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10 February 2015

जंगल में चूत का मंगल

जंगल में चूत का मंगल


दोस्तो, मेरा नाम कृति वर्मा है, शादीशुदा हूँ, दो बच्चे हैं जो स्कूल में पढ़ते हैं।

पति का दिल्ली में बिज़नस है।

अभी 2 साल पहले मेरे पति ने ऋषिकेश में अपनी नई फ़ैक्टरी लगाने के लिए ज़मीन ख़रीदी, उसके बाद वहाँ पर कन्स्ट्रकशन का काम शुरू करवा दिया।

मुझे वहाँ जाने का मौका नहीं मिला।
पर जब सारा काम मुकम्मल हो गया तो मेरे पति मुझे वहाँ लेकर गए।

मुझे वहाँ की आबो हवा बहुत अच्छी लगी।

हमारी फ़ैक्टरी लगभग जंगल में ही थी।
फ़ैक्टरी के पास ही एक छोटा सा घर भी मेरे पति ने बनवाया था।

घर के पास से ही एक कच्ची पगडंडी नीचे घाटी की तरफ जाती थी जो एक गाँव में पहुँचती थी, मगर गाँव बहुत दूर था।

2-4 दिन तो ठीक ठाक कटे पर बाद में मैं बोर होने लगी, अब सारा दिन घर में क्या करती।

एक दिन सोचा कि चलो नीचे गाँव में चल कर देखती हूँ।

अपने पति को फ़ैक्टरी भेजने के बाद मैं तैयार हो कर कच्ची पगडंडी पे चल पड़ी।

थोड़ा सा आगे जाने पे तो पूरा जंगल शुरू हो गया, बिल्कुल शांत, सिर्फ झींगुर और किसी पंछी के बोलने के आवाज़ आ रही थी।

काफी देर चलने के बाद भी कोई गाँव नज़र नहीं आया। 
फिर मेरे भी दिल में थोड़ा डर आया के इस जंगल में अकेली मैं, अगर कोई जंगली जानवर आ जाए तो?

फिर खयाल आया अगर कोई आदमी आ जाए और यहाँ मेरा रेप यानि बलात्कार कर दे यानि मुझे चोद दे तो?

इस ख्याल से ही मेरे तन बदन में झुरझुरी सी हो गई।

मान लो अगर मेरा रेप यहाँ हो जाता है तो मैं क्या करूंगी, क्या मैं उस बलात्कारी का विरोध करूँगी या खुद ही उसे अपनी मर्ज़ी से सेक्स करने दूँगी, अगर अपनी मर्ज़ी से ही सेक्स करने दिया तो फिर रेप कैसे हुआ?
नहीं, मैं पूरी ताक़त से उसका विरोध करूँगी, हाँ बाद में उससे कह दूँगी कि मुझे भी बहुत मज़ा आया।

अभी मैं यह सब सोचती सोचती चली जा रही थी कि थोड़ी दूरी पर मैंने एक झोंपड़ी देखी।

मैं अनायास ही उस झोंपड़ी की तरफ बढ़ गई।

जब मैं उस झोंपड़ी के पास पहुँची तो मुझे लगा जैसे यह किसी साधू की कुटिया है।

मैं अंदर गई तो देखा कि अंदर एक साधू बाबा ध्यान में मग्न बैठे हैं, सर पे जूड़ा, बढ़ी हुई दाढ़ी, चौड़े कंधे, उम्र करीब 45-50 साल। बाल अध-पके, सीना भी बालों से भरा हुआ।

देखते ही बाबा के लिए मन में श्रद्धा भर आई, मैंने झुक कर बाबा के चरणों में प्रणाम किया।

बाबा ने आँखें खोली और मुझे आशीर्वाद दिया- कहो बच्चा, इतनी दूर यहाँ कैसे आई?'
बाबा ने पूछा।

'बाबाजी, हमारी फ़ैक्टरी है यहाँ, वो जो ऊपर सड़क के पास नई बनी है न वो वाली, मैं तो बस गाँव की तरफ जा रही थी, रास्ते में आपकी कुटिया देखी तो आपका आशीर्वाद लेने चली आई।' मैंने जवाब दिया।

'अच्छा, अच्छा, क्या बनाते हो फ़ैक्टरी में?' बाबा ने पूछा।

'जी दवाइयाँ बनाते हैं बहुत सारी…' मैंने कहा।  

लेकिन मैंने यह भी गौर किया कि बाबा बात करते करते कई बार मेरे स्तनों को भी देख रहे थे, बातचीन के दौरान उन्होंने मेरे सारे बदन का मुआयना कर लिया था।

खैर उस दिन तो कोई ज़्यादा बात नहीं हुई, और मैं थोड़ी देर बाद ही बाबा का आशीर्वाद लेकर वापिस आ गई।

वापिस आते समय मुझे पेशाब करने की इच्छा हुई तो मैंने आसपास देखा तो कहीं भी कोई नहीं था।

तो मैंने भी मस्ती करने की सोची और कच्ची पगडंडी के बीच में ही मैंने अपनी साड़ी ऊपर उठाई और बैठ कर पेशाब करने लगी।

मैं चाहती थी कि कोई अकस्मात ही आ जाए और मुझे नंगी को पेशाब करते देख ले।

मगर कोई नहीं आया।

मैंने ज़ोर से बोला, 'अरे कोई है, एक सुंदर गोरी चिट्टी औरत सड़क पे मूत रही है, कोई तो आ के देख ले।

मगर कोई नहीं आया।

मैंने मन में सोचा कि मैं यह क्या कर रही हूँ।
पर मस्ती तो मेरे दिमाग पे चढ़ी हुई थी।

मैं पेशाब करने के बाद भी बड़े आराम से उठी, चलते चलते अपनी पेंटी ऊपर की और काफी दूर तक अपनी साड़ी ऊपर उठाए चलती रही, मगर मुझे रास्ते में कोई नहीं मिला।

फिर मैं भी निराश सी हो कर अपने घर को चली गई। 

रात को पतिदेव ने खूब तसल्ली करवाई।
मगर मेरे मन में तो कुछ और ही चल रहा था।

अगले दिन सुबह मैं फिर से तैयार हो कर जंगल की तरफ चल पड़ी।

आज मैंने टी शर्ट और कैप्री पहनी हुई थी। कपड़े स्किन टाईट होने की वजह से मेरे बदन की हर गोलाई बड़ी उभर कर दिख रही थी।

मैं वैसे ही घूमती-घामती फिर बाबाजी की कुटिया की तरफ चल दी।

आज बाबाजी कुटिया में नहीं थे।

मैंने कोई आवाज़ नहीं की बस बड़ी शांति से घूमते हुये कुटिया के पीछे गई।

वहाँ बाबा एक छोटा सा लंगोट पहने लकड़ियाँ काट रहे थे।

बाबा का शरीर बड़ा ही कसा हुआ था। लंगोट ने सिर्फ उनका लिंग ही छुपा रखा था, वर्ना इस लिबास में बाबा तो बिल्कुल नंगे ही थे। 
उनकी दो मजबूत म्स्कुलर टाँगें और उन टाँगों के ऊपर दो बड़े से गोल चूतड़।
आज बाबा के कसरती बदन के भरपूर नज़ारा दिखा था।
बस देखते ही मेरी तो चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया।

मैंने वैसे ही सोचा कि बाबा इतने बलिष्ठ हैं, अगर कोई कुँवारी कन्या को ये चोदने लग जाएँ तो ये तो उसकी बैंड बजा देंगे, कुँवारी क्यों अगर मेरे को चोदे तो मेरी भी तो बैंड बजा देंगे।

यह सोच कर मेरे मन में एक विचार आया। मैंने अपनी टी शर्ट के ऊपर के तीनों बटन खोल दिये ताकि मेरा एक बड़ा सा क्लीवेज दिखे।

अब आधी छातियाँ नंगी और आधी टाँगें नंगी लेकर अगर मैं बाबा के सामने जाऊँ तो हो सकता है कि बाबा की घंटी बज जाए और मैं बाबा जैसे बलिष्ठ और बलवान मर्द का भी सुख भोग सकूँ।

यह सोच कर मैं बाबा के पास ही चली गई और उन्हें प्रणाम किया- प्रणाम बाबा!
मैंने कहा।

बाबा मुझे देख कर बिल्कुल भी नहीं सकपकाए, बल्कि बड़े विश्वास से बोले- जीती रहो बच्चा, भगवान तुम्हारा कल्याण करें!

