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09 June 2013

हिंदी स्टोरी मैं और मेरी शालू और शालू की मस्त चुदाई..

हिंदी स्टोरी मैं और मेरी शालू और शालू की मस्त चुदाई..


मेरा नाम स्मिथ है। जो मैं कहानी आप को सुनाने जा रहा हूँ वो बिल्कुल सच्ची है। मैं हिमाचल में रहता हूँ मनाली में !  वैसे सभी को मालूम होगा मनाली की हसीन वादियों के बारे में !मेरा मनाली में अपना साइबर कैफे था। अगर साइबर कैफे है तो वहाँ पर लड़के और लड़कियों का आना-जाना तो लगा ही रहता था। मैंने वो कैफ़े चार साल तक चलाया। उस समय मेरी उम्र 24 साल की थी। मेरे कैफ़े में बहुत सी लड़कियाँ आती थी और मैं उन्हें देख कर बहुत खुश होता था। कभी वो मुझसे पूछती- स्मिथ बताओ न कि यह फाइल मैं कैसे सेंड करूँ? या ये फोटो मैं कैसे डाउनलोड करूँ ! तो मुझे भी बहुत अच्छा लगता था। मैं उनके साथ केबिन में बैठ जाता और उन्हें बताने लगता और कभी कभी मैं अपनी बाजू उनके स्तन पर लगा देता। कुछ तो मुझे अनदेखा कर देती पर कुछ बोल देती- भैया, क्या कर रहे हो !तो मैं जल्दी से उन्हें सॉरी बोल देता और वो भी इट्स ओके बोल कर मान जाती ! पर मैं था भी स्मार्ट 5.8 और मेरा पप्पू था छोटा तकरीबन 5 इंच !तभी मेरे कैफे में एक लड़की जिसका नाम शालिनी था, उसने आना शुरू कर दिया था। वो बड़ी सेक्सी थी। शुरू में जब वो आती तो नेट पर थोड़ी देर ही बैठती थी और चली जाती थी। वो मुझे अच्छी लगती थी। फिर उनसे आना बंद कर दिया।तकरीबन एक महीने बाद वो आई तो मैंने उससे पूछ लिया- शालिनी, बहुत दिनों के बाद आई हो !तो उसने कहा- क्यूँ ? मेरी याद आ रही थी क्या ?तो मैं भी मुस्कुरा कर बोला- हाँ, आ तो रही थी !तो वो मुझे बताने लगी- मैं घर गई थी ! मेरा घर रेवाल्सर में है।फिर वो रोज़ मेरे कैफे में आ जाती और 3-4 घंटे तक बैठी रहती।एक दिन उसने मुझे बुलाया और कहा- मुझे आपकी मदद चाहिए ! मैं फाइल कैसे डाउनलोड करूँ?मैं उसे बताने लगा और साथ में मैंने अपनी बाजू उसके स्तन पर रख दी और की-बोर्ड पर टाइप करते हुए मैं उसके वक्ष को छूने लगा, मेरा छोटा सा पप्पू 5 इंच का खड़ा हो गया। उसे भी अच्छा लग रहा था और उसने भी मुझे कुछ नहीं कहा।तभी बाहर 1-2 ग्राहक आ गए तो मुझे उठ कर जाना पड़ा और मैं उसे छोड़ कर चला गया।शालिनी अब रोज़ मेरे पास आ जाती और किसी न किसी बहाने से मुझे अपने पास बुला लेती। पर मुझे भी अच्छा लगता था और फिर वही मैं टाइप करते करते उसको छू लेता था और मेरा पप्पू सलामी देने लग जाता।मैं दिन में 3 से 4 बजे तक लंच करने जाता था। वो एक दिन आ गई और कहने लगी- मुझे अभी नेट पर जरूरी काम है !मैंने कहा- मैं तो अभी लंच करने जा रहा हूँ !तो कहती- प्लीज़ ! थोड़ी देर !फिर मैंने कहा- शालिनी, कोई और ग्राहक आ गया तो मैं उसे भी मना नहीं कर पाऊँगा !तो मैंने उसे कहा- मैं शॉप बन्द कर देता हूँ और तुम अंदर बैठ जाओ !तो उसने कहा- ठीक है, पर मुझे आपकी मदद भी तो लेनी है !मैंने कहा- ठीक है !और मैं शॉप बंद करके उसके साथ बैठ गया। खुश तो मैं आज बहुत था कि शायद कुछ बात बन जाये और मैं उसके साथ थोड़ा चिपक कर बैठ गया।दोस्तो, आप को पता ही है कि मनाली में बर्फ गिरती है तो सर्दी भी बहुत थी। मैंने शालिनी को शालू कह कर बुलाया तो वो कहने लगी- मुझे बहुत अच्छा लगा आपने मुझे शालू कहा !और हम बातचीत करने लग गए। तभी मैंने कहा- शालू आप को बुखार देखना आता है?तो कहने लगी- हाँ !