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12 December 2020

च*u*त एक ल*n*ड अनेक-भाग 2

*​आज की कहानी:- *चूत एक लंड अनेक-भाग 2*

*केटेगरी:- ग्रुप*

*चेतावनी*

यह कहानी लेखक की कल्पना मात्र पर आधारित है व इस कहानी का किसी भी मृत या जीवित व्यक्ति से कोई संबंध नहीं है। अगर ऐसा होता है तो यह केवल संयोग मात्र होगा।


आरम्भ

चूत एक लंड अनेक-भाग 2

दोस्तो, जैसा मैंने आपको अपनी चुदाई की कहानी के पहले भाग में बताया कि पूजा गार्डन में रविंद्र के साथ चुदाई करा कर वे वापस अपने होटल में आ गई. मैंने रिसेप्शन पर यह मैसेज छोड़ा कि मुझे मिलने के लिए ऑफिस से दो लड़के आने वाले हैं, उनका आईडी प्रूफ देखकर मेरे कमरे में भेज दिया जाए।

अब मैं कमरे में आ गयी और जल्दी से नहा धोकर तैयार हो गई। नहा कर मैंने अपना ऑफ व्हाइट ब्लाउज और ब्रा दोबारा पहन ली लेकिन स्कर्ट मैंने इस बार अपना बदल दिया। मेरा नया स्कर्ट बहुत ही छोटा था जो मुश्किल से मेरे नितंब तक की लंबाई का था। स्कर्ट के नीचे मैंने इस बार एक थांग पहन ली जो फ्लोरोसेंट कलर की थी।

इंतजार का एक एक मिनट मुझे युग के बराबर लग रहा था।

लगभग डेढ़ घंटे बाद मुझे रिसेप्शन से फोन आया कि अभिजीत और विजय मुझसे मिलना चाहते हैं।
मैंने अपनी आवाज पर नियंत्रण रखते हुए बोला- इन दोनों लड़कों के आईडी प्रूफ चेक करने के उपरांत उन्हें मेरे कमरे में भेज दीजिए।

अपने लैपटॉप पर मैंने एक पेज खोल रखा था जिससे ऐसा लगे जैसे मैंने वाकयी इन लड़कों को ऑफिस वर्क से ही बुलाया है।

लगभग दो मिनट बाद ही मेरे रूम की डोर बेल बजी। मैंने तुरंत दरवाजा खोला तो पाया कि विजय और अभिजीत के साथ होटल का एक अटेंडेंट भी था जो कि शायद इन लड़कों को मेरे कमरे तक पहुंचाने के लिए भेजा गया था।
“गुड मॉर्निंग डॉली मैम।” दोनों लड़कों ने एक साथ बोला- मैं अभिजीत हूं और यह विजय।
अभिजीत परिचय कराते हुए बोला।

“गुड मॉर्निंग!” मैंने मुस्कुराहट के साथ दोनों को बोला और वेटर को जल्दी से कॉफी भेजने के लिए बोला।
“यार वेटर को कॉफी लाने के लिए क्यों बोल दिया? बिना वजह समय की बर्बादी होगी।” मेरे दरवाजा बंद करते ही अभिजीत ने झुंझलाहट के साथ कहा।

“रिलैक्स अभिजीत।” मैंने मुस्कुराते हुए कहा- देखो. उस अटेंडेंट में भी मुझे इतने छोटे कपड़ों में देख लिया है। जब तक वह कॉफी लेकर आता है तब तक तुम में से एक नहा के अपने लंड को शेव कर लेगा। उसके बाद कॉफी पी कर दूसरा भी नहा कर रेडी हो जाएगा। इस तरह होटल वालों को यह शक भी नहीं होगा कि तुम लोग मेरी चुदाई के लिए आए हो और हमारा काम भी हो जाएगा।

दोनों लड़कों का मेरा आइडिया पसंद आया और विजय तुरंत नहाने चला गया।

वेटर बहुत जल्दी तीन कॉफी रख कर चला गया और उसने पूछा- और कुछ चाहिए मैडम?
“फिलहाल कुछ नहीं चाहिए। बस दस मिनट बाद खाली कप वापस ले जाना।” मैंने वेटर को बोला।

अभिजीत और मैंने कॉफी खत्म की विजय भी नहा कर काफ़ी पीने लगा। कॉफी पीकर अभिजीत नहाने के लिए चला गया और थोड़ी देर बाद वेटर भी खाली कप लेकर चला गया।