'बाबा भगवान का पता नहीं पर आप मेरा कल्याण ज़रूर कर सकते हैं।'
मेरे दिल की बात मेरी ज़ुबान पर आ ही गई।

अब बाबा थोड़ा चौंके- क्या मतलब, बच्चा?

'बाबा पति पर काम का बोझ बहुत ज़्यादा है, वो तो मेरी तरफ बिल्कुल भी ध्यान नहीं देते। काम से आते हैं, खाना खा कर सो जाते हैं, और मैं बिस्तर पे तड़पती रहती हूँ। आप बताओ बाबा, मेरे सुंदर रूप में क्या कमी है?' मैंने बाबा से कहा।

बाबा ने मुझे ऊपर से नीचे तक किसी बड़े ठरकी की तरह घूरा और कहा- तुम तो परमात्मा की एक बहुत ही सुंदर कृति हो।

'वही तो… इस सुंदर रूप और इस आकर्षक बदन को जब पति देखे ही न, तो औरत क्या करे?' यह कह कर मैंने जान बूझ कर रोने का नाटक करना शुरू किया।

बाबा बोले- मैं तुम्हें एक जड़ी देता हूँ, अपने पति को देना और फिर देखना!

यह कह कर बाबा अंदर झोंपड़ी में चले गए तो मैं भी उनके पीछे पीछे झोंपड़ी के अंदर चली गई।

बाबा ने अपन आसन ग्रहण किया और अपने झोले से एक जड़ी बूटी सी निकाली।

मैं बिल्कुल बाबा के चरणों के पास नीचे बैठ गई मैंने उनके पाँव पकड़े और अपना सर उनकी गोद में रख दिया और जानबूझ कर रोती रही जैसे मैं बहुत दुखी हूँ।

बाबा ने मेरे सर पे हाथ फेरा और मुझे ढांडस बँधाया- चिंता मत कर बेटी, यह जड़ी बहुत कारगर है, 2-3 दिन में ही अपना असर दिखा देगी।
बाबा बोले।

मुझे लगा कि बाबा चाहते थे कि मैं उनके पाँव छोड़ कर उनके सामने ठीक से बैठ जाऊँ, पर मैंने बाबा के पाओं नहीं छोड़े।

बाबा ने एक दो बार मेरा सर अपने चरणों से उठाने की भी कोशिश की मगर मैं नहीं हटी।

यह स्थिति शायद बाबा के लिए भी बड़ी अजब रही होगी।

मेरे आँसू बाबा के टखनों पर गिर रहे थे, मेरी गर्म साँसें बाबा की एड़ियों को छू रही थी।

थोड़ी देर बाद मुझे एहसास हुआ जैसे कोई चीज़ मेरे माथे को छू रही थी, अपने अंदाजे से मैं जान गई थी के बाबा का लौड़ा खड़ा हो गया है।

मैंने सर उठा कर बाबा की तरफ देखा।

बाबा बड़े प्यार से मेरा सर सहला रहे थे और उन्होंने भी बड़े प्यार से मेरी आँखों में देखा।

मैंने देखा कि बाबा के लंगोट को लौड़े ने ऊपर उठा रखा था और उनके आँड और आस पास गहरे घने बाल भी दिख रहे थे।

मैंने बाबा के लण्ड को घूरते हुये बाबा से पूछा- बाबा प्रसाद नहीं दोगे?

'कौन सा प्रसाद चाहिए बेटी?' बाबा ने भी कुछ बनावटी अंदाज़ में कहा।

'मुझे इसका प्रसाद चाहिए!' कह कर मैंने अपनी उंगली से बाबा के तने हुये लण्ड को छू कर कहा।

बाबा ने अपना लंगोट एक तरफ हटा कर अपना लौड़ा बाहर निकाला और कहा- लो बेटी, पिछले 13 साल से इसने कभी किसी स्त्री की योनि को नहीं देखा है, जब से यहाँ आया हूँ, मैं ब्रह्मचर्य का पालन कर रहा था, मगर तुम मेनका बन कर आई और मेरा ब्रह्मचर्य भंग कर दिया।

मैंने बाबा के लवड़े को अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया।

बाबा का लण्ड बहुत ही मजबूत और डंडे की तरह बिल्कुल सीधा था।
मैंने बिना कुछ कहे बाबा के लण्ड को अपने मुख में लेकर चूसना शुरू कर दिया।

बाबा ने अपनी टाँगें खोल दी और अपना लंगोट भी उतार दिया।

मैंने बड़ी तसल्ली से बाबा का सारा लण्ड, उनके आँड और अगल बगल सारी जगह को चाटा।

बाबा भी 'ऊह, आह…' कर रहे थे, जब गुदगुदी होती तो उचक जाते, मेरे सारे बदन पे हाथ फेरते रहे और मेरे स्तनों से खेलते रहे।

थोड़ी देर चूसने के बाद बाबा उठे और उन्होंने एक गद्दा, एक रज़ाई उठाई और फर्श पे बिछाई।

'यहाँ आ जाओ, यहाँ भोग लगाऊँगा मैं !' बाबा बोले।

तो मैं रज़ाई के ऊपर आ गई।

बाबा ने मुझे खड़ा रखा और बड़े प्यार से मेरी टाँगों को चूमा और चाटा जो मेरी कैप्री के बाहर दिख रही थी, मेरी जांघों को सहलाया, मेरे चूतड़ों को ज़ोर ज़ोर से दबाया, सहलाया, चूमा।

'जानती हो, जब मैं शहर में जाता हूँ और वहाँ लड़कियों और औरतों को इस तरह के कपड़ों में देखता हूँ तो बड़ा दिल करता है के इसकी गाँड में उंगली डाल दूँ, उसके चूतड़ों पे कस के चपत मारूँ, मगर मैं ऐसे कर नहीं सकता, बस मन मसोस के रह जाता था, आज मैं अपनी इच्छा पूरी करनी चाहता हूँ।' बाबा ने अपना दिल खोला।

मैंने भी कहा बाबा, आज मैंने आपने आप को आपको अर्पण कर दिया, मेरा जो चाहो कर लो।

मेरी सहमति पा कर बाबा ने मेरी गाँड को बहुत प्यार किया, बहुत सहलाया और चपात मार मार के दोनों चूतड़ लाल कर दिये।

