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18 December 2020

च*u*त एक ल*n*ड अनेक- अंतिम भाग-5

*​आज की कहानी:- *चूत एक लंड अनेक- अंतिम भाग 5*

*केटेगरी:- थ्री-सम*

*चेतावनी*

यह कहानी लेखक की कल्पना मात्र पर आधारित है व इस कहानी का किसी भी मृत या जीवित व्यक्ति से कोई संबंध नहीं है। अगर ऐसा होता है तो यह केवल संयोग मात्र होगा।
 
आरम्भ


चूत एक लंड अनेक- अंतिम भाग 5

विनोद और मुरली दोनों मेरी गांड मारना चाहते थे और इस वजह से दोनों में मतभेद होने लगा। इसलिए मैंने स्वत: संज्ञान लेकर दोनों को बारी बारी से मेरी गांड मारने के लिए बोला और यह भी बोला कि गांड के बाद चूत मारते समय बाद अपना कंडोम जरूर बदल दें।

लेकिन मेरी गांड पहले कौन मारेगा इसको लेकर भी दोनों में मतभेद हो रहा था। दोनों चाहते थे कि गांड मारने का पहला मौका उसे ही मिले।

मैंने दोनों को टॉस द्वारा इसका निर्णय करने के लिए बोला। मेरे सुझाव को मान कर दोनों ने टॉस किया और विनोद ने टॉस जीता।

“चलो बेबी तुम्हारी चुदाई शुरू करते हैं।” मुरली ने मेरे बिल्कुल सामने आकर बोला।
मुरली ने मुझे अब नितंबों से पकड़कर ऊपर लिफ्ट कर उठा लिया और अपने लंड का सुपारा मेरी चूत के बिल्कुल सामने ले आया। मैंने अपनी बाहों को मुरली के गले में डाल दिया। मुरली का इशारा समझ कर मैंने अपने एक हाथ से उसके लंड का टोपा अपनी चूत के छेद पर रखा और तुरंत मुरली ने एक जोरदार शॉट लगाया और मेरी चूत के पूरा अंदर अपना लौड़ा पेल दिया।

“आहा आह … मजा आ गया।” मैं उसके लंड के स्पर्श से चिहुंक कर बोली।

विनोद भी मेरे पीछे आ गया था और वह अपने लंड को मेरी गांड के छेद के समीप ले आया और मुरली ने धीरे धीरे मेरे नितंबों को नीचे की तरफ उतारना शुरू किया जिससे कि विनोद का लंड मेरी गांड में घुस सके।

विनोद का लंड मेरी गांड में घुसते ही मैंने अपनी एक बार मुरली के और एक बार विनोद के गले में डाल दी। दोनों लड़कों ने मेरी चूत और लंड की चुदाई शुरू कर दी।


मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मुझे हवा में उठा कर दो लड़के मिलकर मेरी चूत और गांड एक साथ चोद सकते हैं। मुझे बहुत मजा आ रहा था चुदवाने में और विश्वास भी नहीं कर पा रही थी कि ऐसा मेरे साथ वाकयी हो रहा है।

मुरली और विनोद अपनी पूरी क्षमता के साथ मेरे दोनों छेद को चोद रहे थे।

मेरी चुदाई इस स्टाईल में लगभग 15 मिनट करने के बाद मेरा बदन थक गया और मैंने आगे की चुदाई बिस्तर पर करने के लिए दोनों से कहा। मेरा अनुरोध मान कर दोनों ने अपने लंड बाहर निकाल लिये और मुरली ने एक पैग जल्दी से लेने के बाद शेष चुदाई का प्रस्ताव रखा। बहुत जल्दी हम लोगों ने पैग खत्म किया और मैं बिस्तर पर आ गई।

अब विनोद की बारी थी मेरी चूत में लंड फंसाने की। मेरा इशारा पाते ही विनोद ने अपना कंडोम बदल लिया और बिस्तर पर पीठ के बल लेट गया। मैं मुस्कुरा कर उसके ऊपर बैठ गई और उसके लंड को सहला कर मैंने अपनी चूत के छेद पर सुपारा रखा और विनोद को मुस्कुरा कर आंख मारी।

फिर क्या था, एक ही धक्के में विनोद ने अपना फनफनाता हुआ लंड पूरा घुसेड़ दिया। विनोद के धक्के से मेरी चीख निकल गई।

विनोद के लंड के मेरी चूत में एडजस्ट होने के बाद मुरली मेरे पीछे आ गया और उसने मेरे नितंबों को फैला कर अपना सुपारा मेरी गांड के छेद पर रखा। मुझे कमर से पकड़ कर मुरली ने भी एक जो़रों का धक्का लगा कर पूरा लंड मेरी गांड में घुसा दिया। मुरली का लंड ज्यादा मोटा था, इसलिए मेरी गांड में टाइट महसूस हो रहा था।

“बेबी मजा आ गया तुम्हारी गांड में लौड़ा डाल कर!” मुरली अपने लंड को मेरी गांड में आगे पीछे करते हुए बोला।
“मुझे भी मजा आ रहा है। मैं अपनी गांड को पीछे की तरफ धक्का देने लगी ताकि मुरली का पूरा लंड मेरी गांड में समा सकें।

