पटक दिया। बेड पर उसने अपने पैर फैला दिए.. मैंने उसे खींच कर बेड के किनारे पर लिया... उसके पैर नीचे लटक रहे थे.. उसके नितम्ब के नीचे एक तकिया रखा उसकी उभरी हुई चूत और ऊपर हो गई..मैं झुका और मैंने उसकी गुलाबी चूत पर फ़िर से अपने होंठ रख दिए.. इतनी प्यारी चूत मैंने आज तक नहीं देखी थी। मैंने अब तक 8-10 कुंवारी चूतों की सील भी तोड़ी है और शादीशुदा की तो गिनती ही मुझे याद नहीं.. लेकिन रागिनी की चूत सबसे अलग थी.. दो बच्चों की माँ की चूत इतनी प्यारी.. मुझे पूरा विश्वास था कि इसकी चूत चोदने में किसी कुंवारी चूत से कम मजा नहीं आएगा... मैंने उसके पैर फैलाये और नीचे अपने पंजों पर बैठ कर उसके जांघ मेरे कंधे पर रखते हुए अपनी जीभ फ़िर से उसकी रसीली चूत में लगा दी.. स्लर.र.र.प.प.प. . स्लर.र.र.प.प.प की आवाज़ करते हुए मैं उसके बहते हुए नमकीन पानी को चूसते हुए मेरी जीभ की नोंक उसकी चूत में गोल गोल फिरते हुए मथने लगा।रागिनी अब बहुत गरम हो रही थी.. अपनी चूत को मेरी जीभ से एकदम चिपका रही थी.. तीन-चार मिनट बाद वो चिल्लाई.. ओह्ह.ह.ह.ह. सं.ज ज ज य य य य ...ओह्ह..माँ.. तुम सच में बहुत सेक्सी हो.. संगीता.. किस्मत वाली है.. आह्ह.. अब.. डाल दो...ओ.ओ. . और मुझे अपने ऊपर खींचने लगी..मैंने पूछा- क्या डाल दूँ..?उसने कहा," मत सताओ.. मैं जल रही हूँ.. तुम्हारा ये डाल दो मेरी वाली में.."मैं अब उसे तड़पाना चाहता था.. मैंने कहा,"किसमें क्या डालना है? उसका नाम बोलो ना?"उसने कहा," मुझे शर्म आती है.. मेरे मुँह से गन्दी बात मत कहलवाओ !"मैंने कहा,"यह गन्दी बात है? तुम जब तक नहीं कहोगी मैं कुछ नहीं करूँगा.. और मैं ऊँगली से उसकी चूत के उभरे दाने को दबाते हुए रगड़ने लगा.. चूत फड़कने लगी थी.. मैंने ऊँगली अन्दर डाली और उसकी चूत के अन्दर का ज़ी-स्पॉट को ढूंढ कर उसे कुरेदा.. रागिनी अब रुक नहीं सकती थी..उसने चीखते हुए कहा..सं..ज.ज.ज.य.य.य... मुझे मा..र..डा.लो..गे..क्या..आ..आ. मैं भी उसके ऊपर लेट गया .. ऐसे करीब दस मिनट हम एक दूसरे से चिपके रहे.. मेरा लंड अभी भी उसकी चूत में था..हम दोनों एक दूसरे से लिपटे हुए गहरी साँस लेते हुए लेटे हुए थे। उसका नरम और गदराया बदन मेरी बांहों में था। मैं उसे हल्के-हल्के चूम भी रहा था। उसके सख्त उरोज मेरे सीने में दबे हुए थे। मेरी बीवी को इस तरह सीने से लगाने पर उसकी चूचियां मेरे सीने में दब कर चपटी हो जाती है.. लेकिन रागिनी के खड़े स्तनाग्र मानो मेरा सीना भेद कर छेद कर देंगे। ऐसा महसूस हो रहा था कि दो गरम नरम कबूतर मेरे और उसके सीने के बीच में दबे हुए है.. ये सब मिल कर मेरे लंड को पूरा ढीला होने से रोक रहे थे.. वो आधा सख्त रागिनी की चूत में फ़िर से चुदाई के लिए तैयार हो रहा था।मैंने अपना लंड बाहर निकाला.. उस पर मेरा और उसका दोनों का रस लगा हुआ था और उसकी चूत से भी मेरा क्रीम बहते हुए उसकी गांड की तरफ़ बह रहा था।