मैंने अपनी बाजू उसके हाथ में दे दी और वो देखने लग गई, बहुत देर तक उसने मेरी बाजू को पकड़े रखा। जब उसने मेरी बाजू पकड़ी हुई थी तो मैंने आँखें बंद कर ली और मेरा छोटा पप्पू तन गया। मन में मैं सोच रहा था कि यह ऐसी ही मुझे पकड़ कर रखे ! अच्छा लग रहा था !और तभी जब मेरी आँखें बंद थी तो शालू ने अपने पतले पतले होंठ मेरे होटों पर रख दिए।मैंने कहा- शालू, यह क्या कर रही हो ?कहती- चुप रहो ! जैसे तुम्हें पता न हो !मुझे अच्छा लग रहा था, मैं भी उसके होटों को बहुत देर तक चूमता रहा और मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी। अब तो मानो ऐसा लग रहा था कि मैं स्वर्ग में हूँ ! तभी मैंने धीरे धीरे अपने हाथ उसके स्तन पर रख दिए। शालू ने नीली ज़ीन्स और गुलाबी स्वेटर पहनी थी। मैं उसके स्तनों को छू कर रहा था स्वेटर के ऊपर से ! तभी मैंने अपना हाथ उसके स्वेटर के अंदर से डाला और मैं अपना हाथ उसके पेट पर फ़ेरने लगा और धीरे धीरे उसकी ब्रा तक पहुँच गया।वो भी गर्म हो रही थी, उसे भी अच्छा लग रहा था।मैंने कहा- शालू, मेरी जान !तो शालू बोलती- बोलो मेरी जान !मेरा मन करता है कि मैं आप को ऐसी ही चूमता रहूँ !शालू कहती- तो करो न ! मैंने कब आप को मना किया !और शालू ने अब मेरा पप्पू मेरी जींस के ऊपर से पकड़ लिया। उस समय तो मैं पागल हुए जा रहा था। तभी मैंने शालू की स्वेटर उतार दी। वो सिर्फ़ ब्रा के ऊपर स्वेटर पहनी हुई थी। मैंने पहली बार किसी लड़की को ब्रा में देखा था। मैं उसके स्तनों पर चुम्बन करने लग पड़ा। उसके मुँह से आः आआआआ ह़ा आःआआ की आवाज़ आने लगी।तभी मैं उसकी ब्रा खोलने की कोशिश करने लगा पर मुझसे उसके हुक नहीं खुल रहे थे। 2-3 मिनट तक लगा रहा तो उसने कहा- ब्रा खोलनी नहीं आती है क्या ?तो मैंने कहा- पहली बार खोल रहा हूँ !वो मुस्कुरा दी और खुद ही खोल दी। अब मैं उसके चुचूक को अपने मुँह में लेकर चूस रहा था और वो भी मज़ा ले रही थी। मेरा तो मन कर रहा था कि उसको खा जाऊं पर उसकी चूचियाँ थोड़ी छोटी छोटी थी।तभी शालू कहती- अपनी पैंट खोल दो न !मैंने कहा- आप ही खुद खोल दो !तो उसने मुझे खड़ा किया और मेरी पैंट खोल दी। उस दिन मैंने अण्डर्वीयर नहीं पहना था और शालू मेरे पप्पू को चूसने लगी। क्या बताऊँ जिन्दगी का पहला अनुभव था वो मेरा !मैंने कहा- शालू, अपनी ज़ीन्स खोल दो !तो उसने भी झट से खोल दी और मैं उसको पागलों की तरह जांघों पर चूमने लगा। उसे भी बहुत अच्छा लग रहा था। तभी मैंने उसकी पैन्टी उतार दी और उसकी फुद्दी में ऊँगली डाल दी।वो चीख पड़ी, मुझे कहने लगी- स्मिथ अब करो न ! जल्दी अपना प्यारा सा पप्पू मेरे अंदर डाल दो !मैंने कहा- मेरे पास कंडोम नहीं है !तो कहती- कोई बात नहीं ! डाल दो न जल्दी से !तो मैंने उसको अपनी गोद में बिठाया और अपना लण्ड उसकी फुद्दी में डालने लगा और वो चीखने लगी- धीरे धीरे करो न !पर उस समय तो मुझे कुछ नहीं सुनाई दे रहा था और मैंने शालू की फुद्दी के अंदर अपना पप्पू डाल दिया और लगा मैं उसे अंदर-बाहर करने !अब वो भी पूरा मज़ा ले रही थी और हम पागलों की तरह घुच-घुच कर रहे थे। लगभग दस मिनट तक सेक्स करने के बाद मैंने कहा- शालू, अब मैं अपना माल निकालने वाला हूँ, मुझसे कण्ट्रोल नहीं हो पा रहा है !तो वो बोली- निकालो न जल्दी से ! पर मेरी फुद्दी के अंदर मत निकालना !पर मेरे से अपना पप्पू बाहर नहीं निकाला गया और मैंने अंदर ही छोड़ दिया।मैं और शालू थोड़ी देर तक वैसे ही बैठे रहे। अब 4 बजने वाले थे और मुझे शॉप को खोलना था।तो मैंने कहा- शालू, चलो अब चलते हैं !तो वो भी मान गई। अब तो हम दोनों खुश थे। वो दिन में आ जाती और हम अब रोज़ सेक्स किया करते थे।