अब मैंने दरवाजे पर “Don’t disturb” का टैग लगा कर दरवाजा बंद किया और विजय की तरफ देखकर मुस्कुराई।
विजय भी मुझे देख कर मुस्कुराने लगा।

जैसे ही अभिजीत नहा कर आया मैंने विजय और अभिजीत से उनके मोबाइल मांग लिए और मोबाइल को स्विच ऑफ कर कबर्ड में लॉक कर दिया।
अब कमरे में कोई भी अवरोध नहीं था।

मैंने लैपटॉप का वॉल्यूम कम करके उस पर एक ब्लू फिल्म लगा दी जिसमें एक लड़की की चुदाई दो लड़के कर रहे थे। मैंने दोनों लड़कों से मुस्कुरा कर बोला- यह मेरा पहला मौका है जबकि मैं दो लड़कों से एक साथ चुदवाने जा रही हूं!
उन दोनों ने भी मुझसे बोला कि मिलकर किसी लड़की को चोदने का यह उनका भी पहला मौका है।

मैं बिस्तर पर विजय और अभिजीत के बीच में बैठ गई और हम तीनों लैपटॉप पर चल रही ब्लू फिल्म को ध्यान से देखने लगे। मैंने चुदाई के लिए पहल करते हुए अभिजीत और विजय के लंड को पैंट के ऊपर से ही सहलाना शुरू किया।

विजय ब्लाउज के ऊपर ही से मेरे स्तनों को सहलाने लगा। बहुत जल्दी ही मैंने अभिजीत और विजय के लंड में तनाव महसूस करना शुरू किया और मैंने उनके पेंट में हाथ डालकर दोनों के लंड पकड़ लिये और सहलाना शुरू किया। अभिजीत ने मेरी स्कर्ट ऊपर कर के देखा।

खूबसूरत थांग मैं कैद मेरी चिकनी चूत को देखते ही उसकी आंखें चमकने लगी। उसने तुरंत मेरे अधरों पर अपने होंठ रख दिए और उन्हें चूसने लगा।
मैं हल्के सीत्कार भरते हुए अभिजीत के चुंबन का जवाब दे रही थी।

मुझ पर एक हल्का सा नशा छाये जा रहा था और मैं धीरे-धीरे गर्म हो रही थी। मैंने अपनी आंखें इस कामक्रीड़ा में बंद कर रखी थी। मुझे कुछ भी नहीं पता चल रहा था। बस बहुत मजा मेरे शरीर, दिमाग और चूत को मिल रहा था।

जब मैंने आंखें खोली तो देखा मेरे शरीर पर कोई भी कपड़ा नहीं था। मालूम नहीं कब अभिजीत और विजय ने मुझे नंगी कर दिया था। विजय और अभिजीत भी पूरी तरह नंगे हो चुके थे।

मुझे आंखें खोलता देख कर अभिजीत ने मुझे आंख मारी और अपने लंड को सहलाते हुए पूछा- लंड चूसेगी?
मैंने भी आंखों से हां का इशारा किया।

अब मैं अपने घुटनों के बल बैठ गई और अभिजीत तुरंत अपना लंड मेरे मुंह के बिल्कुल करीब ले आया। उसके लंड का मोटा सुपारा बहुत चमक रहा था। मैंने निसंकोच उसके सुपारे को मुँह में भर लिया और बिल्कुल ब्लू फिल्म की लड़की की तरह अभिजीत के लंड को चूसने लगी।

मेरे होंठों के मादक स्पर्श से अभिजीत का लंड मेरे मुंह में और भी ज्यादा मोटा हो गया। उसने मुझे बालों से पकड़ लिया और मेरे मुंह को चोदने लगा।

विजय मेरी चूत को उंगली डालकर चोदने लगा। मेरी चूत बहुत पानी छोड़ रही थी। विजय मेरी चूत से अपनी गीली उंगलियां निकालकर मेरी गांड में डाल कर मेरे छेद को फैलाने लगा।
वो बोला- मैडम तुम्हारी गांड मारने में मुझे बहुत मजा आएगा।
मैं मुस्कुरा कर बोली- मुझे गांड और चूत दोनों एक साथ मरवानी हैं।