फिर बाबा ने मुझे अपने हाथों से एक एक कपड़ा उतार के बिल्कुल नंगी कर दिया।

मेरे नंगे बदन को बाबा ने बड़े प्यार से देखा, मेरी जाघों पे हाथ फिराया, जीभ से चाटा, मेरे पेट और कमर पे भी चूमा-चाटी की।
मेरे स्तनों को सहलाया, दबाया, निचोड़ा, मेरे निपल मुँह में लेकर चूसे, उन्हें दाँतो से काटा।
मेरी गर्दन को चूमा, मेरे गालों को चूसा, होंठ चूसे अपने जीभ मेरे मुँह में घुमाई।

मतलब बाबा ने बड़ी तसल्ली से मुझे चूसा।

उसके बाद मुझे नीचे लेटाया।

मैंने खुद ब खुद अपनी टाँगें खोल दी तो बाबा मेरी टाँगों के बीच में आ गए, अपना लण्ड उन्होंने मेरी चूत पर टिकाया जो पहले से ही बेतहाशा पानी छोड़ रही थी।

बाबा ने हाथ जोड़े, किसी देव को ध्याया और हल्का धक्का मारा, जिस से उनका लण्ड मेरी प्यासी चूत में समा गया।

2-3 धक्कों में ही पूरा लण्ड मेरी चूत में अंदर तक घुस गया।

बाबा का लण्ड बहुत ही शानदार था, मोटा और लंबा और मेरी चूत को अंदर से बाहर तक पूरा भर दिया।

बाबा ने पहले धीरे से चुदाई शुरू की, उनके हर धक्के के साथ मेरे मुख से हल्की सी सिसकारी निकल जाती।

मैं 'ऊह, आह, अम्म, उफ़्फ़' कर रही थी मगर बाबा बड़े शांत स्वभाव से संभोग कर रहे थे।

मेरी बेचैनी बढ़ रही थी मगर बाबा बड़े इतमीनान से लगे रहे।

जब मेरी उत्तेजना बढ़ गई तो मेरी सिसकारियाँ, चीख़ों में बदलने लगी- ऊफ, मर गई बाबा, थोड़ा और ज़ोर से धक्का मार, बाबा आज तो मुझे मार दो, उफ़्फ़ बाबा ऐसा आनंद तो आज तक नहीं आया, बाबा और ज़ोर से, और तेज़, और तेज़'

पता नहीं मैं आनन्द में क्या क्या बड़बड़ा रही थी।

बाबा ने अपने दोनों पाँव पीछे को मोड़े, अपने दोनों हाथों के जोड़ कर उँगलियों को आपस में फंसा कर एक अजीब सा आसन बनाया और उसके बाद बाबा ने अपनी स्पीड और तेज़ कर दी।

बाबा धड़ाधड़ मुझे चोद रहे थे, मेरी चूत से निकालने वाली पानी की झाग बन गई थी जिस कारण चुदाई में 'फ़च फ़च, पिच पिच' की आवाज़ आ रही थी।

मैंने नीचे से कमर उचकानी शुरु की, मेरा बदन पसीने से भीगा पड़ा था और ऊपर से बाबा के बदन का पसीना भी चू कर मेरे बदन पे गिर रहा था।

5-6 मिनट बाद मैं तो बुरी तरह से झड़ी, मेरा दिल कर रहा था कि इसी आनन्द में अगर जान भी निकल जाए तो कोई गम नहीं। 
मगर बाबा उसी रफ्तार से लगे रहे।

मैं निढाल हो कर लेटी थी, पर बाबा धाड़-धाड़ अपने लण्ड से मेरी चूत की पिटाई कर रहे थे।
मैंने पूछा- बाबा, ये जो आपने आसन सा बनाया है इसका क्या फायदा?

'इस आसन से पुरुष जितनी देर चाहे संभोग कर सकता है, ना तो उसका लिंग ढीला पड़ेगा ना ही उसका वीर्यपात होगा।' बाबा ने बताया।

'वाह, यह तो बहुत कमाल की बात है।' मैंने कहा।

बाबा लगे रहे।

बाबा की रगड़ाई से मेरा फिर से मन उत्तेजित होने लगा, मेरी चूत फिर से पानी छोड़ने लगी।

'देखा बेटी, तुम फिर से तैयार हो गई, अगर पुरुष दो तीन बार स्त्री को सखलित न करे तो उसका कोई फायदा नहीं।'
बाबा साथ की साथ प्रवचन भी करते जा रहे थे।

इस बार मुझे भी झड़ने में 15 मिनट से ज़्यादा लगे।

मगर यह बात मैंने देखी, बाबा को न थकान हुई, न उनका सांस फूला, वो बड़े आराम से करते रहे।

जब मैं दूसरी बार स्खलित होकर, निढाल हो कर नीचे लेटी थी तो मैंने कहा- बाबा अब बस करो, मेरी पूरी तसल्ली हो चुकी है, अब तो जैसे चूत में दर्द सा होने लगा, अब आप भी स्खलित हो जाओ, और मेरी चूत को अपने आशीर्वाद से भर दो।

बाबा बोले- बेटी, अभी मैं तुमको 2 बार और स्खलित कर सकता हूँ, मैंने अपने शरीर को ऐसे ढाला है कि जब तक मैं न चाहूँ, मैं स्खलित नहीं होऊँगा।

'नहीं बाबा, अब नहीं, अब तो दर्द सा होने लगा है।' मैंने अपनी कही।

सच तो यह था कि मेरी तो फटी पड़ी थी, ऐसी चुदाई तो मैंने अपनी ज़िंदगी में आज तक नहीं भोगी थी।

बाबा ने मेरी पूरी तसल्ली करवा दी थी।

उसके बाद बाबा ने अपना आसन खोला और बस फिर तो 2 मिनट भी नहीं लगे, बाबा के वीर्य का तो जैसे बांध ही टूट गया हो, उनके लण्ड से निकलती पिचकारियों से मेरा तो सारा बदन भर गया।

मैंने आज तक किसी पुरुष का इतना वीर्यपात होते नहीं देखा था।

जो वीर्य मेरे चेहरे और स्तनों पे गिरा था वो तो मैंने चाट ही लिया और बाबा का लण्ड मुँह में लेकर भी चूसा, उसमें भी बाबा ने एक दो बार मेरे मुँह में अपने वीर्य की पिचकारी मारी।

उसके बाद न जाने कितनी देर हम दोनों नंगे ही लेटे रहे।

फिर मैं उठी- बाबा, मैं नहाना चाहती हूँ।

तो बाबा मुझे अपनी झोंपड़ी के पीछे ले गए वहाँ उन्होंने पानी भर के रखा था।

वहाँ हम दोनों खुले जंगल में एक साथ नीले आसमान के नीचे नहाये।

नहाने के बाद झोंपड़ी के अंदर आए और मैंने हम दोनों के लिए खाना बनाया।

हम दोनों सारा समय नंगे ही रहे।

खाना खाकर दोपहर बाद हमने फिर एक लंबी पारी खेली और इस बाबा ने मुझे तीन बार स्खलित किया।

उसके बाद तो यह हर रोज़ का खेल हो गया।

धीरे धीरे बाबा ने मेरे सारे छेद खोल दिये।
मैंने कभी गाँड में नहीं किया था, पर बाबा ने मेरे आगे पीछे ऊपर नीचे हर छेद में लिंग घुसा दिया।

हर रोज़ बाबा किसी नए आसन में मुझे भोगते, उन्होंने तो पूर काम शास्त्र भी मुझे समझा दिया।