18 February 2013

हिन्दी स्टोरी दिल्ली में कहाँ रहती हो

हिन्दी स्टोरी दिल्ली में कहाँ रहती हो
 


अजय अपनी गर्ल फ़्रेन्ड को साथ लेकर चोदने के लिये गेस्ट हाऊस पहुँचा, अपने कमरे की चाबी लेकर जाने के लिये सीढ़ियाँ चढ़ ही रहा था कि सामने से आते युगल पर उसकी नजर पड़ी। सामने उसके दोस्त की बहन राधिका किसी अजनबी के साथ बाहर आ रही थी। अजय की समझ में आ चुका था कि राधिका चुदवा कर आ रही है। अजय को देख कर राधिका का चेहरा फ़क हो गया। मगर अजय जैसे कुछ भी ना देखने का अभिनय करते हुये अपनी गर्ल फ़्रेन्ड को ले कर कमरे में आ गया। वे दोनों लगभग दो घण्टे तक चुदाई करके होटल से बाहर निकले। अजय लखनऊ से दिल्ली आ कर नौकरी कर रहा था। राधिका भी दिल्ली में किसी सोफ़्ट्वेयर कम्पनी में काम कर रही थी। दिल्ली में उन्होंने एक दूसरे को पहली बार देखा था, जबकि अजय का लखनऊ में राधिका के घर आना जाना था। राधिका का भाई अजय का दोस्त था। अजय और उसकी गर्ल फ़्रेन्ड जब होटल से निकले तो उसने देखा कि राधिका रिक्शा स्टेण्ड के पास खड़ी उसी को देख रही थी। अजय ने राधिका को देखा और मुस्करा दिया। राधिका भी मुस्करा दी और बोली, "मुझे तुमसे बात करनी है... प्लीज इधर आओ !" "ओह, क्यों नहीं, बताओ कि तुम कैसी हो और दिल्ली में कहाँ रहती हो?" "एक सहेली के साथ एक फ़्लेट किराये पर लिया है... " "चलो, कहीं कॉफ़ी पीते हैं, वहीं बातें करेंगे।" दोनों एक कॉफ़ी हाऊस में पहुँच गये। अजय बताने लगा, "मै भी तुम्हारी तरह एक दोस्त के साथ किराये पर मधुवन सोसाइटी में एक फ़्लैट में रहता हूँ, यहाँ से दो किलोमीटर दूर है।" "और वो लड़की ... ?" "उह्ह्ह, वो तो मेरी एक दोस्त है, घर पर मेहमान आये हुये थे तो हम दोनों यहाँ आ गये। देखो किसी को घर में बताना मत !" राधिका ने अजय की आँखों में झांका, उसे कुछ अपनापन सा लगा। "अजय मैं तुम्हारा अहसान मानूंगी, प्लीज मेरी भी कोई बात घर में किसी को मत बताना, बोलो ना, मानोगे मेरी बात?" "अरे राधिका, मै कोई तुम्हारा दुशमन थोड़े ही हूँ, अगर मेरी वजह से तुम पर कोई आंच आये तो लानत है मुझ पर, मैं भी चोर, तू भी चोर !" "थैन्क्स अजय, तुमने मेरे दिल का बोझ उतार दिया !" बातों बातों में राधिका थोड़ा खुलने लगी थी। वो भी अभी चुद कर आई थी, सो अजय ने सोचा कि ये तो पट सकती है। वैसे भी राधिका को घर में उसकी भारी और चौड़ी गाण्ड देख कर उसका लण्ड जोर मारने लगता था। उसे लग रहा था कि उसे चोदना अब और आसान है और राधिका भी जान चुकी थी कि वो रंगे हाथ पकड़ी गई है। उसे लगा कि अब फ़ासला अधिक नहीं है। "हम दोनों यहाँ पहली बार मिले मिले हैं, चलो आज मैं तुम्हें खाना खिलाऊंगा, घर पर तो तुमने कई बार खिलाया है।" "पर कहाँ चलें... ?" राधिका थोड़ा सा हिचकचाई। "होटल में तो मजा नहीं आयेगा, खाना लेकर फ़्लैट पर चलें, अच्छा रहेगा ना ... फिर किसी की नजर में भी नहीं आयेंगे !" "तुम्हारा दोस्त क्या कहेगा... ?" वो भी कुछ कुछ आश्वस्त हो चुकी थी। "वो तो अपने जीजू और बहन के साथ चार दिन के लिये अब तक तो जा चुका होगा।" "तो चलो, मैं अपनी सहेली को फोन कर देती हूँ कि मुझे आज देर हो जायेगी।" "हाँ ये भी कह देना कि आज रात ना भी आ पाऊँ तो चिन्ता मत करना।" राधिका ने मुझे तिरछी नजरों से देखा और मुस्करा दी। अजय भी यह देख कर मुस्करा दिया। दोनों ने एक दूसरे के दिल की बात समझ ली थी। अजय सामने के होटल में जाकर दो तन्दूरी चिकन और कुछ चपातियाँ ले आया, रास्ते से उसने एक व्हिस्की की बोतल भी ली और फिर दोनों घर पहुंच गये। अजय ने खाने का सामान राधिका को दे दिया और कहा, "मै अभी स्नान करके आ रहा हूँ... तब तक तुम खाना लगाओ।" "हाँ पहले तुम नहा लो, फिर मैं भी पानी डाल लूंगी। कितनी गर्मी है ! है ना?" "अरे तो फिर क्या बात है... आ जाओ, साथ ही नहा लेते हैं... तुम अपना मुख उधर कर लेना और मैं दूसरी तरफ़ कर लूँगा।" "धत्त ... तुम देख लोगे !" उसकी तिरछी नजर कह रही थी कि नहीं देखोगे तो मैं बुरा मान जान जाऊँगी। "तुम्हारी कसम, नहीं देखूँगा !" उसने भी जैसे आँख मार कर बता दिया था कि एक बार कपड़े तो उतारो... "तो ठीक है चलो... ! " उसने अपने कपड़े उतार दिये और ब्रा और पेन्टी में आ गई। अजय ने भी कपड़े उतार लिये और मात्र छोटे से अंडरवियर में आ गया। राधिका ने एक नजर अजय के लण्ड पर डाली। उसे देख कर उसे वो बहुत बड़ा लगा। अजय भी राधिका के मस्त उभारों को देखने लगा था। उसका हाल तो राधिका की जवानी देख कर ही खराब हो गया था। "ना... ना... कोई जरूरत नहीं है मुँह उधर करने की... !" राधिका की नजर अब भी उसके मोटे फ़ूले हुये लण्ड पर थी। अजय ने उसका मतलब भांप लिया और उसे एक झटके में फ़व्वारे के नीचे ले लिया। दोनों भीगने लगे थे, पर उनके दिलों में आग भड़कने लगी थी। अजय ने राधिका के गीले बदन को अपनी बाहों में ले लिया और उसे सहलाने लगा। इसी बीच राधिका की ब्रा का एक भाग कंधे से उतर गया और उसका एक स्तन बाहर निकल पड़ा। जोश में अजय ने उसके स्तन भींच दिये। जवाब में बस राधिका के मुख से एक सिसकारी निकल पड़ी। अजय का भारी लण्ड तन कर सीधा खड़ा हो गया। राधिका ने भी तड़प कर उसे खींच कर अंडरवियर से उसे बाहर निकाल लिया। उसे तो वो एनाकोन्डा जैसा मोटा लगा,"अजय, यह तो ! हाय राम ! कितना मोटा है ! बिल्कुल एनाकोन्डा की तरह !" "बस तुम्हारा ही है, इसे एक बिल चाहिये समाने के लिये !" "चलो फिर कोशिश करते हैं इसे बिल में समाने की !" राधिका मचलते हुये बोली। दोनों ही हंस पड़े। वे दोनों नहा कर बाहर आ गये और वैसे ही आधे नंगे से गीले ही बैठ गये। अजय ने व्हिस्की के दो पेग बनाया और पी गये। कुछ ही देर में दोनों में दारू की तरावट आने लगी। "राधिका, वहाँ होटल में तुम चुदाने गई थी ना?" "जब मालूम है तो पूछते क्यों हो... जब प्यास लगे तो बुझानी तो पड़ती है ना !" "उस मादरचोद को तो मजा आ गया होगा, भेन का लौड़ाऽऽ मेरी राधिका को चोद गया !" "धत्त, ऐसे क्या कहते हो, चूत को चुदानी ही पड़ती है ना ... तू भी चोद ले ... " "वो तो भोसड़ी की, चुदेगी ही, मेरा लण्ड देख कितना जोर मार रहा है !" "जरा पास ना , हाय तेरे एनाकोन्डा को मै अपनी चूत में छुपा लूँ... तू भी कितना चिकना है... साले के चिकने गालों को काट खाऊँऽऽ ... " "तेरी मां की भोंसड़ी, आ बैठ जा मेरे एनाकोण्डा पर... " अजय का मन राधिका के चूतड़ों पर आ चुका था, दूसरा पेग पीते हुये उसकी पिछाड़ी को उसने दबा