विजय- मैडम, एक बार हमारा भी लंड चूस दो, फिर देखो तुम्हारी गांड कैसे फाड़ता है मेरा लंड।
मैंने अभिजीत के लंड को सहलाते हुए विजय का लंड भी चूसना शुरू किया। बहुत जल्दी चूसे जाने के कारण लोहे के रॉड जैसे सख्त हो गए।

विजय ने अब अपने लंड पर कंडोम लगाया और ढेर सारा तेल भी। अब वह बिस्तर पर पीठ के बल लेट गया और मुझसे बोला- मैडम, मेरा लंड तुम्हारी गांड में घुसने के लिए बेताब हो रहा है। आओ और अपनी गांड को मेरे लंड का स्वाद चखने का मौका दो।

यह सुनकर मैं विजय की तरफ अपनी पीठ कर के बैठी। मैंने अपने हाथों से उसके लंड को अपनी गांड के छेद पर रखा और मैं धीरे धीरे लंड पर बैठने लगी। विजय के मोटे सुपारे का स्पर्श मेरे अंदर नई उत्तेजना भर रहा था।
“उईईई …उम्म्ह… अहह… हय… याह… ” विजय के मोटे सुपारे के मेरी गांड में अंदर घुसने पर मेरे मुंह से सीत्कार निकला।

“क्या हुआ मैडम? क्या गांड में दर्द हो रहा है?” विजय ने नीचे से धक्का लगाते हुए पूछा।
मैंने अपनी गर्दन इंकार में हिलाई और बोला- नहीं रे … मुझे मजा आ रहा है।

यह सुनकर विजय ने मुझे कमर से पकड़ लिया और नीचे से धक्के मार कर अपने लंड को पूरी ताकत से मेरी गांड में घुसाने लगा।
“आहहह … मजा आ गया.” आनंदातिरेक से मेरे मुंह से निकला।

जैसे जैसे विजय का लंड मेरी गांड में घुसता जा रहा था, मेरी चूत आगे से खुलती जा रही थी। मैं सीत्कार भरते हुए अपनी चूत को सहला रही थी।

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मेरे सीत्कार से उत्तेजित होकर अभिजीत ने अपना लंड पुनः मेरे मुंह में डाल दिया और मेरी खुली चूत में दो उंगली डालकर चूत में उंगली से चोदने लगा। बहुत जल्दी अभिजीत का लंड पुनः सख्त हो गया।
अभिजीत ने मुझसे बोला- बेबी, तुम्हारी चूत तो मानो मुस्कुरा रही है।
मैंने भी मुस्कुरा कर जवाब दिया- बेबी की चूत तो सख्त सुपारा देखते ही मुस्कुरा कर लंड को चुदाई का निमंत्रण देने लगती है।

अभिजीत ने अब लंड पर कंडोम चढ़ा कर मेरी खुली चूत में अपना लंड एक झटके के साथ पेल दिया।
“उईईई … मां…” मैंने जो़रों से सीत्कार भरा।

अब आगे से अभिजीत और नीचे से विजय ने मेरी चूत और गांड को चोदना शुरू कर दिया। मेरी स्थिति इस समय कुछ इस तरह थी।

अब तो मेरी कामोत्तेजना बहुत बढ़ गई और मैं पूरी तरह बेशर्म हो कर दो लंड से चुदाई का मजा लेने लगी।

अभिजीत बोला- तेरी चूत तो बहुत ही टंच माल है।
तो नीचे से विजय बोला- साली की गांड भी बहुत मजेदार है।
मैं सीत्कार भरते हुए बोली- और जोर से चोदो ना मुझे। मेरी चूत और गांड दोनों फाड़ दो।

“देख रंडी को कितना मजा आ रहा है दो लंड से चुदने में!” अभिजीत बोला।

दो लंड से चुदाई का मजा वही लड़की जान सकती है जिसने कभी इस तरह की चुदाई का स्वाद चखा हो। मैं तो लगातार झड़ना शुरू हो गई इस चुदाई में। मुझे हर धक्के के साथ अभिजीत का लंड अपनी बच्चेदानी से टकराता हुआ महसूस हो रहा था। अब दोनों के लंड मेरी चूत और गांड में आसानी से अंदर बाहर हो रहे थे।

