हिन्दी स्टोरी ओओओओःह्ह्ह .. भाभी चोदना सिखा दो ना
यह उस समय की बात है जब मैं २० साल का था. बरे भाई की शादी सिर्फ़ एक साल ही हुआ था. हम दो भाई और एक बहन है जिसकी शादी पहले ही हो गयी है. मेरे माता पिता बहुत ही धार्मिक बिचार के है और हमेशा धर्म करम मे लगे रहते है. मेरे बारे भाई का रेडीमेड कपरो का कारोबार है और अक्सर वो अपने काम के सिलसिले मे दूसरे सहर मे टूर पर जाते रहते हैं. मैं तब लॉ पढ़ रहा था. मेरी भाभी मुझको बहुत चाहती थी, क्यूंकी एक मैं ही तो था जिससे कि भाभी बातचीत कर सकती थी खास कर जब भैया बिज़्नेस के काम से ऑफीस या टूर पर बाहर जाते थी. मेरी भाभी बहुत प्यार से हुमारा ख्याल रखती थे और कभी एह अहसास नही होने देती कि मैं घर पर अकेला हूँ. वो मुझे प्यार से लाला कह लार पुकरती थे और मई हुमेशा उनके पास पास रहना पसंद करता था. वो बहुत ही सुंदर थी, एकदम गोरी चित्ति लंब लुम्बे काले बाल करीब ५’३” और फिगर ३६-२४-३८ था. मई उनकी चुची पर फिदा था और हुमेशा उनकी एक झलक पाने के लिए बेताब रहता था. जब-भी काम करते वक़्त उनका आँचल उनकी छाती पर से फिसल कर नीचे गिरता था या वो नीचे झुकती, मैं उनकी चूंची की एक झलक पाने के कोशिश करता था. भाभी को इस-बात का पता था और वो जानबूझ कर मुझे अपनी चूंची का जलवा दिखा देती थी. एह बात तब हुआ जब मेरे भैया काम के सिलसिले मे शादी के बाद पहली बार बाहर गये. मा और बाबूजी पहले से ही तीर्थ यात्रा पर हरिद्वार गये हुए थे और करीब एक महीने बाद लौटने वाले थे. भाभी पर ही घर सम्हालने की ज़िम्मेदारी थे. भाई मुझे घर पर रख कर पढ़ाई करने की सलाह दिए थे, क्यूंकी एग्ज़ॅमिनेशन नज़दीक था और साथ ही मे भाभी को भी अकेलापन महसूस ना हो. अगले दिन सुबह के 10 बजे की बस से भैया चले गये. हम दोनो भैया को बस स्टॅंड तक बीदा करने गये हुए थे.भाभी उस्दीन बहुत ही खुस थी. जब हुमलोग घर पहुँचे तो उन्होने मुझे अपने कमरे मे बुलाया और कहा कि उन्हे अकेले सोने की आदत नही है और जबतक भैया वापस नही आती, मैं उनके कमरे मे ही सोया करूँ. उन्होने मुझसे अपनी किताब वगेरा वहीं ले कर पढ़ने को कहा. मैं तो ख़ुसी से झूम उठा और फ्टाफ़ट अपनी टेबल और कुछ किताबे उनके कमरे मे पहुँचा दिया. भाभी ने खाना पकाया और हम दोनो साथ साथ खाना खाया. आज वो मुझपर कुछ ज़्यादा ही मेहरबान थी और बार बार किसी ना किसी बहाने से अपनी चूंची का जलवा हमे दिखा रही थी. खाने के बाद भाभी ने हमे फल खाने को दिया. फल देते वक़्त उन्होने मेरा हाथ मसल दिया और बारे ही मादक अदा से मुस्कुरा दिया. मैं शर्मा गया क्यूंकी एह मुस्कान कुछ अलग किस्म की थी और उसमे शरारत झलक रही थी. खाने के बाद मैं तो पढ़ने बैठ गया और वो अपने कपरे चेंज करने लगी. गर्मी के दिन थे और गर्मी कुछ ज़यादा ही था. मैं अपना शर्ट और बनियान उतार कर केबल पॅंट पहन कर पढ़ने बैठ गया. मेरी टेबल के उपर दीवार पर एक शीशा टंगा था और भाभी को मैं उस शीशे मे देख रहा था. वो मेरी तरफ देख रही थी और अपना कपड़ा उतार रही थे. वो सोच भी नही सकती थे कि मैं उनको शीशे के अंदर से देख रहा था. उन्होने अपना ब्लाउस खोल कर उतार दिया. है क्या मदमस्त चूंची थी. मैं पहली बार लेस वाली ब्रा मे बँधे उनके चुची को देख रहा था. उनकी चूंची काफ़ी बरी बरी थी और वो ब्रा मे समा नही रही थी. आधी चूंची ब्रा के उपर से झलक रही थी.कापरे उतार कर वो बिस्तेर पर चिट लेट गयी और अपने सिने को एक झीनी से चुननी ढक लिया. एक पल के लिए उनके पास जा कर उनकी चूंची को देखु, फिर सोचा एह ठीक नही होगा और मैं पढ़ने लग गया. लेटते ही वो सो गयी और कुछ ही देर मे उनका दुपपत्ता उनके छाती से सरक गया और साँसों से साथ उठती बैठती उनकी मस्त रसीली चूंची साफ साफ दिख रहा था. रात के बारह बज चुके थे. मैं पढ़ाई बंद किया और बत्ती बुझाने ही वाला था कि भाभी की सुरीली आवाज़ मेरे कानो मे परी, “लाला इन्हा आओ ना.” मैं उनकी तरफ बढ़ा, अब उन्होने अपनी चूंची को फिरसे दुपपत्ते से ढँक लिया था. मैने पूछा, “क्या है भाभी?’ उन्होने कहा, “लाला ज़रा मेरे पास ही लेट जाओ ना, थोरी देर बात करेंगे फिर तुम अपने बिस्तेर पर जा कर सो जाना.” पहले तो मैं हिचकिचाया लर्किन फिर मान गया. मैं लूँगी पहन कर सोता था और अब मुझको पॅंट पहन कर सोने मे दिक्कत हो रही थी. वो मेरी परेशानी ताड़ गयी और बोली, “कोई बात नही, तुम अपनी पॅंट उतार दो और रोज जैसे सोते हो वैसे ही मेरे पास सो जाओ. शरमाओ मत. आओ ना.” मुझे अपने कान पर यकीन नही हो रहा था. लूँगी पहन कर मैं ने लाइट बंद कर दी और नाइट लॅंप जला कर मैं बिस्तेर पर उनके पास लेट गया. जिस बदन को महीनो से निहारता था आज मैं उसी के पास लेटा हुआ था. भाभी का अधनंगा शरीर मेरे बिल्कुल पास था. मैं ऐसे लेटा था कि उनकी चूंची बिल्कुल नंगी मालूम दे रहा था, क्योंकि थोरा सा हिस्सा ही ब्रा मे छुपा था. क्या हसीन नज़ारा था. तब भाभी बोली, “इतने महीने से अकेले नही सोई हूँ और अब आदत नही है अकेले सोने की.” मैं बोला, “मैं भी कभी किसी के साथ नही सोया.” वो ज़ोर से खिलखिलाई और बोले, “अनुभव ले लेना चाहिए जब भी मौका मिले, बाद मे काम आएगा.” उन्होने मेरा हाथ पकर कर धीरे से खींच कर अपने उभरे हुए चूंची पर रख दिया और मैं कुछ नही बोल पाया लेकिन अपना हाथ उनके चूंची पर रखा रहने दिया. मुझे यहाँ कुछ खुजा रहा है, ज़रा सहलाओ ना.” मैने ब्रा के उपर से ही उनकी चूंची को सहलाना शुरू किया. भाभी ने मेरा ब्रा के कप मे घुसा कर सहलाने को कहा और मेरा हाथ ब्रा के अंदर कर दिया. मैने अपना पूरा हाथ अंदर घुसा कर ज़ोर ज़ोर से उनकी चूंची को रगरना शुरू कर दिया. मेरी हथेली की रगर पा कर भाभी के निपल कड़े हो गये. मुलायम माँस के स्पर्श से मुझे बहुत अक्च्छा लग रहा था लेकिन ब्रा के अंदर करके मसल्ने मे मुझे दिक्कत हो रही थी. अचानक वो अपनी पीठ मेरी तरफ घुमा कर बोली, “लाला यह ब्रा का हूक्क खोल दो और ठीक से सहलाओ.” मैने काँपते हुए हाथों से भाभी की ब्रा की हूक्क खोल दिया और उन्होने अपने बदन से उसे उतार कर नीचे डाल दिया. मेरे दोनो हाथो को अपने नंगी छाती पर ले जा कर वो बोली, “थोरा कस कर दबओ ना.” मैं भी काफ़ी उत्तेजित हो गया और जोश मे आकर उनकी रसीली चूंची से जम कर खेलने लगा. बडी बडी चूंचिया थी. कडी कडी चूंची और लंबे लंबे निपल. पहली बार मैं किसी औरत की चूंची को छू रहा था. भाभी को भी मुझसे अपने चूंची की मालिश करवाने मे मज़ा आ रहा था. मेरा लंड अब करा होने लगा था और अंडरवेर से बाहर निकलने के लिए ज़ोर लगा रहा था. मेरा ७.