उसकी चूत एकदम लाल हो चुकी थी.. और मुँह भी खुल गया था... चूत थोड़ी फूल भी गई थी। मैं उसके वक्ष को अब हल्के से सहला रहा था.. थोड़ा उठ कर उसके रसीले होंठों को फ़िर से चूमा," रागिनी कैसा रहा यह अनुभव ?" "बुरा नहीं था !" उसने मुस्कुराते हुए कहा "लेकिन तुम्हारे इस मोटे और लंबे लंड ने मुझे आज पहली बार चुदाई का मजा क्या है, यह दिखा दिया।" कहकर उसने मेरे लंड पर हाथ रखा और उसे दबाया। "रागिनी क्या पहली बार तुमने अपने पति के सिवा किसी दूसरे का लंड लिया?""हाँ.. मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मैं ऐसा कभी करुँगी... मैं सच कह रही हूँ।""लेकिन अच्छा लगा ना?""हाँ, बहुत अच्छा.. मुझे तो अभी तक विश्वास ही नहीं हो रहा है कि मैंने ऐसा किया है.. लेकिन अगर तुम यह बात गुप्त रखोगे तो मैं इसके बाद भी तुम्हारे साथ करने के लिए तैयार हूँ।" कहकर उसने मेरे होंठो को चूम लिया.. फ़िर उठ कर बैठी.."मुझे बाथरूम जाना है..मै अभी आती हूँ !"और वो नंगी ही बाथरूम गई.. मैं उसके जाते हुए बदन को देख रहा था.. उसके नितम्ब और चूतड़.. पतली कमर उफ्फ्फ.. मैं उसके चूतड़ देख कर फ़िर से गरम हो गया.. चूतड़ों के बीच में लंड डाल कर घिसने का मजा ही कुछ और है... उसके वापिस आते ही मैंने कहा "रागिनी मुझे तुम्हारे चूतड़ और गांड देखना है.. मैं वहाँ प्यार करना चाहता हूँ।""मुझे पूरी नंगी कर के सब कुछ तो देख लिया तुमने !""रागिनी तुम्हारे चूतड़ सच में किसी भी मर्द का लंड खड़ा कर देंगे। शायद तुम्हारे पीछे चलने वाले मर्द तो अपने पैंट में ही झड़ जाते होंगे !" मैंने उसका हाथ पकड़ कर पास खींचा और उसका मुँह घुमा दिया और उसके चूतड़ पर हाथ फेरते हुए कहा।"अच्छा..!?"मैं उसके चूतड़ सहला रहा था, उन्हें दबा रहा था। फ़िर दोनों चूतड़ों को दो हाथ से फैलाया.. ओह्ह उसकी गांड भी एकदम गुलाबी थी और चूतडों के बहुत अन्दर की तरफ़ यानि गहराई में थी। एकदम नाज़ुक सी गुलाबी गांड ! मै गांड का शौकीन नहीं हूँ.. लेकिन ऐसी मतवाली गांड देख कर मेरा लंड अपनी आदत बदलने के लिए तैयार हो गया।मैंने उसकी गांड में एक ऊँगली डालने की कोशिश की.. वो चिहुंक उठी.. मैंने गांड फैला कर उसके छिद्र में थूका और ऊँगली को घुमाते हुए धीरे धीरे ऊँगली अन्दर करने लगा। आधी ऊँगली अन्दर जाते ही उसने कहा.."संजय वहाँ नहीं प्लीज़.. बहुत दर्द होगा.. " मैंने पूछा- कभी किया है गाण्ड में?उसने कहा- हाँ मेरे पति ने एक बार किया था, लेकिन बहुत दर्द की वजह से हमने फ़िर नहीं किया.. और उनका ज्यादा सख्त नहीं था इसलिए अन्दर भी नहीं गया।मैंने उससे कहा- मैं भी कोशिश करता हूँ..उसने कहा- नहीं.. प्लीज़.. तुम्हारा तो बहुत मोटा और लंबा है.. और ये सख्त भी है.. ये तो फाड़ कर अन्दर घुस जाएगा।मैंने कहा- मैं धीरे धीरे करूँगा..