अभिजीत ने मेरे दोनों स्तन हाथों में पकड़ लिए और उन्हें बेदर्दी से मसलने लगा। मेरे दोनों निप्पल को भी अपने अंगूठे और उंगलियों के बीच में लेकर मसलना जारी रखा।
मैं दर्द और आनन्द के मारे चिहुंक पड़ी। मैंने भी अपनी चूत और गांड को तेजी से आगे पीछे करना शुरू किया जिससे दोनों लंड पूरे पूरे मेरे अंदर तक घुस सकें।

लगभग 10 मिनट की धुआंधार चुदाई के बाद दोनों झड़ गए और मैं भी इस बीच एक बार झड़ चुकी थी।

अभिजीत और विजय के लंड मेरी चूत और गांड से बाहर निकलने के बाद मैं बिस्तर पर लेट गई। दोनो वॉशरूम जाकर लंड साफ करके आए। अब हम तीनों रजाई में लेट कर बातें करने लगे।
विजय खुश होकर मेरी गांड की बहुत तारीफ़ कर रहा था, मैं खुश हो कर सब सुन रही थी। अब अभिजीत ने भी मेरी चूत की तारीफ़ की।

इस पर मैंने प्रस्ताव दिया कि क्यों न अगली चुदाई में विजय मेरी चूत मार ले और अभिजीत का लंड मेरी गांड का स्वाद चखे।
दोनों इस प्रस्ताव से संतुष्ट नजर आए।

कुछ देख और बातचीत करने के पश्चात मैंने दोनों के समक्ष फिर एक चुदाई का राउंड करने का प्रस्ताव रखा।
इस पर दोनों एक स्वर से बोले- हमारा लंड खड़ा कर दो. फिर चुदाई जरूर करेंगे।

मैंने बिना विलंब किए दोनों के लंड बारी-बारी से चूसना शुरू किया कुछ ही देर में दोनों के लंड फिर से फनफनाने लगे। दोनों के सख्त लंड देखकर मेरी आंखों में भी चमक आ गई।
धक्का देकर मैंने विजय को बिस्तर पर गिरा दिया और खुद उसकी तरफ मुंह करके उस पर सवार हो गई। मैंने हंसकर लंड को पकड़ कर उस पर कंडोम चढ़ा कर अपनी चूत के छेद पर रखा और खुद को नीचे दबाना शुरू किया। बहुत आसानी से विजय का लंड मेरी चूत में अंदर तक घुस गया।

अब मैंने आगे की तरफ झुककर अपना दाहिना स्तन विजय के मुंह में दे दिया और अपनी चूत को ऊपर नीचे करते चुदाई का आनंद लेने लगी। मैंने अभिजीत को भी मेरी गांड की तरफ से मोर्चा संभालने को बोला। अभिजीत भी कंडोम चढ़ा कर मेरी गांड मारने के लिए तैयार था.


क्योंकि मेरी गांड की एक बार चुदाई हो चुकी थी तो मैंने अभिजीत को दोबारा तेल लगाने से मना किया मेरी बात मान कर अभिजीत बिना तेल लगाये मेरी गांड में लंड पेलने लगा। बिना तेल के पहले तक थोड़ा दर्द और अवरोध जरूर हुआ लेकिन थोड़ी देर में अभिजीत अपना लंड मेरी गांड में सेट करने में सफल हो गया और दोनों ने पूरे जोश के साथ मेरी चूत और गांड की चुदाई शुरू कर दी। कुछ इस तरह से मेरी स्थिति बन चुकी थी चुदाई की।

हम तीनों चुदाई का भरपूर आनंद ले रहे थे और मैं तो कुछ ज्यादा ही आनंदित थी अपनी इस चुदाई से।
पहले वाली चुदाई और इस चुदाई में सिर्फ एक ही अंतर था। पिछली बार मेरी चूत में ज्यादा जोर से धक्के पड़ रहे थे और इस बार मेरी गांड में धक्के बड़े जोर जोर से पड़ रहे थे क्योंकि नीचे लेटा हुआ आदमी थ्रीसम सेक्स में बहुत ज्यादा जोर नहीं लगा पाता जबकि ऊपर वाला व्यक्ति जोर शोर से लंड पेल सकता है।

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अभिजीत भी मेरी गांड की बहुत तारीफ कर रहा था और पूरी ताकत से अपने लंड को मेरी गांड में पेले जा रहा था। मैं भी अपने आप को आगे पीछे कर रही थी। जब मैं आगे की तरफ धक्का लगाती तो विजय का लंड पूरा मेरी चूत में घुस जाता था, और जब पीछे की तरफ धक्का लगाती तो अभिजीत का पूरा लंड मेरी गांड में घुस जाता था।