५” का लंड पूरे जोश मे आ गया था. भाभी की चूंची मसल्ते नसल्ते हुए मैं उनके बदन के बिल्कुल पास आ गया था और मेरा लंड उनकी जाँघो मे रगर मारने लगा था.अचानक वो बोली, “लाला ये मेरी टॅंगो मे क्या चुभ रहा है?” मैने हिम्मत करके जबाब दिया, “ये मेरा हतियार है. तुमने भैया का हतियार तो देखा होगा ना?” हाथ लगा कर देखूं? उन्होने पूछा और मेरे जबाब देने से पहले अपना हाथ मेरे लंड पर रख कर उसको टटोलने लगी. अपनी मुट्ठी मेरे लंड पर कस के बंद कर ली और बोले, “बाप रे, बहुत करक है.” वो मेरी तरफ घूमी और अपना हाथ मेरे अंडरवेर मे घुसा कर मेरे फार-फादाते हुए लंड को एलास्टिक के उपर निकाल लिया. लंड को कस कर पकरे हुए वो अपना हाथ लंड के जर तक ले गयी जिससे सुपरा बाहर आ गया. सुपरे की साइज़ और आकर देख कर वो बहुत हैरान हो गयी. “लाला कहाँ छुपा रखा था इतने दिन” उन्होने पूछा. मैने कहा, “एहीं तो था तुम्हारे सामने लेकिन तुमने ध्यान नही दिया. भाभी बोली, “मुझे क्या पता था कि तुम्हारा इतना बरा होगा, छोटे भाई का लॉरा बरे भाई के लौरे से बरा भी हो सकता है, एह मैं सोच भी नही सकती थी.” मुझे उनकी बिंदास बोल पर अस्चर्य हुआ जब उन्होने “लॉरा” कहा और साथ ही मे बरा मज़ा आया. ` वो मेरे लंड को अपने हाथ मे लेकर खींच रही थी और कस कर दबा रही थी. फिर भाभी ने अपना पेटिकोट अपनी कमर के उपर उठा लिया और मेरे तने हुए लंड को अपनी जाँघो के बीच ले कर रगर्ने लगी. वो मेरी तरफ कारबट ले कर लेट गयी ताकी मेरे लंड को ठीक़ तरह से पकर सके. उनकी चूंची मेरे मुँह के बिल्कुल पास थी और मैं उन्हे कस कस कर दबा रहा था. अचानक उन्होने अपनी एक चूंची मेरे मुँह मे थेल्ते हुए कहा, “चूसो इनको मुँह मे लेकर.” मैने इनकी लेफ्ट चूंची अपने मुँह मे भर लिया और ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा. थोरे देर के लिए मैने उनकी चूंची को मुँह से निकाला और बोला, “मैं हुमेशा तुम्हारे ब्लाउस मे कसी चूंची को देखता था और हैरान होता था. इनको छूने की बहुत इक्च्छा होती थी और दिल करता था कि इन्हे मुँह मे लेकर चुसू और इनका रस पीऊँ. पर डरता था पता नही तुम क्या सोचो और कन्ही मुझसे नाराज़ ना हो जाओ. तुम नही जानती भाभी कि तुमने मुझे और मेरे लंड को कितना परेशान किया है?” “अक्च्छा तो आज अपनी तमन्ना पूरी कर लो, जी भर कर दब्ाओ, चूसो और मज़े लो; मैं तो आज पूरी की पूरी तुम्हारी हूँ जैसा चाहे वैसा ही करो” भाभी ने कहा. फिर कया था, भाभी की हरी झंडी पाकर मैं टूट परा भाभी की चूंची पर. मेरी जीव उनके करे निपल को महसूस कर रही थी. मैने अपनी जीव भाभी के उठे हुए करे निपल पर घुमाया. मैने दोनो अनारो को कस के पकरे हुए था और बारी बारी से उन्हे चूस रहा था. मैं ऐसे कस कर चूंची को दबा रहा था जैसे की उनका पूरा का पूरा रस निचोर लूँगा. भाभी भी पूरा साथ दे रही थी. उनके मुहह से “ओह! ओह! आह! स, स इसस्स्स्स्स्स्शह ! की आवाज़ निकल रही थी. मुझसे पूरी तरफ से सटे हुए वो मेरे लंड को बुरी तरह से मसल रही थी और मारोर रही थी. उन्होने अपनी लेफ्ट टांग को मेरे काग के उपर चढ़ा दिया और मेरे लंड को को अपनी जाँघो के बीच रख लिया. मुझे उनकी जाँघो के बीच एक मुलायम रेशमी एहसास हुआ. एह उनकी चूत थी. भाभी ने पॅंटी नही पहन रखी थी और मेरा लंड का सुपरा उनकी झांतो मे घूम रहा था. मेरा सब्र का बाँध टूट रहा था. मैं भाभी से बोला, “भाभी मुझे कुछ हो रहा और मैं अपने आपे मे नही हूँ, प्लीज़ मुझे बताओ मैं क्या करू?” भाभी बोली, “तुमने कभी किसी लर्की को चोदा है आज तक?” मैने बोला, “नही.” कितने दुख की बात है. कोई भी लर्की इसे देख कर कैसे मना कर सकती है. शादी तक ऐसे ही रहने का इरादा है क्या? मैं क्या बोलता. मेरे मुँह मे कोई शब्द नही थे. मैं चुपचाप उनके चेहरे को देखते हुए चूंची मसलता रहा. उन्होने अपना मुँह मेरे मुँह से बिल्कुल सटा दिया और फुसफुसा कर बोली, “अपनी भाभी को चोदोगे?’“का.. का.. क...क्यों नही” मैं बरी मुस्किल से कहा पाया. मेरा गला सूख रहा था. वो बरे मादक अंदाज़ मे मुस्कुरा दी और मेरे लंड को आज़ाद करते हुए बोली, “ठीक है, लगता है अपने अनारी देवर राजा को मुझे ही सब कुछ सिखाना परेगा. पर गुरु दक्षिणा पूरे मन से देना. चलो अपनी चढ़ी उतार कर पूरे नंगे हो जाओ.” मैं पलंग पर से उतेर गया और अपना अंडरवेर उतार दिया. मैं अपने तने हुए लंड को लेकर नंग धरन्ग अपनी भाभी के सामने खरा था. भाभी अपने रसेली होटो को अपने दन्तो मे दबा कर देखती रही और अपने पेटीकोआट का नारा खींच कर ढीला कर दिया. “तुम भी इससे उतार कर नंगी हो जाओ” कहते हुए मैने उनका पेटिकोट को खींचा. भाभी अपने चूतर उपर कर दिया जिससे की पेटिकोट उनकी टांगो उतेर कर अलग हो गया. भाभी अब पूरी तरह नंगी हो कर मेरे सामने चित परी हुई थी. भाभी ने अपनी टाँगो को फैला दिया और मुझे रेशमी झांतो के जंगल के बीच छुपी हुई उनकी रसीले गुलाबी चूत का नज़ारा देखने को मिला. नाइट लॅंप की हल्की रोशनी मे चमकते हुए नगे जिस्म को को देखकर मैं उत्तेजित हो गया और मेरा लंड मारे खुशी के झूमने लगा. भाभी ने अब मुझसे अपने उपर चढ़ने को कहा. मैं तुरंत उनके उपर लेट गया और उनकी चूंची को दबाते हुए उनके रसीले होन्ट चूसने लगा. भाभी ने भी मुझे कस कर अपने आलिंगन मे कस कर जकर लिया और चुम्मा का जवाब देते हुए मेरे मुँह मे अपनी जीव ठेल दिया. हाई क्या स्वाड्िस्ट और रसीली जीव थी. मैं भी उनकी जीव को ज़ोर शोर से चूसने लगा. हुमारा चुम्मा पहले प्यार के साथ हल्के मे था और फिर पूरे जोश के साथ.