अब तो मेरा दिल करता था का सब कुछ छोड़ छाड़ के बाबा के पास ही आ बसूँ।

हम अक्सर जंगल में बिल्कुल नंगे घूमते, जहाँ दिल करता वहाँ संभोग करते।

थोड़ी दूर पे एक छोटा सा झरना था, वहाँ पे जा कर नंगे नहाते।

यह समझो कि मैंने बाबा के साथ अपने हनीमून का भरपूर आनन्द लिया।
बाबा ने भी मुझे जी भर के प्यार दिया। 
जिस दिन वापिस आना था मैं बाबा से लिपट कर बहुत रोई।

मैं करीब 10 दिन वहाँ रही और इन दस दिनों में करीब 50 से ज़्यादा बार स्खलित हुई।

बाबा ने मेरी ऐसी संतुष्टि करवाई कि मैंने वापिस दिल्ली आकर दो महीने तक पति को पास नहीं आने दिया।

13 September 2014

अपनी चूत खुद ही फाड़ दी

अपनी चूत खुद ही फाड़ दी





सम्पादक : अरविन्द
मैं रोशनी जैन, मेरी उम्र 38 साल है, बदन 38D-31-38 है.
पाँच साल पूर्व मेरी पति की मृत्यु एक कार दुर्घटना में हो गई थी। मेरी कोई औलाद भी नहीं है। पर मेरे पति बहुत आकर्षक थे, मुझे बहुत प्यार करते थे.
अब मैं उसी प्राइवेट कम्पनी में नौकरी कर रही हूँ जहाँ मेरे पति काम करते थे। पिछले पाँच साल में मुझे किसी का मर्दाना साथ नसीब नहीं हुआ। ऐसा नहीं कि किसी मर्द ने मेरे पास आने की कोशिश ही नहीं की, बल्कि मैंने ही किसी को अपने पास नहीं आने दिया।
मैं अकेली रहती रही और रहती हूँ !
मैं अपनी यौन जरूरतें अपनी उंगली, घर में रखी हुए सब्जियों जैसे बैंगन, तोरी, खीरा, केला गाजर से पूरी करती हूँ। कई बार जब बहुत मन चाहता है तो अपनी कुछ ऑफ़िस फ्रेंड्स को बुला लेती हूँ और ब्ल्यू फ़िल्म देख कर आपस में एक दूसरी को मज़ा देती हैं।
इस कहानी में मैं आपको कुछ रोचक घटनाएं जो पिछले पाँच सालों में मेरे साथ हुई, वो आपको बताऊँगी।
चूँकि मुझे पता था कि अब मैं शादी नहीं करूँगी इसलिए मैंने अपनी फ़ुद्दी के साथ कुछ अलग ही प्रैक्टिकल किया था, मगर आप लड़कियाँ, बहनें और आंटी प्लीज़ आप ऐसा कुछ करने की कोशिश मत करना, इन सब से दूर ही रहना…
एक दिन मैं रसोई में तोरी काट रही थी, मैंने काफ़ी दिनों से फ़ुद्दी के बाल साफ नहीं किए थे, मुझे फ़ुद्दी पर खारिश शुरू हो गई, मैं घर में अकेली थी, मैंने एक दो बार फ़ुद्दी पर खुजली की मगर साली खारिश फिर भी लगी हुई थी।
मेरे हाथ में एक बड़ी दस इन्च लंबी और तीन इन्च मोटी तोरी थी, मुझे अपनी फ़ुद्दी पर बहुत गुस्सा आ रहा था कि मैंने सुबह ही तो स्नान किया था तो अब फ़ुद्दी में खुजली क्यों हो रही है, मैंने सलवार का नाड़ा खोल कर सलवार उतार दी, मैंने वो मोटी तोरी गुस्से में  आकर अपनी फ़ुद्दी में पूरी उतार दी जिससे मेरी फ़ुद्दी के लबों से थोड़ा खून भी निकल आया और मैं दर्द के मारे चीखने लगी।
खैर जब तोरी को फ़ुद्दी में घुमाया तो खून निकलना रुक गया, तो मैं उस मोटी तोरी से अपनी फ़ुद्दी को चोदने लगी।
दोस्तो, ऐसा मज़ा मुझे पहला कभी नहीं आया था, जो उस दिन आया था, अपने हाथों से अपनी फ़ुद्दी फाड़ कर !
फिर मैं जिस छुरी से तोरी काट रही थी, उसी से फ़ुद्दी के बाल काटने लगी, एक हाथ की उंगलियों से बाल पकड़ कर उन पर ऐसे छुरी चला रही थी कि जैसे मैंने उन्हें हलाल कर रही हूँ। बाल तो क्या कटने थे, मुझे काफ़ी तकलीफ़ हुई पर इस दोहरी तकलीफ़ में मुझे खूब यौनानन्द मिला और मेरी फ़ुद्दी शांत हो गई, फुद्दी का वीर्य भी निकल आया।
फ़िर तो वो मैंने तोरी छिलके समेत बिना धोये कुकर में डाल कर पका ली और मज़ा ले ले कर खा गई।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैंने वो सब्जी अपनी पड़ोसन को भी दी, बाद में उसने मुझे बताया कि सब्जी बहुत स्वादिष्ट थी।
मैंने दिल में सोचा- अपनी फ़ुद्दी फाड़ कर जो पकाई थी।
मैं आप सब बहनों, भाभियों, आन्टियों और बहु-बेटियों से एक बार फ़िर गुजारिश करती हूं कि ऐसा करने की कोशिश मत कीजिएगा।
दूसरी घटना:
होली का दिन था, मेरी ऑफ़िस की तीन सहेलियाँ मुझसे मिलने घर पर आ गईं। उस दिन वैसे ही मेरा मूड ऑफ था, वो सालियाँ मुझे बताने लगी कि उनके पतियों ने उन्हें कस कर चोदा, जिससे मेरा दिल भी लण्ड लेने को करने लगा और वो सालियाँ मज़े से अपनी चुदाई की कहानियाँ सुना रही थी। मुझे गुस्सा आ रहा था मगर मैंने कंट्रोल किया।
मेरे ज़हन में एक आइडिया आया, मैंने अपनी सहेलियों को हार्ड ड्रिंक की ऑफर की तो उन्होंने मना नहीं किया।
मैं रसोई में गई, शराब की बोतल निकाली, एक गिलास भरा और बाकी एक जग में पूरी बोतल उलट दी। मैंने अपनी साड़ी को ऊपर किया, पैंटी नीचे की और अपनी फ़ुद्दी से जग में पेशाब करने लगी, मैंने सोचा कि अब सालियों को मज़ा आएगा।
मैंने जग से दोबारा शराब एक सादी बोतल में डाली और उन रण्डियों के सामने तीन गिलास, बोतल, सोडा वगैरा रख दिया। बार बार रसोई से सामान लाने के चक्करों में मैं अपना गिलास भी ले आई, उन्हें पता नहीं लगने दिया।
वे सब पैग बना बना कर पीने लगी।
मैंने पूछा- कैसा लग रहा है?
सबबे कहा- यह बहुत मजेदार है, लेबल तो है ही नहीं?
मैं बोली- लेबल कहाँ से होगा, देसी है, गाँव की भट्टी की !
और मैं दिल में हँसने लगी।
फिर जब उन्होंने 3-3 पैग लगा लिए तो मैं एक बार फिर बोली- मज़ा आया ना?