अब तो पूरे कमरे में हम तीनों के सीत्कार गूंज रहे थे और मेरी चूत और गांड में लंड के घुसने और बाहर होने पर फच फच की मधुर आवाज भी। धक्के इतने जोरदार थे कि हमारा बिस्तर भी चरमरा कर आगे पीछे हिल रहा था।

थोड़ी देर में अभिजीत ने अपना लंड मेरी गांड से बाहर निकाला और कंडोम निकाल कर फर्श पर फेंक दिया तथा अब वो मेरी गांड बिना कंडोम चढ़ाए मारने लगा। कंडोम के बिना उसका लंड और भी आसानी से अंदर बाहर हो रहा था और मैं तो मानो आनंद के सातवें आसमान पर थी।

इस बार की पलंग तोड़ चुदाई बहुत अधिक देर तक चली और मैं भी इस बीच तीन बार झड़ गई।

जब विजय और अभिजीत भी मेरे अंदर झड़ने लगे तब दोनों ने मुझे सैंडविच बना कर मजबूती से पकड़ लिया।
कुछ देर बाद हम तीनों अलग हुए।

जब अभिजीत का लंड मेरी गांड से बाहर निकला तो उसका वीर्य भी गांड छिद्र से बाहर निकलने लगा। मैंने वॉशरूम जाकर खुद को साफ किया। बाद में अभिजीत और विजय भी खुद को साफ कर के आए।

दोनों इस चुदाई से पूरी तरह संतुष्ट थे। मेरी चूत और गांड की ज्वाला भी अभी शांत हो गई थी। दोनों ने अपने कपड़े पहने और मुझे बहुत बहुत धन्यवाद दिया.
स्पेशल चुदाई के लिए मैंने भी दोनों का बहुत बहुत शुक्रिया किया और बोली- यह चुदाई मुझे जिंदगी भर याद रहेगी।
मैंने दोनों को मोबाइल और बैटरी वापस कर दी और दोनों मुझे चूम कर वापस चले गए।

इतनी बढ़िया चुदाई के बाद मुझे भी नींद आ रही थी इसलिए मैं बिना कपड़े पहने ही सो गई।

जारी है...

11 December 2020

च*u*त एक ल*n*ड अनेक-भाग 1

*​आज की कहानी:- *चूत एक लंड अनेक- भाग 1*

*केटेगरी:- भाई-बहन*

*चेतावनी*

यह कहानी लेखक की कल्पना मात्र पर आधारित है व इस कहानी का किसी भी मृत या जीवित व्यक्ति से कोई संबंध नहीं है। अगर ऐसा होता है तो यह केवल संयोग मात्र होगा।


आरम्भ

चूत एक लंड अनेक- भाग 1

मेरी उम्र 35 वर्ष है और मेरी दूसरी शादी अभी कुछ महीने पहले ही हुई है। मैं एक चुदक्कड़ किस्म की लड़की हूं तथा अपनी पहली शादी के पहले से ही अपनी चूत को लंड का स्वाद दिला चुकी हूं।

मेरा मानना है कि हर लंड का स्वाद अलग होता है और हर चूत एक जैसी चटपटी नहीं होती है। मेरा रंग गोरा, हाइट 5 फुट 4 इंच और फिगर 35 30 36 है। मुझे ब्लू फिल्म देखना बहुत पसंद है, खासकर वह फिल्म जिसमें एक लड़की को दो या अधिक लड़के चोदते हैं। मेरा भी बहुत मन करता है कि मैं दो लड़कों के साथ एक साथ सेक्स कर सकूं।

मैंने डीटीसी बस रूट के बारे में अपने दिल्ली में रहने वाले एक चैट फ्रेंड से और इंटरनेट से जानकारी ली।