कुछ देर तक तो हम ऐसे ही चिपके रहे, फिर मैं अपने होन्ट भाभी की नाज़ुक गाल्लों पर रगर रगर कर चूमने लगा. फिर भाभी ने मेरी पीठ पर से हाथ उपर ला कर मेरा सर पकर लिया और उसे नीचे की तरफ ठेला. मैं अपने होंठ उनके होंटो से उनकी थोड़ी पर लाया और कंधो को चूमता हुआ चूंची पर पहुँचा. मैं एक बार फिर उनकी चूंची को मसलता हुआ और खेलता हुआ काटने और चूसने लगा. उन्होने बदन के निचले हिस्से को मेरे बदन के नीचे से निकाल लिया और हुमारी टाँगे एक-दूसरे से दूर हो गये. अपने दाएँ हाथ से वो मेरा लंड पकर कर उसे मुट्ठी मे बाँध कर सहलाने लगी और अपने बाएँ हाथ से मेरा दाहिना हाथ पकर कर अपनी टाँगो के बीच ले गयी. जैसे ही मेरा हाथ उनकी चूत पर पहुँचा उन्होने अपनी चूत के दाने को उपर से रगर दिया. समझदार को इशारा काफ़ी था. मैं उनके चूंची को चूस्ता हुआ उनकी चूत को रगड़ने लगा. “लाला अपनी उंगली अंदर डालो ना?” कहती हुए भाभी ने मेरा उंगली अपनी चूत के मुँह पर दबा दिया. मैने अपनी उंगली उनकी चूत के दरार मे घुसा दिया और वो पूरी तरह अंदर चली गयी. जैसे जैसे मैने उनकी चूत के अंदर म्यूवाना करता मेरा मज़ा बढ़ता गया. जैसे ही मेरा उंगली उनके चूत के दाने से टकराया उन्होने ज़ोर से सिसकारी ले कर अपनी जाँघो को कस कर बंद कर लिया और चूतर उठा उठा कर मेरे हाथ को चोदने लगी. उनकी चूत से पानी बह रहा था. थोरी देर बाद तक ऐसे ही मज़ा लेने के बाद मैने अपनी उंगली उनकी चूत से बाहर निकाल लिया और सीधा हो कर उनके उपर लेट गया. भाभी ने अपनी टाँगे फैला दी और मेरे फरफ़रते हुए लंड को पाकर कर सुपरा चूत के मुहाने पर रख लिया. उनकी झांतो का स्पर्श मुझे पागल बना रहा था, फिर भाभी ने मुझसे बोली, “अब अपना लॉरा मेरी बुर मे घुसाओ, प्यार से घुसेरना नहीतो मुझे दर्द होगा, अहह!” मैं नौसीखिया था इसीलिए शुरू शुरू मे मुझे अपना लंड उनकी टाइट चूत मे घुसाने मे काफ़ी परेशानी हुए. मैं जब ज़ोर लगा कर लंड अंदर ठेलना चाहा तो उन्हे दर्द भी हुआ. लेकिन पहले से उंगली से छुड़वा कर उनकी चूत काफ़ी गीली हो गयी थी. भाभी भी हाथ से लंड को निशाने पर लगा कर रास्ता दिखा रही थी और रास्ता मिलते ही मेरा एक ही धक्के मे सुपरा अंदर चला गया. इससे पहले की भाभी संभले या आसान बदले, मैने दूसरा धक्का लगाया और पूरा का पूरा लंड माखन जैसी चूत की जन्नत मे दाखिल हो गया. भाभी चिल्लइ, “उईईइ ईईईईईई ईईईई माआआ उहुहुहह ओह संजूऊ, ऐसे ही कुछ देर हिलना डुलना नही, हाई! बरा जलीम है तुम्हारा लंड. मार ही डाला मुझे तुमने देवर राजा.” भाभी को काफ़ी दर्द हो रहा लगता है. पहली बार जो इतना मोटा और लंबा लंड उनके बर मे घुसा था. मैं अपना लंड उनकी चूत मे घुसा कर चुप चाप परा था. भाभी की चूत फरक रही थी और अंदर ही अंदर मेरे लौरे को मसल रही थी. उनकी उठी उठी चूंचिया काफ़ी तेज़ी से उपर नीचे हो रही थी. मैने हाथ बढ़ा कर दोनो चूंची को पकर लिया और मुँह मे लेकर चूसने लगा. भाभी को कुछ राहत मिली और उन्होने कमर हिलानी शुरू कर दी.भाभी मुझसे बोली, “लाला शुरू करो, चोदो मुझे. लेलो मज़ा जवानी का मेरे राज्ज्ज्जा,” और अपनी गंद हिलाने लगी. मैं ठहरा अनारी. समझ नही पाया कि कैसे शुरू करूँ. पहले अपनी कमर उपर किया तो लंड चूत से बाहर आ गया. फिर जब नीचे किया तो ठीक निशाने पर नही बैठा और भाभी की चूत को रगारता हुआ नीचे फिसल कर गंद मे जाकर फँस गया. मैने दो तीन धक्के लगाया पर लंड चूत मे वापस जाने बजाई फिसल कर गंद मे चला जाता. भाभी से रहा नही गया और तिलमिला कर कर ताना देती हुई बोली, “ अनारी का चोदना और चूत का सत्यानाश, अरे मेरे भोले राजा ज़रा ठीक से निशाना लगा कर ठेलो नही तो चूत के उपर लॉरा रगर रगर कर झार जाऊगे.” मैं बोला, “भाभी अपने इस अनारी देवर को कुछ सिख़ाओ, जिंदगी भर तुम्हे गुरु मनुगा और लंड की दक्षिणा दूँगा.”`` भाभी लूंबी सांस लेती हुए बोली, “हाँ लाला, मुझे ही कुछ करना होगा नही तो देवरानी आकर कोसेगी कि तुम्हे कुछ नही सिखाया.” मेरा हाथ अपनी चूंची पर से हटाया और मेरे लंड पर रखती हुई बोले, “इससे पकर कर मेरी चूत के मुँह पर रखहो और लगाओ धक्का ज़ोर से.” मैने वैसे ही किया और मेरा लंड उनकी चूत को चीरता हुआ पूरा का पूरा अंदर चला गया. फिर भाभी बोली, “अब लंड को बाहर निकालो, लेकिन पूरा नही. सुपरा अंदर ही रहने देना और फिर दोबारा पूरा लंड अंदर पेल देना, बस इसी तरह से करते रहो.” मैने वैसे ही करना शुरू किया और मेरा लंड धीरे धीरे उनकी चूत मे अंदर-बाहर होने लगा. फिर भाभी ने स्पीड बढ़ा कर करने को कहा. मैने अपनी स्पीड बढ़ा दी और तेज़ी से लंड अंदर-बाहर करने लगा. भाभी को पूरी मस्ती आ रही थी और वो नीचे से कमर उठा उठा कर हर शॉट का जवाब देने लगी. लेकिन ज़यादा स्पीड होने से बार बार मेरा लंड बाहर निकल जाता. इससे चुदाई का सिलसिला टूट जाता. आख़िर भाभी से रहा नही गया और करवट ले कर मुझे अपने उपर से उतार दिया और मुझको चित लेटा कर मेरे उपर चढ़ गयी. अपनी जाँघो को फैला कर बगल कर के अपने गद्देदार चूतर रखकर बैठ गयी. उनकी चूत मेरे लंड पर थी और हाथ मेरी कमर को पकरे हुए थी और बोली, “मैं दिखाती हूँ की कैसे चोद्ते है,” और मेरे उपर लेट कर धक्का लगाया. मेरा लंड घाप से चूत के अंदर दाखिल हो गया. भाभी ने अपनी रसीली चूंची मेरी छाती पर रगर्ते हुए अपने गुलाबी होन्ट मेरे होन्ट पर रख दिया और मेरे मुँह मे जीव थेल दिया. फिर भाभी ने मज़े से कमर हिला हिला कर शॉट लगाना शुरू किया. बारे कस कस कर शॉट लगा रही थी मेरी प्यारी भाभी. चूत मेरे लंड को अपने मे समाए हुए तेज़ी से उपर नीचे हो रही थी. मुझे लग रहा था कि मैं जन्नत पहुँच गया हूँ. अब पोज़िशन उल्टी हो गयी थी. भाभी मानो मर्द थी जो की अपनी माशुका को कस कस कर चोद रहा था. जैसे जैसे भाभी की मस्ती बढ़ रही थी उनके शॉट भी तेज़ होते जा रहे थे. अब भाभी मेरे उपर मेरे कंधो को पकर कर घुटने के बल बैठ गयी और ज़ोर ज़ोर से कमर हिला कर लंड को तेज़ी से अंदर-बाहर लेने लगी. उनका सारा बदन हिल रहा था और साँसे तेज़ तेज़ चल रही थी. भाभी की चूंचिया तेज़ी से उपर नीचे हो रही थी. मुझसे रहा नही गया और हाथ बढ़ा कर दोनो चूंची को पकर लिया और ज़ोर ज़ोर से मसल्ने लगा. भाभी एक साधे हुए खिलाड़ी की तरह कमान अपने हाथो मे लिए हुए थी और कस कस कर शॉट लगा रही थी. जैसे जैसे वो झरने के करीब आ रही थी उनकी रफ़्तार बढ़ती जा रही थी. कमरे मे फ़च फ़च की आवाज़ गूँज रही थी. जब उनकी सांस फूल गयी तो खुद नीचे आकर मुझे अपने उपर खींच लिया और टाँगो को फैला कर उपर उठा लिया और बोली, “मैं थक गयी मेरे राज्ज्ज्जा, अब तुम मोर्चा सँभलो.”मैं झट उनकी जाँघो के बीच बैठ गया और निशाना लगा कर झटके से लंड अंदर डाल दिया और उनके उपर लेट कर दनादन शॉट लगाने लगा. भाभी ने अपनी टांग को मेरी कमर पर रख कर मुझे जकर लिया और ज़ोर ज़ोर से चूतर उठा उठा कर चुदाई मे साथ देने लगी. मैं भी अब उतना अनारी नही रहा और उनकी चूंची को मसल्ते हुए टका ठक शॉट लगा रहा था. कमरा हुमारी चुदाई की आवाज़ से भरा परा था. भाभी अपनी कमर हिला कर चूतर उठा उठा कर चुद रही थी और बोले जा रही थी, “आह आअहह उनह ऊओह ऊऊहह हाआआं हााआ मीईरए राज्ज्जज्जा, माआआअर गाययययययए रीईए, ललल्ल्ल्ल्ल चूऊओद रे चूऊओद. उईईईईईई मीईईरीईई माआअ, फ़ाआआअत गाआआईई रीईई आआआज तो मेरी चूत. मीईएरा तो दुउऊऊँ निकककककल तुउुउउने टूऊ आाज. बर्ाआा जााअलीएम हााऐरे तुउउउंहाआआरा लॉरा, एकदुउऊऊँ माहीईं मस्स्स्स्स्सला पीईएसस दीययययया रीईई.” मैं भी बोल रहा था, “लीईए मेरिइई राणििइ, लीई लीईए मेरा लॉरा अपणीईीई ओखलीईए मीईए. बारयाआया तरपेयययययया है तुनीई मुझीई. लीईए लीई, लीई मेरिइई भाभिईीई यह लंड आब्ब्ब्बब तेराआ हीई है. अहह! उहह क्या जन्नत का मज़ाआअ सिखयाआअ तुनीईए. मैं तो तेराआअ गुलाम हूवू गयाआ हीईीईईईईईईईईई मेरीए देवर ..संजूऊुउउ.. ”भाभी गंद उछाल उछाल कर मेरा लंड अपनी चूत मे ले रही थी और मैं भी पूरे जोश के साथ उसकी चूंचियो को मसल मसल कर अपनी भाभी को चोदे जा रहा था.भाभी मुझको ललकार कर कहती, लगाओ शॉट मेरे राजा”, और मैं जवाब देता, “यह ले मेरी रानी, ले ले अपनीचूत मे”. “ज़रा और ज़ोर से सरकाओ अपना लंड मेरी चूत मे मेरे राजा”, “यह ले मेरी रानी, यह लंड तो तेरे लिए ही है.” “देखो राज्ज्ज्जा मेरी चूत तो तेरे लंड की दीवानी हो गयी, और ज़ोर से और ज़ोर से आआईईईई मेरे राज्ज्जज्ज्ज्जा. मैं गइईईईई रीई,” कहते हुए मेरी भाभी ने मुझको कस कर अपनी बाहों मे जाकड़ लिया और उनकी चूत ने ज्वालामुखी का लावा छोर दिया. अब तक मेरा भी लंड पानी छोड़ने वाला था और मैं बोला, “मैं भी अयाआआ मेरी जाआअन,” और मेने भी अपना लंड का पानी छोर दिया और मैं हान्फ्ते हुए उनकी चूंची पर सिर रख कर कस के चिपक कर लेट गया. यह मेरी पहली चुदाई थी. इसीलिए मुझे काफ़ी थकान महसूस हो रही थी. मैं भाभी के सिने पर सर रख कर सो गया. भाभी भी एक हाथ से मेरे सिर को धीरे धीरे से सहलाते हुए दूसरे हाथ से मेरी पीठ सहला रही थी. कुछ देर बाद होश आया तो मैने भाभी के रसीले होंठो के चुंबन लेकर उन्हे जगाया. भाभी ने करवट लेकर मुझे अपने उपर से हटाया और मुझे अपनी बाहों मे कस कर कान मे फूस-फूसा कर बोली, “संजू तुमने तो कमाल कर दिया, क्या गजब का ताक़त है तुम्हारे लंड मे.” मैने उत्तेर दिया, “कमाल तो अपने कर दिया है भाभी, आजतक तो मुझे मालूम ही नही था कि अपने लंड को कैसे इस्तिमाल कैसे करना है. यह तो आपकी मेहेरबानी है जो कि आज मेरे लंड को आपकी चूत की सेवा करने का मौका मिला.” अबतक मेरा लंड उनकी चूत के बाहर झांतो के जंगल मे रगर मार रहा था. भाभी ने अपनी मुलायम हथेलिओं मे मेरा लंड को पकर कर सहलाना शुरू किया. उनकी उंगली मेरे आंडो से खेल रही थी. उनकी नाज़ुक उंगलिओ के स्पर्श पाकर मेरा लंड भी जाग गया और एक अंगराई लेकर भाभी की चूत पर ठोकर मारने लगा. भाभी ने कस कर मेरा लंड को क़ैद कर लिया और बोली, “बहुत जान तुम्हारे लंड मे, देखो फिर से फार-फरने लगा, अब मैं इसको छोड़ूँगी नही.” हम दोनो अगल बगल लेते हुए थे.भाभी ने मुझको चित लेटा दिया, और मेरी टांग पर अपनी टांग चढ़ा कर लंड को हाथ से उमेठेने लगी. साथ ही साथ भाभी अपनी कमर हिलाते हुए अपनी झांट और चूत मेरी जाँघ पर रगार्ने लगी. उनकी चूत पिछली चुदाई से अभीतक गीली थी और उसका स्पर्श मुझे पागल बनाए हुए था. अब मुझसे रहा नही गया और करवट लेकर भाभी की तरफ मुँह करके लेट गया. उनकी चूंची को मुँह मे दबा कर चूस्ते हुए अपनी उंगली चूत मे घुसा कर सहलाने लगा. भाभी एक सिसकारी लेकर मुझसे कस कर चिपेट गयी और ज़ोर ज़ोर से कमर हिलाते हुए मेरी उंगली से चुद्वने लगी. अपने हाथ से मेरे लंड को कस कर ज़ोर ज़ोर से मूठ मार रही थी.लंड पूरे जोश मे आकर लोहे की तरह सकत हो गया था. अब भाभी को बेताबी हद से ज़्यादा बढ़ गयी थी और खुद चित हो कर मुझे अपने उपर खीच लिया. मेरे लंड को पकर कर अपनी चूत पर रखती हुई बोली, “आओ मेरे राजा, सेकेंड राउंड हो जाए.”