दिया। उसकी पसन्द की थी उसकी मोटी गाण्ड ! उसे खींच कर उसके चूतड़ों पर अजय ने अपने दांत गड़ा दिये। राधिका भी अपने चूतड़ों को बार बार दांत से कटवा कर मस्ती से मचल रही थी। "हाय राधिका, तेरी गाण्ड ने तो मेरा जीना दुश्वार कर दिया था, आज मिली है, कसम से पूरी तबीयत से मारूँगा, गाण्ड मरवाओगी ना मेरी जान?" राधिका अपनी गाण्ड मटकाते हुए बोली, "आह्ह्ह, नेकी और पूछ पूछ ! मारो मेरे चोदू बालमा, तुम्हें कसम है जानू ! मेरी चूत को अपने दोस्त की नहीं, दुश्मन की चूत समझ कर चोदना !" "सोच लो रानी ! फिर मुकर मत जाना?" अजय अपने एमाकोन्डा जैसे लण्ड को हाथ में लेकर गरूर से बोला। "मुकर भी जाऊँ तो भी तुम मुझ पर रहम मत करना, एक राण्ड की तरह फ़ोड़ना मुझे !" राधिका इठलाती हुई बोली। "हाय मेरी रण्डी यह हुई बात, चल झुक जा भेन की लौड़ी, तेरी गाण्ड में मेरा लण्ड घुसे तो चैन आए !" यह कहते हुये राधिका को फ़र्श पर खड़ा करके बेड पर पर उसे झुकाते हुये लण्ड को गाण्ड के छेद पर प्यार से टिकाया। "अब तक कितने लण्ड पिलवाये हैं गाण्ड में मेरी रानी?" "हाय राम , अब क्या कहूँ मैं, जिससे भी चुदवाती हूँ, हर एक ने मेरी को बजाये बिना नहीं छोड़ा... " "मैं भी नहीं छोड़ने वाला रण्डी, मां की भोसड़ी... " कहते हुये अजय ने जो करारा थाप मारा कि पूरा लण्ड बिना थूक या तेल के गाण्ड में चाकू की तरह धंस गया। आह्ह्ह्ह की चीख के साथ राधिका उछल कर बेड पर जा गिरी,"हाय मार डाला साले, भेन चोद, मेरी जान ही निकाल दी... " "मेरी रानी, इतना मस्त शॉट मारा था, इतनी दमदार गाण्ड ले कर किसी कमसिन की तरह चीखती हो।" राधिका अपनी गाण्ड सहलाते हुये बोली,"सुनो मिस्टर, मैंने तुम्हें अपनी गाण्ड चोदने को कहा था, गाण्ड की मां चोदने को नहीं कहा था ! साले हरामजादे तुम तो मेरी गाण्ड को फ़ाड़ डालने पर आमदा हो?" "कमाल करती हो रानी, तुम्हारी गाण्ड बिल्कुल नहीं फ़टेगी, पूरा चिकन तन्दूरी खा गई और मेरे लौड़े से घबरा गई?" "मुर्गा तो मैंने, भोसड़ी के, मुँह से खाया था, गाण्ड से नहीं, समझे?" "अब खा लिया है तो निकलेगा तो गाण्ड ही से ना, मेरी रण्डी !" "लगता है मेरी गाण्ड को फ़ाड़ कर ही मुर्गा निकालोगे, क्यों है ना?" "ओह्ह्ह हो, डार्लिंग अब कायदे से मारूंगा !" कह कर वो तेल की शीशी उठा लाया और अपने लण्ड पर और राधिका की गाण्ड में उसे अच्छी तरह से लगा दिया। फिर लण्ड के लाल सुपारे को छिद्र पर सेट कर फिर से हौले धक्का मारा। लण्ड राधिका की गाण्ड में ऐसे उतर गया जैसे मक्खन पर में छुरी घुसती है, दूसरे शॉट में पूरा लण्ड उसकी गाण्ड में फ़ंस गया। राधिका के चूतड़ों पर सने तेल के कारण लण्ड हर एक थाप पर चप-छपक की आवाज कर रहा था। दोनों हाथों से उसके स्तनों को तेल से मसलते हुये अजय गाण्ड का पूरा मजा ले रहा था, "कैसी हो मेरी रण्डी ... गाण्ड चुदने का मजा आ रहा है ना?" "मार दे रे हारामजादे, फ़ाड़ डाल इन चूतड़ों कोऽऽ ! बजा दे गाण्ड का बाजाऽऽ आ ऽऽ ह !" राधिका की आंखों में दोगुना नशा था, एक तो अजय की पिलाई हुई व्हिस्की का, और दूसरा उसकी गाण्ड में फ़ंसे हुये एनाकोन्डा का... ! राधिका बिस्तर के सामने लगे आईने में देख कर रण्डी नम्बर एक जैसे भाव दिखा