मेरे फ्रेंड ने मुझे सजेस्ट किया कि लाल किला से करोल बाग वाला रूट बहुत अच्छा है। उस पर समुचित भीड़ रहती है और मौका मिलने पर मेरे साथ छेड़छाड़ भी अच्छी तरीके से हो सकती है तथा किडनैपिंग का चांस नहीं है। मेरे दोस्त ने मुझे यह भी बताया कि रविवार को लाल किला के सामने सवेरे 6:00 बजे से एक साप्ताहिक बाजार लगता है जिसमें बहुत अच्छे से भीड़ रहती है। अब तो मैंने भी सोच लिया कि इस साप्ताहिक बाजार का आनंद भी लूंगी और मौका मिला तो दो लौंडे भी अपने लिए पटा लूंगी। मुझे दिल्ली नवंबर के महीने में जाना था जो कि ठंड का महीना होता है। मैंने सोचा कि अगर मैं इस मौसम में स्कर्ट पहनती हूं तो लड़कों का ध्यान मेरी तरफ़ अवश्य जाएगा। यह सोचकर मैंने एक स्कर्ट अपने लिये ऑनलाइन मंगवाई।

मैंने अपने लिये एक ऑफ व्हाइट ब्लाउज और स्किन कलर की ब्रा भी ऑर्डर कर के मंगवा ली। वैसे मेरा ब्रा साइज 36D है पर मैंने जानबूझ कर 34B साईज का ऑर्डर दिया ताकि मेरी चूचियों का कुछ भाग ब्रा के कप से बाहर रहे और लड़कों का ध्यान आकर्षित कर सके।

मेरी ड्रेस जब ऑनलाइन मुझे डिलीवर हो गई तब मैंने पहन कर उसकी ट्रायल ली। स्कर्ट मेरे घुटनों से लगभग 3 इंच से ज्यादा ऊपर थी और ब्रा मैं मेरे मम्मे आधे ही घुस पा रहे थे। कुल मिलाकर मुझे छेड़ने के लिए अच्छा माहौल लड़कों को मुझे दे पाने के लिये मेरी ड्रेस अच्छी लग रही थी।

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मुझे एक शादी में चंडीगढ़ जाना था। लौटते समय मैंने दो रात दिल्ली रुकने का प्लान किया और अपने पति को यह समझाया कि मैं अपने ऑफिस के काम से 2 दिन दिल्ली रूकूंगी। मैंने अपने अधिकारियों से रिक्वेस्ट करके दो दिन के लिए दिल्ली टूर अनुमोदन भी करवा लिया।

जब मैं चंडीगढ़ से दिल्ली पहुंची तब रात्रि का लगभग 9:00 बज रहे थे। मैं करोल बाग के एक होटल में ठहर गई।

मैं रात को जल्दी सो गई और सुबह लगभग 3:45 बजे जागी। नहा कर मैंने अपनी पसंदीदा स्कर्ट और ऑफ शोल्डर ब्लाउज नई ब्रा के साथ पहना। मैंने उस स्कर्ट के अंदर पेंटी नहीं पहनी लेकिन लैपटॉप कवर के अंदर एक पैंटी मैंने इमरजेंसी के लिए रख ली।

लगभग 4:30 बजे मैं होटल से निकली। मैंने अपने साथ बहुत सामान नहीं लिया। लैपटॉप का कवर, अपना पर्स और मोबाइल लेकर मैं होटल से निकली थी।
मैंने यह महसूस किया कि होटल से निकलते वक्त भी लोगों की निगाहें मुझ पर थीं पर किसी की परवाह किये बगैर मैं ऑटो से बस स्टॉप तक आ गई। मैंने वातानुकूलित बस का पूरे दिन का पास बनवा लिया ताकि बार-बार टिकट खरीदने की झंझट से मुक्ति रहे।

सवेरे की बस में कोई भीड़ नहीं थी। मैं आराम से लाल किले तक पहुंच गई। सवेरे का मार्केट लग ही रहा था।

मुझे ठंड तो लग रही थी, लेकिन मैं लगभग 15 मिनट मार्केट में चहलकदमी करती रही। कुछ लोगों ने मुझे पलट कर देखा लेकिन आगे बढ़कर किसी ने छेड़छाड़ नहीं की।

कुछ देर बाद मैं लाल किला से करोल बाग जाने वाली बस में चढ़ गयी। अभी थोड़ी भीड़ बढ़ना शुरू हुई थी लेकिन मैं लगभग 200 मीटर बाद ही वापस उतर गई और फिर से लाल किले मार्केट तक आ गई।
सुबह सुबह का वक्त था और अब भीड़ थोड़ी बढ़ रही थी।

मैंने ईश्वर से प्रार्थना करी कि मुझे इस बार बस में कुछ अच्छे लड़के मिल जाएं।

अभी बस में भीड़ अच्छी थी और मुझे खड़े रहना पड़ा. वैसे मैं भी यही चाहती थी क्योंकि अगर मैं खड़ी रहूंगी तभी कोई मुझे छेड़ सकेगा।