सबने कहा- हाँ, मगर वो नशा नहीं है, जो होता है।
मैंने कहा- हाँ, तुम्हें शराब का नशा थोड़े ही होगा, तुम तो लण्ड के नशे में रहती हो।
और वो सब हँसने लगी।
मैं आप सब बहनों, भाभियों, आन्टियों और बहु-बेटियों से एक बार फ़िर गुजारिश करती हूं कि ऐसा करने की कोशिश मत कीजिएगा।
अगली घटनाएँ मैं अगले भाग में पेश करूँगी।
This teeny knew her boyfriend was up to something when he got all charming, gallant and stuff at the end of the date
मैं रोशनी जैन, मेरी उम्र 38 साल है, बदन 38d-31-38 है.
मैं अकेली  रहती हूँ !
मैं अपनी यौन जरूरतें अपनी उंगली, घर में रखी हुए सब्जियों जैसे बैंगन, तोरी, खीरा, केला गाजर से पूरी करती हूँ।
चूँकि मुझे पता था कि अब मैं शादी नहीं करूँगी इसलिए मैंने अपनी फ़ुद्दी के साथ कुछ अलग ही प्रैक्टिकल किया था, मगर आप
लड़कियाँ, बहनें और आंटी ल्पीज़ आप ऐसा कुछ करने की कोशिश मत करना, इन सब से दूर ही रहना…
तीसरी घटना: दोस्तो, वह शनिवार की रात थी, मेरा बहुत मन कर रहा था सेक्स को, मगर कुछ अच्छा नहीं लग रहा था, मैं बहुत उदास थी। मैं पियक्कड़ नहीं हूँ मगर उस दिन मैंने पांच पैग देसी शराब के पी लिए, फिर मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिये और पूरी नंगी हो गई, मैंने टेप रेकॉर्डर मैं फास्ट म्यूज़िक की कैसेट चला दी और अकेली नंगी नाचने लगी, झूम कर कभी एक तरफ गिरती, कभी दूसरी तरफ, कभी अपनी फ़ुद्दी में उंगली डालती, कभी चूचियाँ हिला हिला कर थिरकाती, मैं बहुत ज्यादा नशे में थी, जब चूत में उंगली डालने से मेरी चूत गीली होने लगी तो मुझे और कुछ मिला नहीं, मैंने शराब की बोतल उठाई और फ़ुद्दी में उसका पतला सिरा डाल कर नाचने लगी, बोतल को फ़ुद्दी मैं अन्दर-बाहर करने लगी।
मैं एक बार ज़मीन पर उल्टी लेट गई और शराब की बोतल को फ़ुद्दी के नीचे रख कर ऊपर से ज़ोर लगाने लगी। पौन लिटर वाली बोतल का पतला हिस्सा सारा मेरी चूत में घुस गया था और उसके बाद मोटे वाला हिस्सा भी थोड़ा सा मेरी फ़ुद्दी में घुस गया पर इससे आगे नहीं जा रही थी क्योंकि बोतल बहुत मोटी थी, मैंने बोतल निकाली और इधर उधर कुछ देखने लगी तो मुझे टूथ पेस्ट की बड़ी ट्यूब जो मैंने नई रखी थी नज़र आ गई। मैं टट्टी करने के अंदाज़ में बैठ गई जैसे टायलेट में बैठती हूं और टूथपेस्ट की ट्यूब पूरी अपनी फ़ुद्दी मैं लगाकर घुसा ली और फुद्दी को मज़ा देने लगी और डांस भी कर रही थी। बहुत ज्यादा घुमाने और अन्दर-बाहर करने से टूठपेस्ट की ट्यूब मेरी फ़ुद्दी में खुल गई और काफ़ी पेस्ट अन्दर निकल गया व ढक्क्न मेरी फ़ुद्दी के अंदर घुस गया। नशे में तो मुझे समझ नहीं आया और मैं ऐसे ही नंगी फ़ुद्दी को शांत करके सो गई। मगर जब अगले दिन उठी तो मेरी फ़ुद्दी में बहुत जलन हो रही थी, मैंने बाथरूम में जाकर अंदर से अपनी फ़ुद्दी को साफ़ किया तो ट्यूब का ढक्कन निकला और पानी से फ़ुद्दी धोई तो जलन कम तो हो गई मगर ख़त्म नहीं हुई।
इस घटना को याद कर का मुझे बहुत हँसी आती है और घबराहट भी होती है कि अगर पेस्ट की ट्यूब का ढक्कन मुझसे ना निकल पाता या वो अन्दर मेरी बच्चेदानी में चला जाता तो क्या होता?
मैं आप सब बहनों, भाभियों, आन्टियों और बहु-बेटियों से एक बार फ़िर गुजारिश करती हूं कि ऐसा करने की कोशिश मत कीजिएगा।
चौथी घटना- ऐसा ही एक और वाकिया, मैंने अपनी फ़ुद्दी का साथ एक प्रॅक्टिकल किया जिसकी वजह से मुझे पूरा एक हफ़्ता बिस्तर पर रहना पड़ा। मुझे एक दफ़ा ख़याल आया कि क्यों ना चूत मैं शराब डाल कर चेक करूँ और देखूँ कैसा लगता है, मैंने देसी शराब की बोतल निकाली, साथ मैं एक लम्बा-मोटा बैंगब भी, और अपना कपड़े उतार कर ब्लू फिल्म देखने लगी और साथ में फ़ुद्दी में लम्बा-मोटा बैंगन डालने लगी, जब मेरी चूत को बैंगन ने पूरी तरह खोल दिया तो मैंने अपनी फ़ुद्दी, जो पहले से ही बहुत बड़ी और खुली हुई थी, मैंने शराब की बोतल उठाई और अपनी चूत को सोफ़े के ऊपर टाँगें खड़ी कर के, फ़ुद्दी को दो उंगलियों से खोल कर दूसरे हाथ से फ़ुद्दी में शराब भरने लगी।
चूँकि मेरी टाँगें ऊपर की तरफ उठी हुए थी तो शराब फ़ुद्दी में अंदर तक चली गई, और मुझे काफ़ी जलन होने लगी, मैं कुछ देर तो स्जलन सहती हुई लेटी रही मगर जब असहनीय लगने लगा तो मैंने उठ कर चलना फिरना शुरू किया, मुझे ऐसा लगा कि मेरी फ़ुद्दी के अंदर किसी ने आग लगा दी है, जिससे मेरी आँखों से आँसू बहने लगे, मैंने जल्दी से पड़ोस की लेडी डॉक्टर को बुलाया, वो फ़ौरन आ गई, जब मैंने उसे सारी बात बताई तो उसने मुझे हॉस्पिटल चलने को कहा, वहाँ उसने मेरी फ़ुद्दी की जांच की, पता चला कि मेरी फ़ुद्दी के अंदर की नसें काफ़ी खराब हो गई थी। डॉक्टर ने मुझे एक हफ़्ते तक बेड रेस्ट का कहा, पूरा एक महीना मैंने अपनी फ़ुद्दी का साथ कुछ नहीं किया, सिर्फ़ फुद्दी में दवाई लगाती थी और फ़ुद्दी को ठण्डी रखने के लिये बर्फ़ की टकोर करती थी।
इसके बाद मैंने दोबारा ऐसा नहीं किया।
मैं आप सब बहनों, भाभियों, आन्टियों और बहु-बेटियों से एक बार फ़िर गुजारिश करती हूँ कि कदापिऐसा करने की कोशिश मत कीजिएगा।