अब नीचे से विनोद ने और पीछे से मुरली ने धक्के देने शुरू किए और मेरी चुदाई दोनों छेद में फिर से शुरू हो गई। यह चुदाई पहले से ज्यादा धुआंधार थी। मेरी गांड और चूत अच्छी तरह फैल चुके थे इसलिए दोनों के लंड बड़े आसानी से अंदर बाहर हो रहे थे।

मुरली मेरे चूतड़ पर बीच-बीच में थप्पड़ भी जड़ता जा रहा था। कमरे में कमरों में मेरे नितंब पर पड़ने वाली थाप, चूत और गांड में लंड के घुसने से होने वाली फच फच की आवाज और इन सबसे ज्यादा मेरे सीत्कार कमरे में गूंजने लगे थे, जिन्हें सुनकर विनोद और मुरली दोनों मुझे गाली देते हुए जोर जोर से धक्के मार कर चोदे जा रहे थे।

इतने बढ़िया तरीके से चुदाई मेरी जिंदगी में पहले कभी नहीं हुई थी। मैं भी एक गर्म कुतिया की तरह दोनों लंड अपनी चूत और गांड में बेशर्मी से खाए जा रही थी।

बहुत देर चोदने के बाद दोनों में फिर अपनी पोजीशन बदली। अब मुरली नीचे लेटा और मैंने उसका लंड अपनी चूत में लिया और मेरी गांड को पीछे से विनोद चोदने लगा। इस तरीके से दोनों लंड मेरी चूत और गांड दोनों का स्वाद कर चुके थे लेकिन दोनों ही झड़ने का नाम नहीं ले रहे थे इसके विपरीत मेरी चूत तो इस दौरान तीन चार बार झड़ चुकी थी।

दोनों ने मिलकर मुझे 1 घंटे से भी ज्यादा देर तक चोदा. इस चुदाई से मैं सच में अंदर तक तृप्त हो गई थी और मन ही मन ईश्वर से मना रही थी कि ये दोनों सांड जल्दी ही झड़ जायें ताकि मुझे चुदाई से मुक्ति मिले।

लगभग डेढ़ घंटे के बाद विनोद का पानी निकला। विनोद के चुदाई से अलग होने के बाद मुझे मुरली ने लगभग 10 मिनट और चोदा। उसके बाद वह भी झड़ गया।

भरपूर और लगातार चुदाई के कारण मेरी चूत और गांड दोनों ही सूज गई थी। मैंने वक्त देखा तो लगभग शाम के 7:30 बज चुके थे। मैंने किसी तरह उठकर वॉशरूम में जाकर अपने आप को साफ किया। मैंने अपने आप को वॉशरूम के मिरर में देखा। मेरी चूत फ़ैल गई थी और सूज भी गई थी। गर्दन, स्तन, कमर, नितंबों और जांघों पर काटने और चूसने के कारण कई निशान बन गए थे।
मेरा होंठ भी चूसे जाने के कारण सूज कर मोटा हो गये थे। मुझे इस हाल में देख कर मेरे पति या कोई भी यह आसानी से अनुमान लगा सकते थे कि मैं अच्छी तरह से चुदवा कर आई हूं। मुझे अगली सुबह की फ्लाइट से वापस लौटना था।

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मैं इसी उधेड़बुन में वॉशरूम से बाहर आई और थोड़े से कपड़े पहन कर मैंने विनोद और मुरली को पैसे निकाल कर दिये।
मुरली ने मुझसे पैसे लेने से साफ इंकार कर दिया और हाथ जोड़कर बोला- बेबी, इतनी अच्छी चुदाई को पैसे में तोल कर बेइज्जती ना करो।

मैं मुरली की बात सुनकर निरुत्तर हो गई लेकिन मेरे बार-बार अनुरोध करने पर भी मुरली ने मुझसे पैसे नहीं दिए।
विनोद कपड़े पहन कर और मुझे अच्छी चुदाई के लिए धन्यवाद देकर चला गया।

मुरली ने मुझ से अनुरोध किया कि मैं रात उसे अपने साथ ही सोने दूं। मुरली को मैं अपनी समस्या भी नहीं बता सकती थी। इसलिए मैंने उससे कहा कि मेरी चूत गांड सब सूज गए हैं और मुझे आराम की जरूरत है।
मुरली थोड़ा निराश हो कर चला गया।

जब मुरली चला गया तब मैंने मनन करने पर पाया कि अगले दिन घर लौटने से मेरी चुदाई के बारे में मेरे पति को पता चलने की पूरी संभावना है इसलिए कोई बहाना बनाकर दो दिन और दिल्ली में रूक लिया जाए और बाद में फ्लाइट की जगह ट्रेन से घर लौटने से मुझे समुचित वक्त मिल जायेगा और तब तक मेरे बदन पर बने चुदाई और चुसाई के निशान भी मिट जाएंगे।

मैंने इस बारे में बात करने के लिये पति को फोन किया।
मेरे पति ने बताया कि वह किसी आवश्यक काम से एक हफ्ते के लिए कोलकाता जा रहे हैं।