कह कर मैं रसोई में गया और वहां से मक्खन ले कर आया। मैंने उसकी गांड पर और अपने लंड पर बहुत सारा मक्खन लगाया। फ़िर उसके चूचियों पर भी लगाया और उन्हें चूसना शुरू किया.. उसे मैंने एक कुर्सी पर बिठाया, उसके पैर ऊपर अपने कंधे पर लिए और मैं उसके सामने पंजो के बल बैठा, उसकी चूत पर भी मक्खन लगाया और उसे चाटने लगा। उसके चूत के दाने को मुँह में लेकर जैसे ही मैंने चूसना शुरू किया उसकी चूत से पानी निकलने लगा.. मक्खन और उसका पानी दोनों मैं जीभ से चाट रहा था.. और ऐसा करते हुए मैं एक ऊँगली उसकी गांड में डाल रहा था.. मक्खन लगा होने से अब ऊँगली आराम से अन्दर बाहर हो रही थी। मैंने फ़िर दो ऊँगली अन्दर डाली.. और गांड के छेद को बड़ा करने के लिए गोल गोल घुमाने लगा.. इस तरह रागिनी की चूत और गांड दोनों जगह एक साथ मैं गरम कर रहा था.. मेरे होंठो में उसकी चूत का दाना था.. जिसे मैं बहुत तेज़ी से चूस रहा था.. उसने मेरे बालों में हाथ फेरते हुए मेरे सर को अपनी चूत पर दबा लिया और.."आह..संजय..गई.. मै..गईई.. आह..आह्ह.. जोर से.. ओह्ह ऐसे मत चूसो.. मेरा.. हो जाएगा....ओह्ह..ओह्ह.. सं..ज..ज..य..य... आ..आ.आ...आ.आह्ह.. गई..ई.ई.ई.ई.. स्..स् स्.स्.स. " करते हुए उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया। मैंने अपनी जीभ उसी चूत पर फेरते हुए गांड से ऊँगली निकाल ली और फ़िर उसकी चूत का पानी उसकी गांड पर लगाने लगा.. मेरा लंड तो फ़िर से खंभे जैसा खड़ा हो चुका था। मैंने खड़े होते हुए अपना लंड उसके मुँह के पास दिया, उसने मखन लगे लंड को दोनों हाथों से पकड़ा और अपना मुँह खोल कर अन्दर ले लिया .. पूरे लंड को उसने चाटा, फ़िर से मखन लगाया।मैंने उसे खड़ा किया और बेड पकड़ कर झुकाया। इस तरह खड़े होने से उसके चौड़े और उभरे हुए चूतड़ बहुत ही सेक्सी दिख रहे थे। गांड का छेद और चूत दोनों उभर आए थे। मैंने पहले उसके चूत और गांड दोनों पर लंड को बहुत अच्छे से रगड़ा और पहले मैंने उसकी चूत के ऊपर मेरा लंड टिकाया और उसकी पतली कमर को जोर से पकड़ कर दबाया.. मेरा लंड अन्दर घुसने लगा.. उसकी कसी हुई चूत मेरा लंड धीरे धीरे अन्दर ले रही थी.. दूसरे झटके में पूरा लंड अन्दर डाल दिया.. और मैं उससे चिपक कर उसकी चूचियों को मसलने लगा.. इधर मेरे लंड के हल्के हल्के धक्कों से रागिनी कराह रही थी- संजय बहुत भीतर घुस गया है.. इस पोज़ में और ज्यादा अन्दर तक घुसा दिया तुमने.. आह्ह. मैंने कभी ऐसा नहीं किया.. चोदो..वो भी अपने चूतड़ पीछे धकेल कर मेरे लंड का स्वागत कर रही थी अपनी छोटी सी चूत में। अब मैंने थोड़ा ऊँगली में लिया और उसकी गांड के छेद में फ़िर से लगाया और ऊँगली अन्दर डाल कर घुमाने लगा.. गांड का छेद कुछ खुल गया था.. अचानक मैंने लंड पूरा बाहर खींचा और उसे गांड के छेद पर रखा.. रागिनी के कुछ समझने के पहले मैंने उसकी पतली कमर को पूरी ताकत से जकड़ कर एक धक्का लगा दिया.."भच्च" की आवाज़ हुई और लंड का सुपारा गांड में घुस गया और रागिनी चीख कर छूटने का प्रयास करने लगी.. लेकिन मेरी पकड़ मज़बूत थी!" ओह्ह..मा..र.डा.आ.आ.ला.आ..आ... स्.स्.स्.स्.स्.स्... निकालो..संजय.. मैंने कहा- रुको रानी.. ! अभी मजा आयेगा.. !