थोड़ी देर बाद मैंने अपने नितंब पर कुछ दबाव महसूस किया पलट कर देखा तो एक अधेड़ उम्र का आदमी खड़ा था। मुझे ठीक नहीं लगा इसलिए मैं वहां से हट गई।

कुछ देर बाद एक स्टॉप पर काफी लोग चढ़े।
काफी लोग मेरे आस पास ही खड़े थे। कुछ देर बाद मैंने अपने बाएं स्तन पर कुछ दबाव महसूस किया। देखा तो तीन लड़के पीछे खड़े हुए थे। शक्ल से लगता था कि वे किसी कोचिंग क्लास वगैरह में जा रहे हैं क्योंकि उनके पास भी लैपटॉप थे।

मैंने कुछ भी प्रतिक्रिया नहीं दी। इस वजह से उन लोगों की थोड़ी हिम्मत बढ़ गई और वह मुझे इधर उधर छूने का प्रयास करने लगे। अब तो मुझे भी अच्छा लग रहा था और मैं गर्म भी होने लगी थी। अपनी तरफ से उन लड़कों को हिंट देने के लिये मैं अपने पीछे खड़े लड़के को देखकर थोड़ा सा मुस्कुराई और थोड़ा पीछे खिसक गई जिससे कि मेरे पीछे के लड़के के साथ मैं थोड़ा सटकर खड़ी रह सकूं।

फिर तो लड़कों की जैसे लॉटरी निकल आई। उन्होंने मेरे नितंबों को दबाना शुरू किया और मम्मों को भी। मैं बड़ी मुश्किल से अपने सीत्कार रोक पा रही थी।

एक लड़के ने मेरे कान में धीरे से पूछा- मजा आ रहा है ना जानेमन?
मैंने उसे आंख के इशारे से हां मैं जवाब दिया।
“तो चलो ना हमारे साथ … तुम्हें जन्नत का आनंद देंगे।” उस लड़के ने दोबारा बोला जिसका मैंने कोई जवाब नहीं दिया।

बस जब पूजा पार्क के पास से गुजरी तो मैं बस से उतर गई और पूजा पार्क में घुस गई। तेज तेज कदमों से चलकर मैं पूजा पार्क के एक कोने की तरफ जा कर बेंच पर बैठ गई।
बहुत जल्दी वे तीनों लड़के भी मेरे पास आ गए। मेरा दिल डर कर बहुत तेजी से धड़क रहा था।

मेरे पास आकर उन लड़कों में से एक ने बोला- क्या चाहिए रानी तुम्हें?
मैंने सुनकर कुछ जवाब नहीं दिया।
तब उसने दोबारा बोला- हमारे साथ चलो, तुम्हारे सारे छेद खोल देंगे और तुम्हें जन्नत का मजा देंगे।
अब मैंने हिम्मत करके बोला- मैं कहीं नहीं जाऊंगी। हां यदि आप लोग चाहो तो दो लड़के मेरे होटल में आकर मेरे साथ मजे लूट सकते हो कुछ इस तरह से।
यह बोल कर मैंने उन्हें अपने मोबाइल में रखी हुई एक चुदाई की फोटो दिखाई जिससे उन्हें यह मालूम हो जाए कि मैं क्या चाहती हूं।

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फोटो देख कर उसमें से एक ने मेरे मजे लेते हुए बोला- हम तीनों को बुला लो ना अपने होटल में!
मैं थोड़ा कड़ा रुख अपनाते हुए बोली- तीन क्यों?
तब उसने बोला- दो लड़के तेरी चुदाई करेंगे और तीसरा फिल्म बनाएगा।

इस पर मैं नाराज होकर बोली- मुझे अपनी फिल्म नहीं बनवानी है इसीलिए सिर्फ दो को बुला रही हूं और हां मेरे पास अगर आना है तो अपने मोबाइल मेरे पास जमा कर के ही चुदाई शुरू कर पाओगे। अगर तुम्हें ठीक लगता है तो जैसा मैं बोलती हूं वैसा करो, अन्यथा मैं जा रही हूं।
और यह बोल कर मैं उठने लगी।