अब तो मेरे घर लौटने में आई बाधा स्वत: दूर हो गई। मैंने तुरंत अगले दिन सुबह की फ्लाइट से वापस लौटना सुनिश्चित किया।

अब मैंने कुछ सोच कर मुरली को फोन करके अपने कमरे में आने के लिए बोल दिया।

मेरा निमंत्रण पाकर मुरली खुशी से झूम उठा और तुरंत 15 मिनट में ही मेरे कमरे में वापस आ गया।

आकर उसने मुझे गोद में उठा लिया और मेरे गानों को चूमने लगा मुरली ने मुझसे पूछा- बेबी, अचानक क्या हो गया कि तुमने मुझे वापस बुला लिया?
इस पर में हंसने लगी और मैंने उसे बताया- यार, तुम लोगों ने चूस चूस कर मेरे शरीर पर जो निशान बना दिये है, उसके वजह से मैं तुम्हें रात भर अपने पास नहीं रख रही थी। मुझे सवेरे की फ्लाइट से वापस जाना है और मेरे पति उस समय तीन-चार दिनों के लिए कोलकाता जा रहे हैं। इसलिए मैंने सोचा कि रात भर मैं तुमको अपने से चिपका लूं। लेकिन मैं चुदवाने की स्थिति में नहीं हूं, क्योंकि मेरी चूत और गांड दोनों चुदवा कर थक गए हैं और दर्द कर रहे हैं।

मैंने तुरंत रूम सर्विस में फोन कर खाने का ऑर्डर दिया और खाने के साथ-साथ हम दोनों ने बची हुई सारी व्हिस्की खत्म कर दी और हम दोनों अब ब्लैंकेट के अंदर घुसकर इधर उधर की बातें करने लगे।
मुरली ब्लैंकेट के अंदर मुझसे चिपक गया था और बीच-बीच में शॉर्ट्स के ऊपर से ही मेरे हिप्स तथा मेरी जांघों को सहला रहा था।
मुझे भी मुरली द्वारा सहलाया जाना अच्छा लग रहा था।

हम दोनों को नींद भी आ गई।
मुझे याद नहीं कि हम लोग कितनी देर तक सोये पर नींद में मैंने महसूस किया कि मुरली ने अचानक अपना एक हाथ मेरे ब्लाउज में तथा दूसरा हाथ मेरी पैंटी के अंदर डाल दिया है।
मैं चिहुंक कर जाग गई और बोली- क्या कर रहे हो मुरली?

मुरली ने मेरे अधरों पर चूम कर कहा- बेबी, तेरे नंगे बदन के साथ चिपक कर सोना है।
मैंने धीमी आवाज में कहा- पहले खुद तो नंगे हो जाओ फिर मुझे नंगी करना।
मेरी सहमति मिलते ही मुरली ने अपने सारे कपड़े उतार दिए और कुछ ही सेकंड में मेरे भी सारे कपड़े उतर गए।

हम दोनों अब मादरजात नंगे थे, मुरली अब मुझसे लिपटकर लेट गया। जैसा कि मैंने आपको पहले बताया, हम दोनों का दोबारा सेक्स करने का कोई इरादा नहीं था, लेकिन वह बोलते हैं ना कि अगर मक्खन के पास गर्म छुरी रहेगी तो मक्खन पिघल जाएगा।
बस मेरे साथ बिल्कुल ऐसा ही हुआ।

मेरे नंगे बदन के स्पर्श से थोड़ी देर बाद मुरली का लंड फिर से खड़ा होने लगा और उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया।
मैंने उसके लंड को सहला कर मुरली से पूछा- अब क्या इरादा है तुम्हारा लंड का?
मुरली ने कहा- बेबी एक बार बिना कंडोम के तुझे चोदना चाहता हूं।
मैंने कुछ हिचकिचाहट के साथ कहा- यार कुछ समझ। मेरी चूत और गांड दोनों सूज गए हैं। बहुत दर्द होगा अभी और फिर चूत में बिना कंडोम के लंड लेने मुझे अगर गर्भ ठहर गया तो बहुत दिक्कत होगी।
मुरली ने मेरे कान के निचले हिस्से को चूसते हुए धीरे से बोला- बेबी, बहुत धीरे से डालूंगा, तुम्हें बिल्कुल दर्द नहीं होगा।

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उसका एक हाथ मेरे स्तन को सहला रहा था और दूसरा मेरे नितंब को, इसलिए स्वाभाविक तौर पर मुझे भी सेक्स करने का मन करने लगा। लेकिन बिना कंडोम के चुदवाने का खतरा भी मुझे ज्यादा लग रहा था, इसलिये मैंने मुरली को गांड में डालने के लिए बोला. लेकिन यह भी कहा कि तेल लगा कर गांड मारना जिससे मुझे दर्द कम हो।

मुरली ने खुश होकर मुझे बांयी करवट में लेटा दिया और मेरी गांड के छेद में और अपने लंड को तेल से चिकना कर दिया। अब बहुत प्यार से उसने अपने लंड को मेरी गांड में धीरे से घुसा दिया।