और मैं उसके चूतड़ दबाने लगा.. लंड को भी दबाते हुए अन्दर धकेल रहा था.. मक्खन की वजह से उसकी टाईट गांड में लंड फिसल रहा था। मेरा लंड भी छिल रहा था.. आधे से ज्यादा अन्दर करने के बाद मैंने अब लंड को हल्के से आगे पीछे करने लगा.. रागिनी की आंखों से आंसू निकल आए थे. लेकिन जैसे जैसे लंड अन्दर जा रहा था उसे मजा आने लगा था.. अब मैंने देर करना उचित नहीं समझा और लंड को बाहर खींच कर जोर का धक्का दिया और पूरा लंड जड़ तक उसकी गांड में समा गया.. रागिनी फ़िर से चीखी और सामने की तरफ़ गिरने को हुई तो मैंने सामने हाथ बढ़ाया और उसकी चूचियों को थाम लिया.. पूरा लंड अन्दर निकल कर मैं उसकी गांड मार रहा था.. अब मैंने गांड और चूत दोनों को एक साथ चोदने का इरादा किया.. और लंड को गांड से निकाला और एक ही धक्के में चूत के अन्दर डाल दिया फ़िर वैसे ही चूत से बाहर निकला और गांड में एक धक्के में अन्दर पूरा लंड डाल दिया.. इस तरह से एक बार गांड में फ़िर एक बार चूत में.. मैं मेरे लंड से रागिनी को चोद रहा था.. अब उसे भी मजा आ रहा था.. वो कहने लगी,"शादी के 15 साल में चुदाई का ऐसा मजा मुझे नहीं मिला।"मैंने कहा- रानी तुम्हारी गांड और चूतड़ इतने सुंदर हैं कि मेरे जैसा मर्द जो कि गांड का शौकीन नहीं है उसे भी आज तुम्हारे गांड में लंड डालने का दिल हो गया !"उसने पूछा,"सच ! मेरे चूतड़ इतने सुंदर हैं?"मैंने कहा, "सुंदर कहना तो कम होगा.. ये खूबसूरत और बहुत ही उत्तेजक हैं।"कहते हुए मैं उसकी गांड और चूत चोदने लगा... करीब बीस मिनट से ज्यादा हो गया था।रागिनी कहने लगी- मेरे पैर दुःख रहे हैं.. मैंने कहा- ठीक है !मैंने लंड बाहर निकला और सामने रखी कुर्सी पर बैठ गया.. उस कुर्सी में बाजू के हत्थे नहीं थे..मैंने रागिनी से कहा- अब तुम अपनी चूत मेरे लंड के ऊपर रखो और दोनों पैर मेरे पैरों के साइड में फैला लो.. मेरी तरफ़ मुँह करके बैठो.. उसने कहा- नहीं संजय.. इतने मोटे पर मैं नहीं बैठ पाऊँगी.. बहुत दर्द होगा.. और मैंने ऐसा कभी किया भी नहीं.. मैंने उसे अपने पास खींचा और कहा- तुम आओ तो.. वो दोनों पैर फैला कर मेरे लंड के ऊपर आई.. मैंने कहा.. अब अपने छेद को इसके ऊपर रखो.. उसने वैसा ही किया.. मैंने उसकी कमर पकड़ी और उसे बैठाने लगा.. जैसे ही सुपाड़ा अन्दर गया वो खड़ी होने लगी.. नहीं संजय.. ऐसे में ये बहुत अन्दर घुस जाएगा.. कितना लंबा और कड़क है.. मैंने उसे उठाने नहीं दिया.. और अब उसके चुचूक मेरे मुँह के सामने थे.. मैंने एक को मुँह में लिया और नीचे से धक्का दिया.. और उसकी कमर को नीचे दबाया.. मेरा लंड "गप्प्प" से पूरा अन्दर घुस गया.. मैंने दूसरा हाथ उसकी गांड के पास लगाया.. गांड का मुँह अब खुल गया था.. मैंने उसके होंठ अपने होंठों में लिए और उसे चूतड़ों से पकड़ कर उसे मेरे सीने से चिपका लिया.. दोस्तों इस आसन में चुदाई का मजा ही अलग है।मैं उसके होंठ चूस रहा था और वो आहिस्ता आहिस्ता अपनी गांड उठा कर चूत में लंड अन्दर बाहर कर रही थी.. मैं कभी उसके होंठ.. कभी चूची और कभी उसके कंधे चूमता..