24 March 2012

शालू की बाहों में (HINDI) SEXI STORIE







आज मैं आपको अपनी एक सहेली की कहानी सुनाने जा रही हूँ।
मेरी एक बहुत ही प्यारी सहेली है शालिनी।
उसकी उमर कोई 28 सालकद 5'6", फ़ीगर 34-28-36, गुलाबी रंगबड़ी-बड़ी आँखेंगुलाबी हों�¤ खूब फूले हुए स्तन,भरे-भरे चूतड़ और उनसे नीचे उतरती सुडौल जांघें। बहुत ही प्यारी और सेक्सी लड़की है वो। हम दोनों कॉलेज से एक साथ हैं और कोई बात एक दूसरे से छुपी हुई नहीं है। और हो भी कैसे सकती है क्योंकि कॉलेज के ज़माने से ही हम दोनों के बीच एक रिश्ता और बन गया।
एक रोज़ मैं उसके साथ उसके घर गई तो घर मैं कोई नहीं था। हम दोनों मज़े से बातें कर रहे थे और मैं उसे सता रही थी कि रविवार को तुम कपिल से मिली थी तो तुम दोनों ने क्या किया था बताओ न मुझे !
शालू शरमा रही थी। कपिल उसका चचेरा भाई था और दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे। दोनों अक्सर घूमने और पिक्चर देखने जाते थे। मेरे आग्रह करने पर उसने बड़े शरमाते हुए बताया कि उस दिन कपिल ने उसका चुम्बन लिया था।
मैंने उसे लिपटा कर उसका गुलाबी गाल चूम लिया- हे बेईमान ! अब बता रही हो?
तो वो शरमा कर हंस दी।
हे शालू ! बता ना और क्या किया था तुम दोनों ने?
बस ना ! सिर्फ़ चुम्मा लिया था उसने ! वो शरमा कर मुस्कराई।
ऐ शालू ! बता न प्लीज ! कैसे किया था?
हट बदतमीज़ ! वो प्यार से मुझे धक्का देकर हंस दी।
मैं उसकी भरी-भरी जांघों पर सिर रख कर लेट गईउसके गोल गोल दूध मेरे चेहरे के ऊपर थेमैंने धीरे से उसके दाएँ दूध पर उंगली फेरी- क्यों शालू ! ये नहीं दबाये कपिल ने?
तो उसके चेहरा शरम से लाल हो गया और धीरे से बोली- हाँ !
तो मैंने उसका खूबसूरत गुलाबी चेहरा अपने दोनों हाथों में लेकर गाल चूम लिये- कैसा लगा था शालू?
हाय आइना ! क्या बताऊँ ! मेरी तो जैसे जान निकल गई थी जब उनकी गर्म-गर्म ज़बान मेरे मुँह में आई ! मैं मदहोश हो गई ! उसने मुझे अपनी बाहों में ले लिया और एकदम से अपना हाथ यहाँ रख दिया !
वो आइना का हाथ अपनी बाईं चूची पर रख कर सिसकी।
मैं तड़प उ�¤ ी और बहुत मना किया पर वो न माने और दबाते रहे।
फिर शालू ?
आइनाबड़ी मुश्किल से कपिल ने मुझे छोड़ा।
शालू की बातें सुनकर मेरी हालत अजीब होने लगीऐसा लग रहा था कि जैसे पूरे जिस्म पर चीटियां दौड़ रही हों।
मेरा यह हाल देख कर शालू मुस्कुराई और मेरे गाल सहला कर बोली- तुमको क्या हो गया आइना?
तो मैंने शरमा कर उसकी जांघों में मुँह छुपा लिया। वो मेरी पी�¤ सहला रही थी और मेरी हालत खराब हो रही थी क्योंकि मेरा चेहरा बिल्कुल उसकी चूत के ऊपर था जो खूब गर्म हो रही थी और महक रही थी।
मैंने धीरे से उसकी चूत पर प्यार कर लिया तो वो सिसक उ�¤ ी- आह ! आह आह ! आइना उफ़ ! नहीं ! ना ! प्लीज मत करो !
और मेरे चेहरा उ�¤ ाया। हम दोनों के चेहरे लाल हो रहे थेशालू के गुलाबी हों�¤ कांप रहे थेमेरे चेहरे को अपने हाथों में लेकर वो सिसकी- आइना !
और मैं भी अपने को ना रोक सकी और उसके गुलाबी कांपते हों�¤ चूम लिये।
एक आग सी लगी हुई थी हम दोनों के जिस्मों में !
मैं उसके हों�¤ ों पर हों�¤ रख कर सिसक उ�¤ ी- शालू ! प्लीज मुझे बताओ न कपिल ने कैसे चूमे थे ये प्यारे हों�¤?
तो अपने नाज़ुक गुलाबी हों�¤ दांतों में दबा कर मुस्कुराई- आइनाउसके लिये तो तुमको शालू बनना पड़ेगा।
मैं हंस दी !
उसके गाल चूम कर बोली- चलो �¤ ीक है ! तुम कपिल बन जाओ।
शालू ने अपनी बाहें फैला दी तो मैं उनमें समा गई और वो मेरे गालहों�¤ आँखेंनाक और गर्दन पर प्यार करने लगी।
तो मैं तड़प उ�¤ ी- आह आ आह शा शाआलू ऐ ए मा नहीं ओह ओह ओह ऐ री उफ़ ये अह ओह ऊ ऊम अह अह क्या कर रही हो अह है है बस बस नहीं न ऊफ और उसके हों�¤ मेरे हों�¤ ों से चिपक गये और उसकी गुलाबी ज़बान मेरे हों�¤ ों पर मचलने लगी।
उसका एक हाथ जैसे ही मेरे दूध पर आया तो मेरी चीख निकल गई- नाआ हि आअ ह अह शाअलु ऊफ़ मत करो प्लीज ये आअह क्या कर रही होतो मेरे हों�¤ चूस तु !
शालू बोली- वो ही तो कर रही हूँ जो कपिल ने मेरे साथ किया था।
वो मुझ से जुड़ गई और उसकी ज़बान मेरे हों�¤ खोल रही थी धीरे-धीरे और फिर अंदर घुस गई तो मैं उसकी ज़बान की गर्मी से पागल हो उ�¤ ी और उससे लिपट गई।
शालू ने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और मेरे दोनों दूध दबाते हुए मेरे हों�¤ चूसने लगी। ऊफ़ उसकी ज़बान इतनी चिकनी,गर्म और इतनी लम्बी थी कि मेरे पूरे मुँह में मचल रही थी और मेरे गले तक जा रही थी।
हम दोनों के चेहरे पूरे लाल हो रहे थे और थूक से भीग चुके थे। मुझे बहुत मज़ा आ रहा थामैं भी उसका साथ दे रही थी और उसका प्यारा सा गुलाबी चेहरा हाथों में लेकर उसके हों�¤ और ज़बान चूस रही थीसिसकार रही थी- आह अह शालू अह अह हां अह !
आइना मेरी जान !
ऊफ़ शालू ! कितनी मज़ेदार ज़बान है तेरी ! इतनी लम्बी ! ऊफ़ ! सच्ची कपिल को मज़ा आ गया होगा !