दो दिनों की चुदाई के कारण मेरी गांड का छेद थोड़ा फैल चुका था और मुरली ने अपने लंड पर तेल भी लगा लिया था. इसलिए मुरली कलंक बड़े आसानी से मेरी गांड में पूरा चला गया और धीरे धीरे मुरली लंड को मेरी गांड में अंदर-बाहर करने लगा।

मुरली ने मेरा दाहिना स्तन पकड़ लिया था और उसे मसलते हुए वह मेरी गांड मार रहा था। धीरे-धीरे मुझ में भी काम संचार होने लगा और मैं भी अपनी गांड आगे पीछे करके मुरली का पूरा लंड अपने अंदर लेकर गांड मरवाने लगी।

मैंने मुरली का हाथ अपने स्तन से हटाकर अपनी चूत पर रख लिया। मुरली मेरा इशारा समझ गया और उसने अपने दाहिने हाथ की उंगलियों को तेल से सराबोर करके गांड मारने के साथ-साथ मेरी चूत की मालिश की शुरू कर दी।

अब मुझे ज्यादा मजा आने लगा और मेरे मुंह से बेशर्मी वाले काम सीत्कार फूटने लगे। मैंने अपनी गर्दन पीछे की तरफ मोड़ी और मुरली मेरे अधरों को भी धीरे-धीरे चूसने लगा।

मेरी चूत की मालिश करते करते मुरली ने अचानक मेरे भगांकुर को अपनी तर्जनी और अंगूठे के बीच ले लिया और उसकी मालिश करने लगा। मुरली की इस हरकत ने मुझे मछली की तरह छटपटाने पर मजबूर कर दिया और मैं पहले से ज्यादा बेशर्म होकर चुदाई का आनंद लेने लगी।

मुरली भी शायद यही चाहता था और इसीलिए उसने अब और जोर-जोर से मेरी गांड मारना शुरू किया और उसने अपनी दो उंगलियां मेरी चूत में घुसा दी और चूत की चुदाई भी जोर जोर से करने लगा। मेरी चूत और गांड का दर्द तो मानो कहीं गायब हो गया था और सिर्फ मजा और मजा आ रहा था मुझे इस काम क्रीड़ा में।

लगभग 30 मिनट की चुदाई के बाद मुरली चरमोत्कर्ष पर पहुंचा। मैं इस दौरान दो बार झड़ चुकी थी और मेरी चूत और मुंगरी की उंगलियां पूरी तरह मेरे काम रस से गीली हो चुकी थी। चरमोत्कर्ष पर पहुंचते समय मुरली में अपनी उंगलियां और लंड दोनों एक साथ मेरे अंदर पूरा घुसाकर अपना गर्म गर्म वीर्य मेरी गांड में उड़ेल दिया।

जब मुरली का गर्म वीर्य मेरी गांड में गिरा तो मुझे भी चरम संतुष्टि का अहसास हुआ। मुरली ने अपना लंड अंदर फंसाए रखा और मेरी चूत से अपनी उंगलियां बाहर लेकर मुझे चूसने के लिए दी।
मुरली बार-बार मेरी चूत से मेरा ही काम रस निकालकर मुझे चूसने के लिए देता रहा और मैं अपने काम रस को चाट कर आनंद लेती रही।

मुरली के लंड बाहर निकालने के बाद मैं तुरंत वॉशरूम गई उसके वीर्य को मैंने साफ किया। इसके बाद मुरली और मैं दोनों वॉशरूम में साथ-साथ नंगे नहाए।

सुबह के लगभग 5:00 बजने वाले थे। मुरली कपड़े पहन कर बाहर चला गया और मैं तैयार होकर होटल से चेक आउट करने लगी।

होटल से बाहर आकर मुरली मुझसे मिला और मुझे एयरपोर्ट तक टैक्सी में मेरे साथ चला। एयरपोर्ट पर मुरली से गले मिलकर मैं अपनी फ्लाइट के लिए चल दी।
मुरली ने मुझसे वादा लिया कि जब भी मैं दिल्ली आऊंगी तो मुरली के साथ सेक्स जरूर करूंगी।

फ्लाइट मैं अपनी सीट पर बैठने के बाद मैंने विगत दो-तीन दिन की घटनाओं पर मनन किया। पिछले 3 दिनों से मैं लगातार दिन रात चुदवा रही थी और इस दौरान मेरी चूत और गांड को 6 नये लड़कों के साथ मस्ती भरे संभोग करने का मौका मिला। मेरी चूत और गांड पूरी तरह संतुष्ट थे। कुल मिलाकर मेरा दिल्ली टूर सेक्स की दृष्टि से बेहद सफल था।

मैं मन ही मन मुस्कुराते हुए अपने दिल्ली टूर की कामुक स्मृतियों को याद करते करते सो गई।

तो दोस्तो, यह थी मेरी दिल्ली टूर की चुदाई की दास्तान।

। समाप्त ।

च*u*त एक ल*n*ड अनेक-भाग 4

*​आज की कहानी:- *चूत एक लंड अनेक-भाग 4*

*केटेगरी:- थ्री-सम*

*चेतावनी*

यह कहानी लेखक की कल्पना मात्र पर आधारित है व इस कहानी का किसी भी मृत या जीवित व्यक्ति से कोई संबंध नहीं है। अगर ऐसा होता है तो यह केवल संयोग मात्र होगा।
 