इस पोज़ में 5-7 मिनट में ही वो झड़ गई.. अब मैंने उसे वैसे ही गोद में उठाया.. क्यूंकि मेरा लंड भी अब झड़ने वाला था.. उसे फ़िर से बेड के किनारे पर लिटाया.. कुर्सी से बिस्तर तक जाते हुए लंड उसकी चूत में ही था। बेड के किनारे पर उसे लिटाकर उसके पैर मेरे कंधे पर लिए और फ़िर तो मैंने दस मिनट तक उसकी चूत का बुरा हाल किया.. और आख़िर में लंड को उसकी चूत के अन्दर गहराई में रख कर एक मिनट तक पिचकारी मारता रहा.. मुझे लगता है उस वक्त मेरे लंड ने जितनी पिचकारी निकली होगी उतनी पहले कभी नहीं निकली.. उसके बाद मैं थक कर उसके ऊपर ही लेट गया। उसकी चूत मेरे लंड को निचोड़ रही थी और मेरे साथ वो भी झड़ गई थी...मैंने उसे पकड़ कर बेड के ऊपर ले लिया वो मेरे सीने पर थी.. लंड चूत में !मैंने उसे चूमते हुए कहा,"आई लव यू रागिनी ! मैं बहुत दिनों से तुम्हें पाना चाहता था !"वो मुस्कुराई और कहा," मैं यह तो नहीं कहूँगी कि मैं तुम्हें पाना चाहती थी.. लेकिन आज के बाद जरुर तुम्हें हमेशा पाना चाहूंगी। तुमने मुझे सेक्स का जो मजा दिया है उससे मैं अनजान थी.. और इसमे इतना मजा है यह मुझे पता ही नहीं था।" कहते हुए उसने मुझे चूम लिया।"तुम खुश हो न संजय? तुमने जो चाहा, वो मैंने तुम्हें दिया.. ज़िन्दगी में पहली बार मैंने पीछे से सेक्स का मजा लिया.. तुम पहले मर्द हो जिसने मेरे पीछे वाले में अपना ये मोटा वाला पूरा अन्दर डाला।""मेरी रानी रागिनी, मैं खुश ही नहीं खुशकिस्मत हूँ जो तुम्हारी लाजवाब चूत और मस्त गांड में मेरे लंड को जगह मिली।" उसके बाद करीब एक घंटा हम दोनों वैसे ही नंगे पड़े रहे.. फ़िर वो उठी और बाथरूम गई.. वहां से बाहर आ कर उसने कपड़े पहने.."संजय, मुझे लगता है कि मैंने जरुरत से ज्यादा वक्त यहाँ बिता दिया है, अब मैं चलूंगी !""काश तुम और रुक सकती.. शायद तुम ठीक कहती हो .. किसी को शक करने का मौका नहीं देना चाहिए.."मैं भी उठा .. बाथरूम में गया। रागिनी ने ड्रेसिंग टेबल पर मेरी बीवी के मेकअप के समान से अपना हुलिया ठीक किया.. मैं बाथरूम से नंगा ही साफ़ करके बाहर आया तो वो तैयार थी.. मैंने उसे फ़िर से बांहों में लिया और किस किया.. उसने मेरे लंड को पकड़ कर सहलाया.. मैंने उसे बताया कि संगीता अभी और दो हफ्ते नहीं लौटेगी.. उसने कहा- अब घर पर नहीं ! कहीं बाहर.. और तुमने मेरी जो हालत की है मैं वैसे भी दो-तीन दिन कुछ नहीं कर पाउंगी.. जानते हो मैं वहां हाथ लगा कर धो भी नहीं पा रही हूँ.. बहुत दर्द हो रहा है और बहुत फूल गई है.. वो तो अच्छा है मेरे पति महीने में एक बार ही करते है वो भी कभी कभी.. इसलिए जब मैं ठीक हो जाउंगी तो तुम्हें कॉल करुँगी.. मैंने घड़ी देखी .. अब ऑफिस आधे दिन के लिए ही जा सकता था।मैंने देखा रागिनी की चाल भी बदल चुकी है.. थोड़ा लंगडा रही थी.. शायद गांड मारने की वजह से.. पैर भी फैला के चल रही थी.. फ़िर भी वो दरवाजे तक गई.. दरवाजा खोला .. और कहा.."थैन्क यू !' और मुस्कुराकर चली गई.. दोस्तों, मैं उस दिन की हर घटना को सपना समझ रहा था। लेकिन दो दिन बाद ही रागिनी का फ़ोन आया कि आज बच्चे आज अपने मामा के घर गए है और पति भी टूर पर हैं तीन दिन के लिए, इसलिए ऑफिस से सीधे मेरे घर आ जाओ..उस रात की कहानी आपके मेल मिलने के बाद ! |
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