मैने झट कमर उठा कर धक्का दिया और मेरा लंड उनकी चूत को चीरता हुआ जर तक धँस गया. भाभी चिल्ला उठी और बोले, “जीओ मेरे संजूऊ राजा, क्या शॉट मारा. अब मेरे सिखाए हुए तरीके से शॉट पर शॉट मारो और फार दो मेरी चूत को.” भाभी का आदेश पा-कर मैं दूने जोश मे आ गया और उनकी चूंची को पकर कर हुमच हुमच कर भाभी की चूत मे लंड पेलने लगा. उंगली की चुदाई से भाभी की चूत गीली हो गयी थी और मेरा लंड सतसट अंदर-बाहर हो रहा था. भाभी नीचे से कमर उठा उठा कर हर शॉट का जवाब पूरे जोश के साथ दे रही थी. भाभी ने दोनो हाथो से मेरी कमर को पकर रखहा था और ज़ोर ज़ोर से अपन चूत मे लंड घुस्वा रही थी. वो मुझे इतना उठाती थी की बस लंड का सुपरा अंदर रहता और फिर ज़ोर नीचे खीचती हुई घाप से लंड चूत मे घुस्वा लेती थीं. पूरे कमरे मे हुमारी सांस और घपा-घाप, फ़च-फ़च की आवाज़ गूँज रही थी. जब हम दोनो की ताल से ताल मिल गयी तब भाभी ने अपने हाथ नीचे लाकर मेरे चूतर को पकर लिया और कस कस कर दबोचताए हुए मज़ा लेने लगी. कुछ देर बाद भाभी ने कहा, “आओ एक नया आसन सिखाती हूँ,” और मुझे अपने उपर से हटा कर किनारे कर दिया. मेरा लंड ‘पक’ की आवाज़ साथ बाहर निकल आया. मैं चित लेटा हुआ था और मेरा लंड पूरे जोश के साथ सीधा खरा था. भाभी उठ कर घुटनो और हथेलिओं पर मेरे बगल मे बैठ गयी. मैं लंड को हाथ मे पकर कर उनकी हरकत देखता रहा. भाभी ने मेरा लंड पर से हाथ हटा कर मुझे खीच कर उठाते हुए कहा, “ऐसे परे परे क्या देख रहे हो, चलो अब उठ कर पीछे से मेरी चूत मे अपनी लंड को घुसाओ.” मैं भी उठ कर भाभी के पीछे आकर घुटने के बल बैठ गया और लंड को हाथ से पकर कर भाभी की चूत पर रगड़ने लगा. क्या मस्त गोल गोल गद्दे दार गंद थी. भाभी ने जाँघ को फैला कर अपने चूतर उपर को उठा दिए जिससे की उनकी रसीली चूत साफ नज़र आने लगी. भाभी का इशारा समझ कर मैने लंड का सुपरा उनकी चूत पर रख कर धक्का दिया और मेरा लंड उनकी चूत को चीरता हुआ जर तक धँस गया. भाभी ने एक सिसकारी भर कर अपनी गंद पीछे कर के मेरी जाँघ से चिपका दी. मैं भी भाभी की पीठ से चिपक कर लेट गया और बगल से हाथ डाल कर उनकी दोनो चिकनी को पकर कर मसल्ने लगा. वो भी मस्ती मे धीरे धीरे चूतर को आगे-पीछे करके मज़े लेने लगी. उनके मुलायम चूतर मेरी मस्ती को दोगुना कर रहे थे. मेरा लंड उनकी रसीली चूत मे आराम से आगे-पीछे हो रहा था.कुछ देर तक चुदाई का मज़ा लेने के बाद भाभी बोली, “कालो राज्ज्जा अब आगे उठा कर शॉट लगाओ, अब रहा नही जाता.” मैं उठा कर सीधा हो गया और भाभी के चूतर को दोनो हाथों से कस कर पकर कर चूत मे हमला शुरू कर दिया. जैसा की भाभी ने सिखाया था मैं पूरा लंड धीरे से बाहर निकाल कर ज़ोर से अंदर कर देता. शुरू मे तो मैने धीरे धीरे किया लेकिन जोश बढ़ता गया और धक्को की रफ़्तार बढ़ती गयी. धक्का लगाते समय मैं भाभी के चूतर को कस के अपनी ओर खीच लेता ताकि शॉट तगरा परे. भाभी भी उसी रफ़्तार से अपने चूतर को आगे-पीछे कर रही थी. हम दोनो की साँसे तेज हो गयी थी. भाभी की मस्ती पूरे परवान पर थी. नंगे जिस्म जब आपस मे टकराते तो घाप-घाप की आवाज़ आती. काफ़ी देर तक मैं उनकी कमर पकर धक्का लगता रहा. जब हालत बेकाबू होने लगे तब भाभी को फिर से चित लेता कर उन पर सवार हो गया और चुदाई का दौर चालू रखा.हम दोनो ही पसीने से लथपथ हो गये थी पर कोइ भी रुकने का नाम नही ले रहा था. तभी भाभी ने मुझे कस कर जकर लिया और अपनी टाँगे मेरे चूतर पर रख दिया और कस कर ज़ोर ज़ोर से कमर हिलाते हुए चिपक कर झार गयी. उनके झरने के बाद मैं भी भाभी की चूंची को मसल्ते हुए झार गया और हान्फते हुए उनके उपर लेट गया. हम दोनो की साँसे ज़ोर ज़ोर से चल रही थी और हम दोनो काफ़ी देर तक एक-दूसरे से चिपक कर परे रहे. कुछ देर बाद भाभी बोले, “कायों लाला कैसी लगी हुमारी चूत की चुदाई?” मैं बोला, “हाई भाभी जी करता है क़ि जिंदगी भर इसी तरह से तुम्हारी चूत मे लंड डाले परा रहूं.” “जब तक तुम्हारे भैया वापस नही आते, यह चूत तुम्हारी है, जैसे मर्ज़ी हो मज़े लो, अब थोरे देर आराम करतें है.” “नही भाभी, कम से कम एक बार और हो जाए. देखो मेरा लंड अभी भी बेकरार है.” भाभी ने मेरे लंड को पकर कर कहा, “यह तो ऐसे रहेगा ही, चूत की खुसबु जो मिल गयी है. पर देखो रात के तीन बज गये है, अगर सुबह टाइम से नही उठें तो परोसेवन को शक गाएगा. अभी तो सारा दिन सामने है और आगे के इतने दिन हुमारे है. जी भर कर मस्ती लेना. मेरा कहा मनोगे तो रोज नया स्वाद चखोगे.” भाभी का कहना मान कर मैने भी जीद छोर दी और भाभी करवट ले कर लेट गयी और मुझे अप्नेसे सटा लिया. मैने भी उनकी गंद की दरार मे लंड फँसा कर चूंचियो को दोनो हाथों मे पकर लिया और भाभी के कंधे को चूमता हुआ लेट गया. नींद कब आई इसका पता ही नही चला.सुबह जब अलार्म बजा तो मैने समय देखा, सुबह के सात बज रहे थी. भाभी ने मुस्कुरा कर देखा और एक गरमा-गरम चुंबन मेरे होटो पर जड़ दिया. मैने भी भाभी को जकर कर उनके चुंबन का जोरदार का जवाब दिया. फिर भाभी उठ कर अपने रोज के कम काज मे लग गयी. वो बहुत खुश थी और उनके गुनगुनाने की आवाज़ मेरे कानो मे सहद घोल रही थी. तभी घंटी बजी और हुमारी नौकरानी आशा आगयी. उस दिन मैं कॉलेज नही गया. नाश्ता करने के बाद मैं पढ़ने बैठ गया. जब आशा कमरे मे झारू लगाने आई तब भी मैं टेबल पर बैठ कर पढ़ाई करता रहा. पढ़ाई क्या खाक होती. बस रात का ड्रामा ही आँखों के सामने चलता रहा. सामने खुली किताब मे भी भाभी का संगमरमरी बदन और उनकी प्यारी सी रसीली चूत नज़र आ रही थी. “बाबू ज़रा पैर हटा लो झारू देनी है.” मैं चोंक कर हक़ीकत के दिनो मे वापस आया. देखा आशा कमर पर हाथ रखी मेरे पास खरी है. मैं खरा हो गया और वो झारू लगाने लगी. मैं उसे देखने लगा. गेंहूआ रंग, भरा-भरा बदन. तीखे नाक नक्शे, बरे ही साफ सुथरे ढंग से सज संवार कर आई थी. आज से पहले मैने उस पर ध्यान नही दिया था. वो आती और अपना काम कर के वापस चली जाती थी. पर आज की बात ही कुछ और ही थी. भाभी से चुदाई की ट्रैनिंग पाकर एक ही रात मे मेरा नज़रिया बदल गया था. अब मैं हर औरत को चुदाई की नज़रिया से देखना चाहता