आरम्भ

चूत एक लंड अनेक- भाग 4

प्यारे पाठकों को डॉली चड्ढा का फिर से नमस्कार।
आज मैं आपको दिल्ली में हुई मेरी चुदाई का आखिरी भाग पेश करती हूं। मुझे ऐसा लगता है कि बिना इस चुदाई के मेरा दिल्ली वाला टूर अधूरा ही रहता। आज भी जब मैं इस चुदाई के बारे में सोचती हूं तो मेरी चूत तुरंत पानी छोड़ना शुरू कर देती है।

तो चलिए दोस्तो, बिना कोई वक्त बर्बाद करे मैं आपको दिल्ली में हुई मेरी आखिरी चुदाई की कहानी बताती हूं।

अभी तक आप मेरी पहले की कहानियों में पढ़ चुके हैं कि कैसे दिल्ली में मैंने रविंद्र, अभिजीत, विजय और सूरज से अपनी चुदाई करवाई। जब चुदाई के बाद सूरज मेरे कमरे से जा रहा था तब अगले दिन उसने दो लड़कों को मेरे पास भेजने का वादा किया था। मैं अगले दिन मेरे साथ होने वाले थ्रीसम सेक्स के बारे में सोचते हुए सो गई।

जब अगले दिन मेरी आंख खुली तब सवेरे का 10 से भी ज्यादा बज चुके थे. मैंने मुंह धोकर अपने लिए चाय और बिस्किट ऑर्डर किए और जल्दी जल्दी अपना सामान पैक करने लगी।
चाय पीकर और होटल का बिल भुगतान करके मैं होटल से बाहर आ गई और सूरज के बताए हुए होटल के लिए रवाना हो गई। 

मेरा नया होटल ज्यादा दूर नहीं था और कुछ ही मिनटों में मैंने होटल में पहुंचकर अपने लिए कमरा ले लिया। कमरे में पहुंचकर मैंने पहला काम सूरज को फोन लगाने का किया और उसे अपना कमरा नंबर दे कर उसके दोस्तों के बारे में पूछा।

सूरज ने मुझे कुछ देर बाद फोन करके अपने दोनों दोस्तों के बारे में बताया और बोला कि विनोद और मुरली 3:00 से 4:00 के बीच होटल में आएंगे।
जवाब में मैंने सूरज से बोला कि मैं रिसेप्शन पर मैसेज छोड़ देती हूं कि विनोद और मुरली मुझसे मिलने आएंगे उन्हें मेरे कमरे में आने दिया जाए।



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इस पर सूरज ने कहा- बेबी, कुछ मत करो। इस होटल में विनोद और मुरली ने कई बार सर्विस दी है और उनको तुम्हारे कमरे तक आने के लिए रिसेप्शन को बताने की जरूरत ही नहीं है।
सूरज ने मुझे विनोद और मुरली का फोटो भी मोबाइल पर सेंड किया और उनके मोबाइल नंबर भी। यह भी बताया कि ये लोग आने के पहले मुझे फोन अवश्य करेंगे।

मैंने घड़ी देखी तो मैं समझ गई कि मेरे पास अभी 3 घंटे के लगभग वक्त है। मैंने तुरंत अपने लिए लंच ऑर्डर किया और खाना खाकर एक घंटा आराम किया ताकि मेरी थकान थोड़ी कम रहे।

इसके बाद मैंने बहुत रगड़ कर स्नान किया और खूब अच्छे से मेकअप करके तैयार हो गई। इस बार की चुदाई के लिए मैंने डेनिम शॉर्ट्स और डीप कट ब्लाउज पहना। यह ड्रेस बहुत सेक्सी थी और मेरा पूरा फिगर देखने वाले को मदहोश करने के लिए काफी थी।

वक्त बिताने के लिए मैंने टीवी चला लिया और मुरली और विनोद का इंतजार करने लगी। टीवी देखते देखते मुझे झपकी भी आ गई।

मोबाइल की घंटी से मेरी झपकी टूटी और मैंने अपना फोन उठाया। फोन के दूसरी तरफ सूरज था और उसने मुझे बताया कि मुरली और विनोद मेरे कमरे के सामने खड़े हैं। और इसी क्षण मेरे कमरे की डोर बेल बजी।
मैं तो इतनी एक्साइटेड हो गई थी कि तुरंत दरवाजा खोलने के लिए दौड़ी और मैंने झटके से दरवाजा खोला।

दरवाजा खोलते ही उसमें से एक लड़का थोड़ा आगे की तरफ गिरा और मेरे स्तनों से टकरा गया।
उसके टकराने से मैं भी गिरते-गिरते बची।