रही थी"हाय और मारो राजा, मेरे चोदू छैला, जोर से मारो मेरी गाण्ड, हाय रे तेरा मस्त लौड़ा, मैं तो हारामजादे रण्डी बन गई, हाय अजय मुझे गालियाँ दे ! भेनचोद, रण्डी, चुदैल, छिनाल बुला मुझे साले ! तेरी मां की चूत !" अजय भी जोर जोर से मस्त करारे थाप मार रहा था। "ले खा भोसड़ी की, मेरा लौड़ा खा जा, साली कुतिया तुझे तो एक दिन अपने रूममेट के साथ मिल कर चोदूंगा, भेन की लौड़ी, तुझे तो तेरी माँ के सामने चोद चोद कर तेरी चूत का भोंसड़ा बना दूँगा, तेरी मां दी फ़ुद्दी... हाय क्या गाण्ड है तेरी तो साली, तुझे तो कॉल गर्ल होना चाहिये था छिनाल !" राधिका भी बेशरमाई पर उतर आई थी। शराब का नशा, तिस पर चुदाई, वो तो बेहयाई पर आ चुकी थी, "गाण्डू, साले मुझे मेरी मां के सामने चोदेगा तो मम्मी भी नंगी हो कर तेरे नीचे लेट जायेगी, तेरे लण्ड को देख कर वो भी रण्डी बन कर तेरा लौड़ा खायेगी, मादरचोद साले चोद मुझे पटक पटक कर, रन्डी बना कर चोद सजना, आज हलाल कर दे मुझे, जैसे कसाई बकरे को हलाल करता है, तड़पने दे मुझे, तेरी तो भेन की चूत ! तेरी बहन चुदवा दूंगी तेरे लौड़े से !" अजय इस प्रकार की बातों से मदहोश हो रहा था, उसकी रफ़्तार बढ़ गई। राधिका उसके नीचे मछली की भांति तड़प रही थी। वो राधिका के चूतड़ों से चिपट कर उसकी गाण्ड तबीयत से मार रहा था, लण्ड पेल रहा था। इतनी तन्दरुस्त और सुंदर भारी गाण्ड पर रहम करना उसकी बेवकूफ़ी ही होती। राधिका भी उसे ऐसा कोई मौका नहीं दे रही थी कि वो उसकी गाण्ड को चोदना छोड़ दे। हर बात पर वो तो नहले पर दहला मार कर अपनी त्रिया चरित्र की मां चोद रही थी। अचानक अजय ने राधिका के दोनों हाथ पकड़ कर पीछे खींच लिये और उसके ही दुपट्टे से ही बांध दिया और बोला, "देख मेरी राधिका, मेरी रण्डी, मेरी छिनाल, तुझे अब मैं कैसे हलाल करके चोदता हूँ, मेरी जान, मेरी दोस्त मुझे माफ़ कर देना !" राधिका आंखे नचा कर और चूतड़ों को मटका कर बोली, "मेरे भैया की तरफ़ से मैं तुझे माफ़ करती हूँ। मेरे सरताज़, बस अब लगा दो पूरा जोर, मुझे कुतिया बना कर चोद दो और कुत्ते की तरह लण्ड गाण्ड में फ़ंसा दो, बरबाद कर दो मुझे, रण्डी से भी गई गुजरी कर दो हाय रे, मेरे चोदू रण्डवे, ऐसा चोदना कि गाण्ड और चूत में कोई फ़रक करना मुश्किल हो जाये !" उसके बालों को पकड़ कर अजय ने अपनी ओर खींच लिया, और इस बार का शॉट करारा था। राधिका को लगा कि जैसे अजय के एनाकोन्डा ने उसकी गाड फ़ाड़ कर रख दी है। उसके मुख से एक चीख निकल पड़ी, उसे लगा कि कोई आग का गोला गाण्ड की गहराई को भी फ़ोड़ता हुआ भीतर सुलग उठा हो। उसकी चीख को नजर-अन्दाज करते हुए उसका दूसरा भरपूर शॉट फिर से लगा। वो तड़प उठी, "भोसड़ी के, मार डालेगा क्या ... साला लौड़ा है कि लोहे का गरम रॉड ... धीरे कर हरामी... मेरी मां चोद दी इस लण्ड ने तो !" "चुप रह, कुतिया, अरे लण्ड लेना है तो लपक लपक कर ले, साली ऐसे चीख रही है कि जैसे तेरी माँ को चोद रहा हूँ !" अब अजय ने अपना मोटा लण्ड को खुला छोड़ दिया और उसकी गाण्ड पर पूरे जोर से पटकने लगा। कुछ ही देर में वो फिर से मस्त हो उठी और उसकी चूत लपलपाने लगी। "बहुत हो गया मादरचोद ... मेरी चूत तेरा बाप चोदेगा