आअह धीरे आइना ! अह आअह सच्ची आइना ! बहुत मज़ा आया था क्या बताऊँ तुझे ! आह धीरे से मेरे हों�¤ ! आह आइना !
उ�¤ ो न प्लीज अब !
हम दोनों उ�¤ े तो फिर से मुझे लिपटा कर मेरे हों�¤ चूसने लगी और मेरे कुरते की ज़िप खोली और मेरी ब्रा का हुक खोल दिया और मेरे मुँह में सिसकी- उतारो न आइना प्लीज!
और मेरे हाथ ऊपर करके मेरा कुरता अलग कर दिया।
आअह शालू ! ये आह !
तो मेरे हों�¤ चूम कर सिसकी- कुछ न बोलो आइना ! सच्ची बहुत मज़ा आ रहा है !
मैं उसके सामने टॉपलेस बै�¤ ी थीशर्म से मेरी बुरी हालत थी। मैंने अपने दोनों हाथों से अपने भरे-भरे दूध छुपा लिये और देखा तो शालू ने भी अपना कुरता और ब्रा अलग अपने बद्न से हटा दिए थे और मैं उसे देखती रह गई- उफ़ ! कितने प्यारे दूध हैं शालू के ! खूब बड़े बड़े बिल्कुल गुलाबी रंगतनी हुई लम्बे चुचूक ! जिनके आस पास लाल रंग का गोल घेरा !
उसने मुझे अपनी तरफ़ देखते हुए पाया तो मेरी आँखें चूम लींमेरे दोनों हाथ मेरे दूधों पर से हटाये और अपने दूधों पर रख लिर और हों�¤ चबा कर सिसकी- ऊई मां आह आह !
और फिर उसने मेरे दूध पकड़े तो मेरी जान निकल गई- आऐ आ आऐ र अह्ह अह आअह ऊओह ऊऊम आआअह नहीं शालू !
और मैंने भी उसके दूध ज़ोर से दबाये तो शालू भी मुझसे लिपट कर सिसक उ�¤ ी- आईए ऊउइ उ अह अह अह धीरे आह आइना ! धीरे आह मेरे दूधु !
और मेरे हों�¤ ों पर हों�¤ रखे तो एक साथ हम दोनों की ज़बाने मुँह के अंदर घुस पड़ी।
उसकी लम्बी चिकनी और गर्म ज़बान ने मुझे पागल कर दिया और फिर मुझे लिटा कर वो भी मेरे ऊपर लेट गई। हमारे दूध आपस में जैसे ही टकराये तो दोनों की चीखें निकल पड़ी और हम दोनों झूम गईं और मेरी चूत रस से भर गई।
मैंने उसे अपने बदन से लिपटा लिया और उसकी चिकनी पी�¤ और नर्म-नर्म चूतड़ सहलाने लगी।
इस पर वो मेरे जिस्म पर मचलने लगी। मैंने उसका गुलाबी चेहरा उ�¤ ाया तो उसकी आँखें नहीं खुल पा रही थीबहुत हसीन लग रही थी शालू !
मैं उसके गाल और हों�¤ चूसने लगीउसके गोल नर्म नर्म दूध मेरे सांसों से टकराते तो जैसे आग लग जाती।
मैंने उसको थोड़ा ऊपर किया तो उसके खूबसूरत चिकने गुलाबी दूध मेरे सामने थे मैं अपने आप को रोक न सकी और उसकी लाल चूची पर ज़बान फेरी तो वो मस्ती में चिल्ला पड़ी- आईई माँ ! मर जाऊँगी मैं ! आह अह ओह ऊओफ़ अह आइना !
आह अह्ह हाँ ! ये ये ये भी किया था अश… अह कपिल ने ! शालू बोली।
और मैंने उसका पूरा का पूरा दूध अपने मुँह में ले लिया तो मज़ा आ गया। और शालू ने मेरा चेहरा थाम कर अपने दूधों में घुसा लिया और सिर झटक कर मचलने लगी- आ आ इए आइना ! धीरे प्लीज ऊफ़ ऐई री ! माँ ! धीरे से ! न आअह ! बहुत अच्छा लग रहा है ! आह ! पूरा ! पूरा चूसो न ! ऊफ़ मेरा दूध आह ! आइना सची ऐईए ऐसे नहीं ! न काटो मत प्लीज ! उफ़तुम तो अह कपिल से अच्छा चूसती हो ! आअह आराम से मेरी जान !
और वो मेरे दूध दबाने लगी- सच्ची कितनी नरम दूध हैं तेरे आइना ! मुझे दो न प्लीज आइना !
तो मैंने हों�¤ अलग किये उसके दूध से और देखा तो उसका दूध मेरे चूसने से लाल और थूक से चिकने हो रहे थे।
मैंने जैसे ही दूसरा दूध मुँह में लेना चाहा वो सिसक उ�¤ ी- आह आइना ! प्लीज मुझे दो न अपनी ये प्यारी प्यारी चूचियाँ ! कितनी मुलायम हैं !
उइ सच्ची मैं उसकी चूचियाँ मसलने लगी तो मैंने उसके गीले लाल हों�¤ चूम लिये। शालू मेरी चूचियाँ चूसने लगी !
और मेरे मुँह से आवाजें निकलने लगी- अह आअह शालू ! आराम से मेरी जान ! आह ! और ! और क्या किया था कपिल ने बताओ न !
तो मेरे दूध पर से अपने चिकने गुलाबी हों�¤ हटाते हुए मुस्कुरा कर बोली- और कुछ नहीं करने दिया मैंने !तो मैंने पूछा- क्यों शालू ! दिल नहीं चाहा तुम्हारा।
वो मेरे ऊपर से उतर कर अपने पैर फैला कर बै�¤ ी और मुझे भी अपने से चिपका कर बि�¤ ा लिया और मेरे दूधों से खेलते हुए बोली- आइनासच दिल तो बहुत चाहा लेकिन मैंने अपने को बड़ी मुश्किल से रोका क्योंकि डर लग रहा था।
और मेरे दूधों पर ज़बान फेरने लगी तो मेरी आंखें बंद हो गई मज़े में !
मेरा हाथ उसके चिकने मुलायम पेट पर आया और मैं उसकी गोल नाभि में उंगली घुमाने लगी- आह शालू ! सच्ची कितनी लम्बी ज़बान है तुम्हारी ! मैं क्या करूं ! आह मेरे दूध आऐ ए माँ ! अह्ह ! धीरे ! ना ! इतनी ज़ोर से मत नोचो मेरे दूध ! आह आह ओह ऊ ओफ़ शालू प्लीज नहीं ! आअह हन हां अन बस ऐसे ही चूसे जाओ बहुत मज़ा आ रहा है!
आइना ! मेरी जानसच्ची कहां छुपा रखे थे ये प्यारे-प्यारे दूधु तूने ! तो मैं शरम से लाल हो गई उसकी बात सुनकर और उसकी एक चूची ज़ोर से दबाई तो वो चिल्ला कर हँस पड़ी- ऊऊउइ माँ आइना। तो मैंने उसके हों�¤ चूम लिये।
शालू !
हूम्म !
तुमने बताया नहीं कपिल और क्या कर रहा था या करना चाह रहा था?
तो वो शरमा कर मुस्कुराई- आइना ! वो तो !
हाँ बोलो ना शालू प्लीज !
तो शालू ने मेरा हाथ अपनी सलवार के नाड़े पर रखा और धीरे से बोली- वो तो इसे खोलने के मूड में था।