“ओह … सॉरी … सॉरी मैडम …” उस लड़के ने हड़बड़ा कर बोला।
“कोई बात नहीं!” मैंने अचकचा कर बोला।
“मैडम, मैं विजय और यह मुरली है। लड़के ने अब थोड़ा संभलते हुए बोला।
“मेरा नाम डॉली है। मुझे नाम से बुलाओ, मैडम मत कहो। मैंने वातावरण को सहज करने के लिए कहा।

दोनों लड़के कमरे में आ गए और मैंने दरवाजा बंद कर दिया।

“डॉली, आप तो बहुत सेक्सी लग रही हो। मुरली ने मुझसे हाथ मिलाते हुए कहा।
“तुम दोनों भी तो हैंडसम लग रहे हो। लगता है आज बहुत मजा आएगा। मैं हंसती हुई बोली।
“कुछ मंगवा लूं आर्डर देकर?” मैंने दोनों से पूछा।

“डॉली, अगर ज्यादा मजा चाहती हो तो थोड़ा रम या व्हिस्की मंगवा लो। मौसम भी ठंडा है। थोड़ा सा पीने से ज्यादा मजा आएगा चुदाई में।
“ख्याल तो अच्छा है … लेकिन अगर ऑर्डर दे कर मंगवाउंगी तो होटल वालों को शक हो जायेगा। मैंने सोच कर कहा।
“यार इसे पैसा दे दो यह सारा सामान यहीं पर ले आएगा, और तब तक मैं नहा कर तैयार हो जाऊंगा। मुरली ने मुझसे सटते हुए कहा।

मैंने मुरली के सुझाव के अनुसार विनोद को 1200 रू दे दिये और वह दारू लाने चला गया।

मुझे अकेला पाकर मुरली ने शॉर्ट्स के ऊपर से ही मेरी मांसल गांड को दबाते हुए बोला- बहुत मस्त गांड है। आज तो इसे मारने में बहुत मजा आएगा।
“चुदाई में मजा आए, इसीलिये तो आप दोनों की सर्विस चाह रही हूं। मैंने भी पैंट के ऊपर से मुरली के लंड पर हाथ फेरते हुए कहा.
“निश्चिंत रहो। आज तुझे इतना चोदेंगे कि जिंदगी भर अपनी चुदाई नहीं भूल सकोगी। मुरली बोला वॉशरूम में नहाने के लिए चला गया।

बहुत जल्दी विनोद दारू, सोडा और नमकीन लेकर आ गया और उसने यह सामान थैले से निकालकर टेबल पर रखना शुरू किया। कमरे में दो गिलास पहले से थे लेकिन विनोद अपने साथ दो-तीन डिस्पोजेबल ग्लास भी लेकर आया था।
मुरली बाथरूम से नहा कर आया और उसने विनोद से कहा- तुम भी फटाफट नहा लो मैं तब तक पैग तैयार कर देता हूं।

मुरली तीन जगह पैग बनाने लगा तब मैंने मुरली से कहा- मैं नहीं पियूंगी।
इस पर मुरली ने कहा- यार साथ दोगी तो हम सभी को मजा आएगा और जब सब कुछ होना ही है तो शर्माना क्यों? सूरज तो बोल रहा था कि तुम बहुत बोल्ड हो।
यह बोलकर मुरली ने तीन जगह पैग बना दिए।

थोड़ी देर में विनोद भी नहाकर आ गया मुरली तथा विनोद मेरे सामने सिर्फ तौलिये में थे। दोनों के सीने सफाचट यानि वैक्सिंग किये हुए थे। ड्रिंक शुरू करने के पहले मुरली ने दो गोली निकाली और दोनों ने एक एक गोली खा ली।
मेरे पूछने पर विनोद ने बताया कि यह सेक्स की गोली है।


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मुरली से पूछने पर उसने बोला- यार, हम लोगों का प्लान तुझे लगातार 2 घंटे तक चोदने का है। मुझे सूरज ने बोला कि तुम बहुत गर्म हो और अगर तुम्हें गोली खाकर चोदा जाए तो तुम्हें भी बहुत मजा आएगा इसलिए हम लोग गोली लेकर ही चुदाई शुरू करेंगे।

अब विनोद और मुरली ने अपने-अपने गिलास उठा लिए और उन लोगों के अनुरोध पर मैंने भी अपना गिलास उठा लिया।
“चीयर्स … चीयर्स!” हम सभी ने अपने जाम आपस में टकराए।
“चीयर्स डॉली की आज की चुदाई के नाम।” मुरली ने मेरे गाल पर चूमते हुए कहा।

कमरा थोड़ा ठंडा था इसलिए मैं हीटर चलाने के लिए उठी लेकिन मुरली ने मेरा हाथ पकड़ कर फिर से बैठा लिया और मुझे आंख मार कर बोला- दो पैग अंदर जाने के बाद तुझे इतनी गर्मी लगेगी कि तू खुद अपने कपड़े उतार देगी। इसलिए कमरा बिना मतलब गर्म मत कर, बस दारू पी के बिस्तर गर्म करना।

मुरली की बात सुनकर मैं भी मुस्कुराने लगी और धीरे-धीरे मैंने भी अपना गिलास खत्म कर दिया।