क्या ?" "ओह हाँ ! थोड़ा बहुत माल चूत के लिये भी तो बचाना पड़ेगा ना... चल अब सीधी हो जा !" "नहीं, बहुत चोद लिया तूने ! अब मेरी बारी है ... चल मेरे नीचे हो कर चुद अब तू !" राधिका ने अजय को अपने नीचे दबा लिया, "मादरचोद मेरी गाण्ड का तो तूने हलवा बना दिया, अब देख साले ! तैयार हो जा... मेरी चूत में कितना दम है तू ही देख ले !" राधिका उसकी टांगों के बीच बैठ गई। उसका हाथी की सूण्ड जैसा लण्ड उसने हिलाया। लाल सुपारा पूरे उफ़ान पर था, उस पर रह रह कर वीर्य की बूंदें उभर आती थी। यह देख कर वो मुस्कराई। उसने लण्ड जोर से अपनी चूत के द्वार पर थपथपाया और मुठ में भर कर उसे अपने योनि-द्वार में फ़ंसा लिया। "तेरी मां की चूत, हो जा तैयार... देख तेरे लण्ड का कमाल मेरी चूत में... !" और उसने उसे चूत में घुसेड़ लिया। उसे एक झटके से भीतर उतार लिया और सिसक उठी। लण्ड के भीतर गहराई में फ़ंसने के बाद राधिका ने बदला लेने की गरज से कहा, "ओ मेरी भेन के लौड़े, तैयार है चुदने के लिये... ?" "ओह्ह्हो, बड़ा दम मार रही हो, मेरे एनाकोन्डा के सामने सब फ़ेल हो जाते हैं !" "देखूँ तो सही... फिर लण्ड पकड़ कर हाय हाय मत करना ? !!" और राधिका ने अपनी कला दर्शा दी। उसने अपनी चूत जोर से भींच ली। "मजा आ रहा है ना मेरे सजना ? इस कड़क चूत का... !" "आह, कैसी मीठी मीठी सी चुदाई है !" भींची हुई चूत उसने ऊपर खींची। अजय चीख पड़ा... "अरे लण्ड की चमड़ी फ़ट जायेगी... तेरी माँ की बहन को चोदूँ, भोसड़ी की... आह !" राधिका ने अपनी भिंची चूत से अन्दर एक धक्का मारा। वो फिर से कराह उठा। "अरे मेरी मां, ठीक से चोद ना !" "मेरी कैसी फ़ाड़ी थी ... कुछ याद आया... ?" राधिका को भी अन्दर चोट पहुंच रही थी, पर अजय को सबक तो सिखाना था ना ! उसने उसी अन्दाज में तीन चार धक्के लगाये, अजय निढाल सा हो गया। "बस मेरे राजा... अब मजा लो !" राधिका ने भी अपनी जिद छोड़ दी। उसे भी तो मजा लेना था ना ! और राधिका ने मस्ती की फ़ुहार छोड़ दी और भचाभच उसके लण्ड पर चूत मारने लगी। अजय बहुत अधिक नहीं सह पाया और उसका वीर्य छूटने को हो गया। तभी राधिका का रज निकल पड़ा... वो उससे लिपट कर अपना रज निकालने लगी... पर उसने होश नहीं खोये। उसने तुरन्त अजय का लण्ड चूत में से निकाल लिया और धीरे धीरे मुठ मारने लगी। उसके सुपारे पर उसने अपने अधर खोल कर रख दिये। अजय ने वीर्य छोड़ने से पहले एक हुंकार सी भरी और तीर की भांति उसकी पहली धार राधिका के हलक तक पहुंच गई। उसने लल्दी जल्दी लण्ड को मसला और बाकी का ढेर सारा वीर्य अपने मुख में चूस लिया। अजय झड़ कर निढाल पड़ा था। दारू का नशा भी उस पर पूरा था। राधिका भी थक कर पास में लेट गई। कुछ ही देर में व्हिस्की ने अपना असर दिखा दिया और दोनों गहरी नींद में सो गये। कमरे में मात्र खर्राटों की आवाजे आ रही थी। जहाँ जहाँ वीर्य के कतरे पड़े थे वो वहीं सूख गये थे। जब उठे तो शाम ढल चुकी थी। दोनों ने फिर से स्नान किया और एक एक करके व्हिस्की के कई जाम दोनों ने पी लिये और बचा हुआ तन्दूरी मुर्गा साफ़ कर गये। व्हिस्की का नशा उन दोनों पर एक बार और चढ़ गया ... और फिर कुछ ही पलों में कमरे में सिसकारियाँ गूंज उठी।