फिर शालू?
मैंने रोक दिया उसे !
क्यों शालू क्यों रोक दिया बेचारा कपिल !
शालू मेरे गाल पर ज़ोर से काट कर हंस दी- बड़ी आई कपिल वाली !
मैं भी ज़ोर से चिल्ला कर हंस दी- ऐ शालू बताओ ना क्यों रोक दिया?
तो वो मुसकराईमैंने कह दिया- ये सब अभी नहीं !
और वो फिर मेरे दूध चूसने लगी ज़ोर ज़ोर से तो मैं पागल हो उ�¤ ी- आह शालू ! आराम से मेरी जान !
और मैंने उसकी सलवार खोल दी तो वो चौंक गई और मेरा हाथ पकड़ कर बोली- ये ! ये क्या कर रही हो आइना?
तो मैंने उसके गीले रस भरे हों�¤ चूम लिये- मेरी शालू जान ! कपिल को नहीं तो मुझे तो दिखा दो !
वो मुझसे लिपट कर मेरे पूरे चेहरे पर प्यार करने लगी- हाय मेरी आइना ! कब से सोच रही थी मैं ! आह मेरी जान !
और एकदम से उसने मेरी सलवार भी खोल दी और उसका हाथ मेरी चिकनी जांघों पर था।
मैं मज़े में चिल्ला पड़ी- ऊऊउइ शा..आ..लू !! ना..आ.. हाय !!
वो मेरे हों�¤ चूस रही थी और मेरी जांघें सहला रही थीमैं मचल रही थी- नहीं शालू ! प्लीज मत करो ! आ..इ..ए ऊ..ऊ..ओ..फ़ ना..आ..ही ना ! ओह मैं क्या करूँ !
और उसने एकदम से मेरी जलती हुई चूत पर हाथ रखा तो मैं उछल पड़ी- हाय रे ! आह ! ये क्या कर दिया शालू !
मुझे कुछ होश नहीं थाउसका एक हाथ अब मेरी चूत सहला रहा था जो बुरी तरह गरम हो रही थीदूसरे हाथ से वो मेरा दूध दबा रही थी और उसकी लम्बी गरम ज़बान मेरे मुँह में हलचल मचा रही थी।
मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरी चूत झड़ने वाली है। मैंने उसे लिपटा कर उसके चूतड़ों पर हाथ फेरा तो वो मचल उ�¤ ी और मैं भी मस्त हो गई।
उसकी सलवार भी उतर चुकी थीअब हम दोनों बिल्कुल नंगी थी और बिस्तर पर मचल रही थी- आह आइना ऊ..ओफ़ सच्चीबहुत गरम चूत है ! उफ़ कितनी चिकनी है छोटी सी चूत ! सच्ची बहुत तरसी हूँ इस प्यारी चूत के लिये मैं ! दे दो न प्लीज आइना ये हसीन छोटी सी चूत मुझे !
हाय शालू ! मैं जल रही हूँ ! प्लीज ! आह ! मैं क्या करूँ !
मेरा पूरा जिस्म सुलग रहा था और मैंने शालू के नरम-गरम चूतड़ खूब दबाए और जब एकदम से उसकी चूत पर हाथ रखा तो वो तड़प उ�¤ ी- ऊ..ऊ..उइ नी..ईइ..ना कर !
और मैं तो जैसे निहाल हो गईउसकी चूत बिल्कुल रेशम की तरह मुलायम और चिकनी थीखूब फूली हुई !
मैं एकदम से उ�¤ ी और उसकी चूत पर नज़र पड़ी तो देखती रह गईबिल्कुल चिकनी चूत जिस पर एक बाल भी नहीं था,शालू की चूत लाल हो रही थी।
क्या देख रही हो आइना ऐसे?
तो मैं अपने हों�¤ ों न पर ज़बान फेर कर सिसकी- शालू !!
और एकदम से मैंने उसकी चूत पर प्यार किया तो वो उछल कर बै�¤ गई।
हम दोनों एक दूसरे की चूत सहला रहे थे।
शालू !
हू म्म !
कपिल को नहीं दी यह प्यारी सी चीज़ ?
तो वो शरमा कर मुस्कुराई- ऊँ..हूँह !
क्यों?
तो वो शरारत से मुस्कुरा कर बोली- तुम्हारे लिये जो बचा कर रखी है।
तो मैं हंस दी- हट ! बदतमीज़ !
सच्ची आइना !
वो मेरी चूत धीरे से दबा कर सिसकी- हमेशा सोचती थी कि तुम्हारी यह कैसी होगी?
तो मैं शरमा कर मुसकुराई- मेरे बारे मैं क्यों सोचती थी तुम?
पता नहीं बस ! तुम मुझ बहुत अच्छी लगती हो ! दिल चाहता है कि तुम्हें प्यार करूँ !
मैंने मुस्कुरा कर उसके हों�¤ चूम लिये- तो फिर आज से पहले क्यों नहीं किया यह सब?
तो मेरे दूधों पर चेहरा रख कर बोली- डर लगता था कि तुमको खो न दूँ कहीं !
मैंने उसे अपने नंगे बदन से लिपटा कर उसके हों�¤ चूस लियेआहिस्ता से उसे लिटा दिया और झुक कर चूत के उभार पर प्यार किया तो वो मचल उ�¤ ी- आअह्ह..आआह.. आइना ! मुझे दे दो न अपनी हसीन सी चूत !
ले मेरी जान ! मेरे प्यार ! और मैंने घूम कर अपनी चूत उसकी तरफ़ की तो शालू ने मेरे नरम चूतड़ पकड़ कर नीचे किये और मेरी चूत पर हों�¤ रखे तो मैं कांप गई- आह.. आह.. आह.. ऊऊ..औइ शालू !
और जैसे ही उसकी ज़बान मेरी चूत पर आईमैं नशे में उसकी चूत पर गिर पड़ी और उसकी चूत पर प्यार करने लगी और चूसने लगी।
हम दोनों की चीखें निकल पड़ीदोनों के चूतड़ उछल रहे थे।
शालू मेरे चूतड़ दबा रही थी और अचानक उसकी ज़बान मेरी चूत के छेद में घुस पड़ी तो ऐसा लगा जैसे गरम पिघलता हुआ लोहा मेरी चूत में घुस गया होमैं चिल्ला पड़ी उसकी चूत से झूम कर- आ..ऐ..ई..ए.. मा..अ मर जा..ऊँ..गी.. ना.. आ..अ..हि शलु अर्रर्रर्ररे.. आह.. ऊ..ओम ऊमफ ऊऊओह्ह ओह ओह ह्हह्है ह्हअ आआइ मैं निकल रही हूँ.. ओ शालू !
मेरे चूतड़ उछलने लगे और शालू के चूतड़ भी मचले और वो भी मेरी चूत में चिल्लाने लगी- आइना ! चूसो अ आआइउ अयययो मा अर्रर्रर्रे रीईईए आआआअह ऊफ़्फ़ आआह्ह ह्हाआआआ आआअह्हह्ह ह्हाआआअ !
और मुझे ऐसा लगा जैसे चूत से झरना बह निकला हो !
रोकते-रोकते भी मेरे गले से नीचे उतर गया !
यही हाल शालू का भी था।
हम दोनों के चेहरे लाल हो रहे थेसांसें तेज़ तेज़ चल रही थीं और हम दोनों एक दूसरे से लिपट कर पता नहीं कब सो गये।
मज़ा आया पढ़ कर?

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