तब इनमें से एक लड़के ने कहा- इस बात की क्या गारंटी है कि तुम होटल में बुलाकर हम लोगों को फंसा तो ना दोगी?
मैंने भी गुस्से में बोला- अगर मुझे चुदने की इच्छा नहीं होती तो मुझे कोई शौक नहीं था जो इतनी सुबह बिना पैंटी के बस में सफर करती।

उसमें से एक लड़के ने मेरी स्कर्ट ऊपर उठा कर देखा। मुझे स्कर्ट के नीचे नंगी देखकर तीनों ने मेरी चिकनी चूत देखी।
मेरा गुस्सा अभी तक शांत नहीं हुआ था। मैंने अपनी स्कर्ट नीचे करते हुए कहा- अब तो विश्वास हुआ तुम्हें या अभी भी तुम्हें लगता है कि मैं तुम लोगों को फंसा दूंगी?

तीनों आपस में कुछ सलाह मशविरा करने लगे और फिर उसके बाद उन्होंने मेरे पास आकर बोला- ठीक है, हम तैयार हैं और हम होटल में आ जाएंगे, लेकिन हम कोई पैसे नहीं देंगे।
मैं बोली- मैं पैसे के लिए नहीं कर रही हूं। मैं खुद के मजे लेने के लिये ऐसा करना चाहती हूं।

तब उन लड़कों ने बोला- तुम एक लड़के को यहीं संतुष्ट कर दो और बाकी दो से होटल में चुदवा लेना।
मैंने इधर उधर देखा और कहा- यहां खुले में नहीं चुदवा सकती हूं।
तब उसमें से एक लड़के ने बोला- उस बड़े से पेड़ के पीछे चल, जल्दी से मैं तुझे चोद देता हूं और बाकी के दो लड़के आने-जाने वालों पर नजर रखेंगे।

मैंने कुछ सोच कर बोला- ठीक है. लेकिन तुम तीनों को अपने मोबाइल मेरे पास में पहले जमा कराने पड़ेंगे।
तीनों लड़कों के मोबाइल मैंने स्विच ऑफ करके अपने पर्स में रख लिये।

अब मैं उस लड़के के साथ में पेड़ के पीछे चली गई। मैंने अपने पर्स से निकाल कर उसे एक कंडोम दिया।
उस लड़के ने जिसका नाम रविंद्र था, कंडोम को अपने लंड पर चढ़ाया और मुझे पेड़ से सहारा लेकर झुकने के लिए कहा। मैंने ऐसा ही किया अब वह मेरे पीछे आ गया और अपना लंड मेरी चूत पर रखने लगा।

मैंने अपने हाथ से उसके लंड को अपने चूत का रास्ता दिखाया और बहुत जल्दी वह मेरी चूत में अपना लंड डालकर मुझे चोदने लगा।
चूत में लंड घुसते ही मेरे मुंह से सीत्कार फूटने लगे उम्म्ह… अहह… हय… याह… और मैं भी अपनी गांड आगे पीछे करने लगी। रविंद्र ने मुझे नितंब से पकड़ लिया और जल्दी-जल्दी चोदने लगा। क्योंकि किसी के देखने का भय भी हम दोनों को सता रहा था, इसलिए उसका पानी बहुत जल्दी निकल गया।

मैंने अपने कपड़े ठीक किए और पेड़ की आड़ से वापस बाहर आकर सभी को उनके मोबाइल वापस कर दिए।

अब मैंने बाकी के दोनों लड़कों जिनका नाम अभिजीत और विजय था को अपना प्लान समझाया।
मैंने उन्हें बोला कि वे एक घंटे बाद मेरे होटल में आएंगे और डॉली मैम से मिलना है, यह बोल कर अपना आईडी प्रूफ रिसेप्शनिस्ट को दिखा कर मेरे पास आ जाएंगे और आने से पहले कुछ अच्छे कंडोम और डिस्पोजेबल रेजर खरीद कर आएंगे।
तब दोनों ने मुझसे पूछा- रेजर किस लिए?

मैं बोली- ताकि तुम लोग चुदाई से पहले अपने लंड शेव कर सको। मुझे बढ़ी हुई झांटें पसंद नहीं हैं।

इतना बोल कर मैं अपने होटल की तरफ चल दी।

रविन्द्र के लंड ने मेरी चूत में हलचल तो मजा ही दी थी। जल्दी से होटल में आकर मैं तैयार होकर दोनों लड़कों का इंतजार करने लगी।

कहानी जारी रहेगी....


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