08 February 2012

MERA OR RAAHUL KA PYAAR PART-2






Ek din mene rahul ko ph kiya or kaha ke Sunday ko kya ker rahe ho, unhone kaha ki kuchh nahi mene kaha ki mai milna chahti hu , unhone kaha koi kam he,
mene kaha mera man ker raha he phir unhone kaha thik he milte he ,

phir hum Sunday ko unke ghar gaye is baar mene khud apne saare kapde utare
pehle mene suit utara  phir rahul ne meri bra per kiss kiya .
phir mene bra utar di , phir wo mere nipple chusne lage, phir unhone mere nipple ko katna shuru ker diya phir mujhe dard hone laga tha ,
jab tak wo chuste rahe tab tak maja aa raha tha jab katna shuru kiya to dard hone laga,
phir rahul ne apne poore kapde utar diye or mene salwar or penty utar di thi
wo meri chut dekhker khush ho gaye, kyon ki mene eraser se saare baal hata diye the,
phir wo meri chut chaatne lage mujhe maja aa raha tha. Unhone mujhe bed per letaya or kitchen me chale gaye, wo ice cube ki tray lene gaye the , ice cube ki tray se 1cube nikali or meri chut me ghusa di chut ko haath se band kar diya mujhe gudgudi ho rahi thi, thanda bhi lag raha tha, phir mene unke lund ko kiss kiya , upper ke gol hisse ko pehle jeebh se chaata 5min tak phir muh me lene lagi 10min tak, phir unhone mere pai uthaye or mer boobs per phi lund rakh diya , mene condom chadhya, phir unhone mere pair uthaker meri chut per apna lund lagaya or kaha ki aaj mat cheekhna, mene kaha tum dalo me bardash karungi , pehle unhone dheere se under kiya 2 inch under gaya phir 1inch bahar nikala or phir dheere dheere poora dalna shuru ker diya under bahar karte rahe adha ghanta continu kiya phir unhone bahar nikala meri halat kharab ho gayi thi , pehli baar chut se safed paani nikal raha tha, phir unhone mujhe khada kiya or ulta hoker bed pakada diya mujhe ghodi ki tarah khada ker diya phir mere peechhe kernel age,
bahot dard hua tha 15min tak kiya tha , phir wo 500 ml sprite ki botel fridge se laye mujhe god me bethaya me cold drink pee rahi thi , or wo mere boobs daba rahe the neeche se unhone lund chut me dal rakha tha or boobs daba rahe the cold drink khatm hone ke baad mene kaha bus rahul bahot he aj ke liye ab nikalo phir unhone mujhe khada kiya or mujhe bed per leta diya or kapade pehne ke liye keh diya , mene kaha ye sprite ki botal meri chut me dalo unhone mana kiya mene jidd ki phir unhone dhakkan band karke dhakkan wali taraf se dalna shuru kiya mujhe dard ho raha tha lekin mene kaha ki ye poori dalni he 15 min lage poori dali or phir nikali. Phir humne kapde pehne or chal diye

ad kal kumse kum 3santre dalwaungi under

07 January 2012

MERA OR RAHUL KA PYAAR-1




Rahul jab pehli baar mujhe apne ghar leke gaye the,
to mujhe bhi nahi pata tha ki wo kya karne wale he,
pehle unhone mere lips pe kiss kiya 5 min tak continued ,mujhe achha lagta raha
phir dheere dheere unhone mera suit uper ker diya, mene unhe dhakka de diya, or kaha
rahul ye sab shadi se pehle nahi, to rahul ne kaha ki do mahine baad hamari shadi he ab to hum kuchh bhi ker sakte he me rahul ko mana nahi ker pai , phir mene kaha ki me risk nahi lena chahti ap condom le ao unhone kaha mujhe kya paagal samjha he me padha likha hu itni samajhdari he mujhme me pehle se hi laya hu,.....

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