हम सबके गिलास मुरली ने दोबारा भरे और मेरे मना करने के बावजूद भी उसने मेरा गिलास भर दिया। खैर धीरे धीरे में दूसरा पैग भी पीने लगी। मुरली के अनुरोध पर मैंने एक झटके में अपना दूसरा पैग खत्म कर दिया।

एक झटके में गिलास खाली करने की वजह से मुझे तुरंत नशा हो गया और वाकई में मुझे गर्मी भी लगने लगी।

मुझे झूमती देखकर मुरली ने पूछा- डॉली मजा आ रहा है ना?
मैंने उसे आंख मार कर अपनी गर्दन हां में हिलाई।

अब मैं उठने लगी तो मुरली ने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और मैं उसकी गोद में जा गिरी।
मुझे अपनी बाहों में भींच कर मुरली ने मम्मों को ब्लाउज के ऊपर से ही पकड़ लिया।
“आहहह …” मेरे मुंह से निकला।

“कहां जा रही हो जानेमन?” मुरली ने मेरी जांघ पर हाथ फेरते हुए बोला।
“मुझे गर्मी लग रही है।” मैंने थोड़ी मादक आवाज में बोला।
“कहां पर गर्मी लग रही है बेबी को?” मुरली ने मेरे स्तन दबाते हुए पूछा।
“सभी जगह गर्मी लग रही है। मैंने शॉर्ट्स के ऊपर से अपनी चूत को सहलाते हुए बोला।

“गर्मी तो जानेमन मुझे भी लग रही है। यह कहते हुए मुरली ने अपना तौलिया निकाल दिया।
मुरली को तौलिया निकालते देख विनोद ने भी अपना टॉवल उतार कर दूर फेंक दिया।

अब दोनों लड़के नंगे हो चुके थे लेकिन मैंने कपड़े पहने हुए थे। एक उड़ती हुई नजर मैंने दोनों के नंगे जिसमें पर डाली। मुझे लगा दोनों के लंच 7 इंच के आसपास है अच्छे से शेव किया होने की वजह से सुंदर दिख रहे थे।

मुरली ने मुझे बिस्तर पर लेटा दिया और मेरी शॉर्ट्स निकाल दी, मैंने भी अपने नितंब ऊपर करके मुरली को शॉर्ट्स निकालने में मदद की। मेरी पैंटी मेरी चूत से चिपकी हुई थी। मैंने बिना समय बर्बाद किए अपना ब्लाउज खुद उतार दिया। अब मैं सिर्फ एक ब्रा और पैंटी में थी।

अब मुरली और विनोद दोनों मुझसे सट गए। दारू के नशे के कारण मेरी चूत थोड़ी नशीली हो गई थी। मैंने अपने हाथ बढ़ाकर मुरली और विनोद के लंड पकड़ लिए। दोनों के लंड अच्छे मोटे थे और सख्त होकर मानो फुफकार रहे थे। मुरली ने मेरे दाएं स्तन को मुंह में लेकर चूसना शुरू किया और विनोद ने बांया।

मुरली का हाथ मेरी पैंटी के ऊपर से मेरी चूत तक गया तो मेरी चूत में जैसे सिहरन होने लगी और उत्तेजना में मैं भी धीरे से अपनी चूत को ऊपर की तरफ उठाने लगी। कमरे में भरपूर लाइट थी और दोनों ने बहुत जल्दी मेरे शरीर से ब्रा और पैंटी को अलग कर दिया।

मुरली बहुत खुशी से मेरी चिकनी चूत को देख रहा था।
“अरे वाह डॉली तेरी चूत तो बिल्कुल बेबी चूत है।” मुरली ने मेरी चूत पर हाथ फेरते हुए कहा।
“बेबी चूत मतलब?” मैंने अनजान बनते हुए पूछा
“मतलब तेरी चूत अभी बहुत ज्यादा फैली नहीं है। मुरली ने मुझे चूमते हुए बोला और मेरी चूत की दोनों पुत्तियों को अपने अंगूठे और तर्जनी के बीच दबा दिया।

मुरली के इस कृत्य से तो मेरी चूत में कैसे आग लग गई और मैं सिसकारी भर कर चिहुंक पड़ी।
“यार अभी तक तो मेरी चूत में सिर्फ लंड गए हैं। बच्चा बाहर नहीं निकला है कि फट जाएगी।” मैंने मादक आवाज में कहा।
“तेरी गांड भी बहुत कसी हुई है इसे तो मैं जी भर कर चोदूंगा।” मुरली ने मेरे चूतड़ पर हाथ फेरते हुए कहा।
“तुम्हारे जी भर कर चोदने से ही इसकी भी प्यास बुझेगी.” मैंने धीमी आवाज में कहा।

“मेरी चूत को चाटो ना। मैंने अनुनय के स्वर में कहा।
मेरी बात सुनकर विनोद बिस्तर पर पीठ के बल लेट गया और मुझे उसने अपने ऊपर आने के लिए इशारा किया।