था. आशा लाल हरी रंग के सारी पहने हुए थी, जिसका पल्लू छाती पर से लाकर कमर मे दबा लिया था. छोटा सा पर गहरे रंग का चोली नुमा ढीला ब्लाउस उसकी चूंची साफ दिखाई दे रही थी. मेरा लंड फॅन-फ़ना गया. रात वाली भाभी की चूंची मेरे धिमक मे कौंध गयी. तभी आशा की नज़र मुझ पर परी. मुझे एकटक घूरता पाकर उसने एक दबी से मुस्कान दी और अपना आँचल संभाल कर चूंचियो छुपा लिया. अब वो मेरी तरफ पीठ कर के टेबल के नीचे झारू लगा रही थी. उसके चूतर तो और भी मस्त थे. फैले-फैले और गद्देदार. मैं मन ही मन सोचने लगा कि इसकी गंद मे लंड फन्सा कर चूंची को मसल्ते हुए चोदने मे कितना मज़ा आएगा. बेखायाली मे मेरा हाथ मेरे तननाए हुए लंड पर पहुँच गया और मैं पायजामा के उपर से ही सुपरे को मसल्ने लगा. तभी आशा अपना काम पूरा कर के पलटी और मेरे हरकत देख कर मुँह पर हाथ रख कर हँसती हुई बाहर चली गयी. मैं झेंप कर कुर्सी पर बैठ कर पढ़ाई करने की कोशिश करने लगा.जब आशा काम कर के चली गयी तब भाभी ने मुझे खाने के लिए आवाज़ दी. मैं डाइनिंग टेबल पर आ गया. भाभी ने खाना देते हुए पूछा, “कयूओं देवर्जी, आशा के साथ कोई हरकत तो नही की?” मैने अचकचा कर पूछा, “नही तो? कुछ कहा रही क्या?” “नही कुछ खास नही, बस कहा रही थी कि आपका देवर अब जवान हो गया है, ज़रा ठीक से ख्याल रखना.” मैं कुछ नही बोला और चुपचाप खाना खा कर अपनी स्टडी टेबल पर आ कर पढ़ने बैठ गया. भाभी किचन का काम निबटा कर कमरे आई और मेरे पास पलंग पर बैठ गयी. उन्होने मेरे हाथ से किताब ले ली और बोली, “जायदा पढ़ाई मत करो, सेहत पर असर परेगा,” और आँख मार दी. मैने उन्हे अपनी गोद पर खीच लिया और उनके होंटो को कस चूम लिया. भाभी ने भी अपना मुँह खोल कर मेरे उपरी होंठ को अपने मुँह मे ले लिया और चूसने लगी. मैं भी भाभी के रसीले नीचले होंठ को बरी देर तक चूस्ता रहा. मैं बोला, “तुम कितने अच्छी भाभी हो, मुझे अपनी चूत दी मुझे चोदना सिखाया. सच बताओ, क्या भैया तुम्हे ऐसे ही चोद्ते हैं?” “चोदते तो पूरे जोश से है, पर वो तुम्हारे जितने ताक़तवर नही है. उनका लंड भी तुम्हारे से छोटा है और तुम्हारे लौरे जैसा मोटा नही है. बहुत जल्दी पानी छोर देते है और तुरंत सो गाते है. मगर मैं प्यासी रहा जाती हूँ और रात भर जलती हुई बुर मे उंगली डाले जागती रहती हूँ. “भाभी ने मुझे कस कर जकर लिया और मेरा मुँह अपने सिने से चिपका लिया. मैने भी अपने हाथ भाभी की पीठ पर कस कर उनकी चूंची को चूम लिया. मैने उनकी चोली ढेली कर दी और अपना एक हाथ सामने लाकर चोली के अंदर कर के एक चूंची को कस कर पकर लिया और मसल्ने लगा. मेरा दूसरा हाथ नीचे का सफ़र कर रहा था और उनके लहंगा के उपर से उनके चूतर को पकर लिया. आज भाभी नीचे कुछ नही पहने हुई थी और मेरा हाथ मुलायम चिकने बदन को मसल रहा था. भाभी भी चुप नही बैठी थी और मेरे नारे को ढीला कर के उपर से ही घुसा कर मेरे लंड को मसल्ने लगी.“लाला तुम्हारा लंड बहुत ही जोरदार है. कितना करक कितना मोटा और लूंबा है. रात जब तुमने पहेली बार मेरी चूत मे घुसाया तो ऐसा लगा कि यह तो मेरी बुर को फार ही डालेगा. सच कितना अच्छा होता अगर मेरी शादी तुम्हारे साथ होती.फिर तो दुनिया की कोई परवाह ही नही होती और रात दिन तुम्हारा लंड अपनी चूत मे लिए हुए मज़े लेती.” कुछ देर तक मेरे लंड और झांटू से खेलने के बाद भाभी ने अपना हाथनिकाल कर मेरे पायजामे का नारा खोल दिया. फिर खरे होकर अपनी चोली और लहंगा भी उतार दिया और पूरी तरह नंगी हो गयी. फिर मुझे कुर्सी से उठ कर पलंग पर बैठने को कहा. मैं खरा हुआ तो पायजामा अपने आप उतर गया. जब मैं पलंग पर बैठ कर भाभी की मस्त छलकती हुए चूंची को देख रहा था तो मारे मस्ती के मेरा करक लंड छत छूने की कोशिश कर रहा था. भाभी मेरी जाँघो के बीच बैठ कर दोनो हाथों से मेरे लॉर को सहलाने लगी. कुछ देर उन्ही सहलाने के बाद अचानक भाभी ने अपना सर नीचे झुकाया और अपने रसीले होंटो से मेरे सुपरे को चूम कर उसको मुँह मे भर लिया. मैं एकदम चौंक गया. मैने सपने मे भी नही सोचा था की ऐसा होगा.यह क्या कर रही हो. मेरा लंड तुमने मुँह मे क्यों ले लिया है.” “चूसने के लिए और किस लिए? तुम आराम से बैठे रहो और बस लंड चूसा का मज़ा लो. एक बार चुस्वा लोगे फिर बार-बार चूसने को कहोगे.” भाभी मेरे लंड को लॉलिपोप की तरह मुँह ले लेकर चूसने लगी.मैं बता नही सकता हूँ कि लंड चुसवाने मे मुझे कितना मज़ा आ रहा था. भाभी के रसीले होन्ट मेरे लंड को रगर रहे थे. फिर भाभी ने अपना होन्ट गोल कर के मेरा पूरा लंड अपने मुँह मे लेलिया और मेरे आंडो को हथेली से सहलाते हुए सिर उपर नीचे करना शुरू कर दिया मानो वो मुँह से ही मेरा लंड को चोद रही हो. धीरे-धीरे मैने भी अपनी कमर हिला कर भाभी के मुँह को चोदना शुरू कर दिया. मैं तो मानो सातवें आसमान पर था. बेताबी तो सुबह से ही हो रही थी. थोरी ही देर मे लगा कि मेरा लंड अब पानी छोर देगा. मैं किसीउ तरह अपने उपर काबू कर के बोला, “बभिईीईईईईईई मेरा पानी छूटने वाला है.”भाभी ने मेरे बातों का कुछ ध्यान नही दिया बाल्की अपने हाथो से मेरे चूतर को जकर कर और तेज़ी से सिर उपर-नीचे करना शुरू कर दिया. मैं भी भाभी के सिर को कस कर पकर कर और तेज़ी से लंड भाभी के मुँह मे पेलने लगा. कुछ ही देर बाद मेरे लंड ने पानी छोर दिया और भाभी ने गतगत करके पूरेको पानी पी गयी. सुबह से काबू मे रखा हुआ मेरा क्रीम इतना तेज़ी से पिचकारी बन के निकला की उनके मुँह से बाहर निकल कर उनके तोड़ी पर फैल गया. कुछ बूंदे तो टपक कर उनकी चूंची पर भी जा गिरी. झरने के बाद मेने अपना लंड निकाल कर भाभी के गाल्लों पर रगर दिया. क्या खुसूरत नज़ारा था. मेरा माल भाभी के मुँह गाल होन्ट और रसीले चूंची पर चमक रहा था.भाभी ने अपनी गुलाबी जीव अपने होटो पर फिरा कर वान्हा लगा माल चटा और फिर अपनी हथेली से अपनी चूंची को मसल्ते हुए पूछा, “क्यों देवर राजा मज़ा आया लंड चुसवाने मे?” “बहुत मज़ा आया भाभी, तुमने तो एक दूसरी जन्नत की सैर करवा दिया मेरी जान. आज तो मैं तुम्हारा सात जन्मो के लिए गुलाम हो गया. कहो क्या हुक्म है.” “हुक्म क्या, बस अब तुम्हारी बारी है.”“क्या मतलब, मैं कुछ समझा नही?” “मतलब एह मेरे भोले संजू राजा की अब तुम मेरी चूत चॅटो.” एह कहा कर भाभी खरी हो गयी और अपनी चूत मेरे चहेरे के पास ले आइी. मेरे होन्ट उनकी चूत के होंटो को छूने लगे. भाभी ने मेरे सिर को पकर कर अपनी कमर आगे की और अपनी चूत मेरे नाक पर रगार्ने लगी. मैने भी भाभी के चूतर को दोनो हाथो से पकर लिया और उनकी गंद सहलाते हुए उनकी रस रही चूत को चूमने लगा. भाभी की चूत की प्यारी-प्यारी खुसबु मेरे दिमाग़ मे छाने लगी. मैं दीवाना की तरह भाभी की चूत और उसके चारो तरफ के इलाक़े को चूमने लगा. बीच-बीच मे मैं अपनी जीव निकाल कर भाभी की रानो को भी चट लेता. भाभी मस्ती से भर कर सिसकारी लेते हुए बोले, “हाई राजा अहह! जीव से चॅटो ना. अब और मत तारपाओ राजा. मेरी बुर को चॅटो. डाल दो अपनी जीव मेरी चूत के अंदर. अंदर डाल कर जीव से चोदो.” अब तक भाभी की नशेली चूत की खुसबू मुझे बुरी तरह से पागल बना दिया था. मैने भाभी की चूत पर से मुँह उठाए बिना उन्हे खींच कर पलंग पर बैठा दिया और खुद ज़मीन पर बैठ गया. भाभी की जाँघो को फैला कर अपने दोनो कंधों पर रख लिया और फिर आगे बढ़ कर भाभी की चूत की होंटो को अपनी जीव से चाटना शुरू कर दिया. भाभी मस्ती से बर्बाराने लगी और अपनी चूतर को और आगे खिसका कर अपनी चूत को मेरे मुँह से बिल्कुल सटा दिया. अब भाभी के चूतर पलंग से बाहर हवा मे झूल रहे थे और उनकी मखमली जांघों को पूरा दबाब मेरे कंधों पर था. मैने अपनी जीव उनकी चूत मे थेल दिया और चूत की अन्द्रुनी दीवालों को सहलाने लगा. भाभी मस्ती से तिलमिला उठी और अपने चूतर उठ उठा कर अपनी चूत मेरी जीव पर दबाने लगी. “हाई राजा, क्या मज़ा आ रहा है. अब अपनी जीव को अंदर-बाहर करो नाआअ! चोदो रजाआअ चोदूऊओ! अपनी जीव से चोदो मुझे मेरे छोटे सैयाँ. हाई राजा तुम ही तो मेरे असली सैयाँ हो. पहले क्यों नही मिले, अब सारी कसर नीकालूंगी. बरा तर्पी पीछले साल भर से. है राजा चोदो मेरी चूत को अपनी जीव से.” मुझे भी पूरा जोश आ गया और भाभी की चूत मे जल्दी जल्दी जीव अंदर-बाहर करते हुए उसे चोदने लगा. भाभी अभी भी ज़ोर-ज़ोर से कमर उठा कर मेरे मुँह को चोद रही थी. मुझे भी इस चुदाई से का मज़ा आने लगा. मैने अपनी जीव करी कर के स्थीर कर ली और सिर आगे पीछे कर के भाभी की चूत को चोदने लगा. भाभी का मज़ा दोगुना हो गया. अपने चूतर को ज़ोर-ज़ोर से उठाती हुए बोली, “और ज़ोर से लाला और ज़ोर से, हाई मेरे प्यारे देवर आज मैं तेरी माशुका हो गयी. जिंदगी भर के लिए चुद्वन्गी तुझसे. आह! उईईइ माआ!” भाभी अब झरने वाली थी. वो ज़ोर ज़ोर से चिल्लाते हुए अपनी चूत मेरे पूरे चहेरे पर रगर रही थी. मैं भी पूरी तेज़ी से जीव लॅप-लपा कर भाभी की चूत पूरी तरह से चट रहा था. अपनी जीव भाभी की चूत मे पूरी तरह अंदर डाल कर मैं हिलने लगा. जब मेरी जीव भाभी की भग्नासा से टकराई तो भाभी की बाँध टूट गया और मेरे चहेरे को अपनी जांघों मे जाकर कर भाभी ने पानी चूत मेरे मुँह से चिपका दिया. भाभी का पानी बहाने लगा और मई भाभी की छूट की दोनो होंतों को अपनी मुँह मे दबा कर जवानी का अमृत पीने लगा. मेरा लंड फिर से लोहे की रोड की तरह सख़्त हो गया था. मैं उठ कर खरा हो गया और अपने लंड को हाथ से सहलाते हुए भाभी को पलंग पर सीधा लिटा कर उनके उपर चढ़ने लगा. भाभी ने मुझे रोकते हुए कहा, “ऐसे नही मेरे सैयाँ, चूत का मज़ा तुम कल ले चुके हो आज मैं तुम्हे दूसरे छेद का मज़ा दूँगी.” मेरी समझ मे कुछ नही आया. भाभी बोले, “राजा आज तुम अपने शाही लौरे को मेरी गंद मे डालो,” और उठ कर बैठ गयी. मेरे हाथ हटा कर दोनो हाथों से मेरा लंड पाकर लिया और सहलाते हुए अपनी दोनो चुचियो के बीच दबा-दबा कर लंड के सुपरे को चूमने लगी. भाभी की चूंची की गर्माहट पाकर मेरा लॉरा और भी जोश मे जाकड़ गया. मैं तो हैरान था. इतनी छोटी सी गांड के छेद मे मेरा लंड कैसे जाएगा. मैं बोला, “भाभी गांड मे कैसे?” भाभी बोले, “हाँ मेरे राजा, गांड मे ही. पर देवर राजा, पीछे से चोदना इतना आसान नही है. तुम्हे पूरा ज़ोर लगाना होगा.” इतना कह कर भाभी ढेर सारा थूक मेरे लंड पर उरेल दिया और पूरे लंड की मालीश करने लगी. “पर भाभी गांड मे लंड घुसने के लिए ज़यादा ज़ोर क्यों लगाना परेगा?” वो इसलिए राजा कि जब औरत गर्म होती है तो उसकी चूत पानी छोड़ती है, जिससे लौरा आने-जाने मे आसानी होती है. पर गांड तो पानी नही छोड़ती इसीलिए घर्षण जायदा होता है और लंड को जायदा ताक़त लगानी पड़ती है. गांड मारने वाले को भी बहुत तकलीफ़ होती है. पर राजा मज़ा बहुत है मरवाने वाले को भी और मारने वाले को भी. इसीलिए गांड मारने के पहले पूरी तायारी करनी पड़ती है.” “क्या तायारी करनी पड़ती है?” भाभी मुस्कुरा कर पलंग से उतरी और अपने चूतर को लहराते हुए ड्रेसिंग टेबल से वस्सेलीन की शीशी उठा लाई. ढक्कन खोल कर ढेर सारा वस्सलिन अपने हाथो मे ले ली और मेरे लौरे की मालीश करने लगी. अब मेरा लौरा रोशनी मे चमकने लगा. फिर मुझे डिब्बी दे दी और बोली, “अब मैं झुकती हूँ और तुम मेरे गांड मे ठीकसे वस्सेलिन्स लगा दो.”