विनोद का इशारा समझ कर मैंने अपनी चूत उसके मुंह पर रख दी और आगे की तरफ झुक कर उसका लंड अपने मुंह में लेकर धीरे-धीरे चूसना शुरू किया और इधर विनोद ने मेरी चूत को थोड़ा सा फैलाया और अपनी जुबान चूत के अंदर डाल दी और उसने मेरी चूत को चूसना शुरू किया।
‘उफ …’ क्या फीलिंग थी। मेरी चूत में तो जैसे उबाल आ गया हो। मेरी चूत अपने आप उसकी जुबान पर आगे पीछे होने लगी।

और मेरे होंठों के मादक स्पर्श से विनोद का लंड मेरे मुंह में फूलने लगा।

मुरली ने मेरे चूतड़ों को पकड़कर फैलाया। मेरे गुलाबी गांड छेद को देखकर बोला- क्या मस्त सेक्सी छेद है बेबी; तुम्हारा छेद देखकर तो मेरा लौड़ा टन टना उठा है।
ऐसा बोल कर मुरली ने अपनी जुबान मेरी गांड के छेद में डालकर जुबान अंदर बाहर करना शुरू कर दी।

अब तो मेरी हालत बिल्कुल पतली हो गई। मेरी चूत और गांड दोनों को विजय और मुरली कुत्ते की तरह चूसे और चाटे जा रहे थे और मैं कुतिया की तरह गर्म होकर अपनी चूत और गांड को इनकी जुबान पर रगड़े जा रही थी। मेरी चूत से लगातार काम रस बह रहा था और विनोद उसे अपनी जुबान से चाट चाट कर अमृत पान कर रहा था।

अचानक विनोद ने अपनी दो उंगलियां मेरी चूत में डाल दी और अपनी जबान को वहां से निकालकर मेरी गांड में डाल दिया।
“आआआहह … उईईई … मर गईईईई …” मेरे मुंह से जोर से सिसकारी और सीत्कार फूटने लगे।

मेरे मुंह को बंद करने के लिए मुरली ने मेरे मुंह के सामने आकर अपना लंड मुंह में डाल दिया और मुझे सर से पकड़ कर मेरे मुंह को चोदने लगा। वह मेरे मुंह को चोदते समय कुछ अनाप-शनाप बड़बड़ाए जा रहा था।

मारे उत्तेजना से मेरी चूत झड़ गई और मेरी चूत के गाढ़े रस से विनोद ने मेरी गांड को अंदर तक चिकना कर दिया।

अब मुझे विनोद ने पीठ के बल लेटा दिया और मेरी जांघ को काट काट कर चूसने लगा। मुरली ने मेरे स्तनों का जिम्मा संभाला और बारी बारी से मेरे स्तनों को बेदर्दी से चूस चूस कर लाल कर दिया। उसने मेरे अधरों पर भी काटा और काट काट कर निशान बना दिए।

इसके बाद दोनों ने मिलकर मुझे स्तनों के बल लेटा दिया। मुरली मेरे बांयी तरफ बैठ गया और उसने मेरे स्तन के नीचे से अपना हाथ डाल कर बांये स्तन को अपनी हथेली में पकड़ लिया और स्तन मसलते हुए मेरी जांघ के पिछले हिस्से को नितंबों के नीचे से चूसने लगा।

विनोद मेरे दाईं तरफ बैठ गया और वह मेरी कमर के दाहिने हिस्से को अपने मुंह में लेकर चूसने और काटने लगा। साथ ही उसने अपने बांये हाथ की दो उंगलियां मेरी चूत में अंदर तक घुसा दी।
विनोद और मुरली की हरकतों से मैं तुरंत उत्तेजित हो गई और मेरी चूत हीरो की अंगुलियों के इशारे पर स्वत: आगे पीछे होने लगी।
“आहहहहह … ऊं ऊं … बहुत मजा आ रहा है।” मैंने सीत्कार करते हुए कामोत्तेजित आवाज में कहा।

मुझे उत्तेजित होते देखकर दोनों अपनी हरकतें तेजी के साथ करने लगे। मैंने अपनी गर्दन पीछे की तो मुरली मेरे अधरों को भी चूसने लगा।

“आहहहह … उईईई … जल्दी से मेरी गांड और चूत चोद कर मेरी खुजली मिटा दो।” मैंने कामुक आवाज में दोनों से अनुरोध किया।
“जरूर चोदेंगे बेबी, पर पहले यह तो बताओ कि गालियाँ दे कर तुम्हारी चुदाई करें तो तुम नाराज़ तो नहीं हो जाओगी?” मुरली ने मेरे नितंबों को जो़रों से मसलते हुए बोला।

“मुझे भी गालियों के साथ चुदाई पसंद है। तुम मुझे बिल्कुल रंडी बनाकर चोदो।” मैं अपनी चूत को सहलाते हुए बोली।
“रंडी की चूत देख कैसे लंड लेने के लिये लपलपा रही है।” मुरली ने मेरी चूत पर चुटकी भरते हुए बोला।
“मेरी चूत और गांड लपलपा रही है, इसलिए तो तुम दोनों को चुदाई के लिए बुलाया है।” मैं मुस्कुरा कर बोली।

विनोद और मुरली दोनों मेरी गांड मारना चाहते थे और इस वजह से दोनों में मतभेद होने लगा।



कहानी जारी रहेगी.

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