भाभी पलंग पर पेट के बल लेट गयी और अपने घुटनो के बल होकर अपने चूतर हवा मे उठा दिए. देखने लायक नज़ारा था. भाभी के गोल मटोल गोरे गोरे चूतर मेरी आँखों के सामने लहरा रहे थी. मुझसे रहा नही गया और झुक कर चूतर को मुँह मे भर कर कस कर काट लिया. भाभी की चीख निकल गयी. फिर मैने ढेर सारा वासल्लीं लेकर भाभी के चूतर की दरार मे लगा दिया. भाभी बोले, “आरी मेरे भोले सैयाँ, उपर से लगाने से नही होगा. उंगली से लेकर अंदर भी लगाओ और अपनी उंगली पेल पेल कर पहले छेद को ढीला करो.” मैने अपनी बीच वाली उंगली पर वसल्लिन लगा कर भाभी के गांड मे घुसाने की कोशिश की. पहली बार जब नही घुसी तो दूसरे हाथ से छेद फैला कर दोबारा कोशिश की तो मेरा उंगली थोरी सी उंगली घुस गयी. मैने थोरा बाहर निकाल कर फिर झटका दे कर डाला तो घपक से पूरी उंगली धँस गयी. भाभी ने एकदम से अपने चूतर सिकोर लिया जिससे की उंगली फिर बाहर निकल गयी. भाभी बोले, “इसी तरह उंगली अंदर-बाहर करते रहो कुछ देर तक. मैं भाभी के कहे मुताबिक उंगली जल्दी से अंदर-बाहर करने लगा. मुझे इसमे बरा मज़ा आ रहा था. भाभी भी कमर हिला-हिला कर मज़ा ले रही थी. कुछ देर उन्ही मज़ा लेने के बाद भाभी बोले, “चलो राजा आ जाओ मोर्चे पर और मारो गांड अपनी भाभी की.” मैं उठ कर घुटने का बल बैठ गया और लंड को पकर कर भाभी की गांड के छेद पर रख दिया. भाभी ने थोरा पीछे होकर लंड को निशाने पर रखा. फिर मैने भाभी की चूतर को दोनो हाथों से पकर कर धक्का लगाया. भाभी की गांड की छेद बहुत टाइट था. मैं बोला, “भाभी नही घुस रहा है.” भाभी ने तब अपने दोनो हाथों अपने चूतर को खींच कर गांड की छेद को चौरा किया और दोबारा ज़ोर लगाने को कहा. इसबार मैने थोरा और ज़ोर लगाया और मेरा सुपरा भाभी की गांड की छेद मे चला गया. भाभी की कसी गंद ने मेरे सुपरे को जकर लिया. मुझे बरा मज़ा आया. मैने दोबारा धक्का दिया और भाभी की गांड को चीरता हुआ मेरा आधा लंड भाभी की गांड मे दाखिल हो गया. भाभी ज़ोर से चीख उठी, “उ मा, दुख़्ता है मेरे राजा.” पर मैने भाभी की चीख पर कोई ध्यान नही दिया और लंड थोर पीछे खींच कर जोरदार शॉट लगाया. मेरा १०” का लोडा भाभी की गांड को चीरता हुआ पूरा का पूरा अंदर दाखिल हो गया. भाभी फिर चीख उठी. वो बार बार अपनी कमर को हिला हिला कर मेरे लंड को बाहर निकालने की कोशिश कर रही थी. मैने आगे को झुक कर भाभी की चूंची को पकर लिया और उन्हे सहलाने लगा. लंड अभी भी पूरा का पूरा भाभी की गांड के अंदर था. कुछ देर बाद भाभी की गांड मे लंड डाले डाले उनकी चूंची को सहलाता रहा.अभी कुछ नॉर्मल हुई तो अपने चूतर हिला कर बोली, “चलो राजा अब ठीक है.” भाभी का सिग्नल पाकर मैने दोबारा सीधे होकर भाभी के चूतर पाकर कर धीरे-धीरे कमर हिला कर लंड अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया. भाभी की गांड बहुत ही टाइट थी. इसे चोदने मे बरा मज़ा आ रहा था. अब भाभी भी अपना दर्द भूल कर सिसकारी भरते हुए मज़ा लेने लगी. उन्होने अपनी एक उंगली अपनी चूत मे डाल कर कमर हिलाना शुरू कर दिया. भाभी की मस्ती देख कर मैं भी जोश मे आ गया और धीरे-धीरे अपनी रफ़्तार बढ़ा दी. मेरा लंड अब पूरी तेज़ी से भाभी की गंद मे अंदर-बाहर हो रहा था. भाभी भी पूरी तेज़ी से कमर आगे पीछे करके मेरे लंड का मज़ा ले रही थी. लंड आईएसए अंदर-बाहर हो रहा था मानो एंजिन का पिस्टन. पूरे कमरे मे चुदाई का ठप ठप की आवाज़ गूँज रही थी. जब भाभी के थिरकते हुए चूतर से मेरी जंघे टकराती थी तो लगता कोई तबलची तबले पर ठप दे रहा हो. भाभी पूरे जोश मे पूरी तेज़ी से चूत मे उंगली अंदर-बाहर करती हुई सिसकारी भर रही थी. हम दोनो ही पसीने पसीने हो गयी थे पर कोई भी रुकने का नाम नही ले रहा था. भाभी मुझे बार बार ललकार रही थी, “चोद लो मेरे राजा चोद लो अपनी भाभी की गांड. आज फार डालो इससे. शाबाश मेरे शेर, और ज़ोर से राज्ज्जा और ज़ोर से. फार डाली तुमने मेरी तो.” मैं भी हुमच हुमच कर शॉट लगा रहा था. पूरा का पूरा लंड बाहर कींच कर झटके से अंदर डालता तो भाभी की चीख निकल जाती. मेरा लावा अब निकलने वाला था. उधेर भाभी भी अपनी मंज़िल के पास थी. तभी मैने एक झटके से लंड निकाला और भाभी की चूत मे जर तक धंसा दिया. भाभी इसके लिए तैयार नही थी, ईस्सईलिए उनकी उंगली भी चूत मे ही रहा गयी थी जिससे उनकी चूत टाइट लग रहा था. मैं भाभी के बदन को पूरी तरह अपनी बाहों मे समेट कर दनादन शॉट लगाने लगा. भाभी भी सम्हल कर ज़ोर ज़ोर से आह उहह करती हुई चूतर आगे-पीछे करके अपनी चूत मे मेरा लंड लेने लगी. हम दोनो की सांस फूल रही थी. आख़िर मेरा ज्वालामुखी फुट परा और मैं भाभी की पीठ से चिपक कर भाभी की चूत मे झार गया. भाभी का भी चूत झरने को था और भाभी भी चीख़्ती हुई झार गयी. हम दोनो उसी तरह से चिपके हुए पलंग पर लेट गये और थकान की वजह से सो गये. जब मेरी आँख खुली तो अंधेरा हो गया था. हम दोनो नंग धारंग एक दूसरे से चिपके सो रहे थे. मैने धीरे से भाभी का हाथ अपने उपर से हटाया और टेबल लॅंप ऑन कर दिया ताकि भाभी की नींद मे खलल ना परे. फिर वापस पलंग पर भाभी के पास आकर बैठ गया. भाभी अब हाथ फैला कर चित परी सो रही थी. मैं उनके खूबसूरत बदन को निहारने लगा. भाभी की मस्त चूंची अभी भी तनी हुई थी. उनमे ज़रा सा भी ढलान नही था, चिकना चिकना बदन. पतली कमर. फैले हुए चूतर. केले के तने जैसा चिकनी जंघे और अपना पूरा जलवा दीखाती हुए भाभी की रसीली चूत. मुझसे रहा नही गया. मैने झुक कर भाभी की प्यारी चूत का चुम्मा ले लिया. फिर उठ कर भाभी की गदराई जाँघो के बीच आ गया. हौले से भाभी की जांघों को और फैला और जीव से धीरे धीरे से भाभी की चूत सहलाने लगा. भाभी ने नींद मे ही अपने आप अपनी जंघे और फैला दिया. अब उनकी गुलाबी चूत का मुँह पूरा का पूरा खुल गया. मैने एक उंगली उनकी चूत मे घुसा कर अंदर-बाहर करते हुए जीव से चूत के दाने को सहलाना शुरू कर दिया. भाभी सोते सोते ही कमर हिलाने लगी.भाभी की मस्ती देख कर मुझ से रहा नही गया. मेरा लंड अबतक तन कर फंफनाने लगा था. मैं घुटने के बल झुक गया और अपना सुपरा भाभी की चूत के दरवाजे पर रख कर हल्का सा धक्का दिया. भाभी की चूत तो अपना रस छोर ही रही थी. चॅप से मेरा सुपरा अंदर दाखिल हो गया. फिर मैं भाभी के उपर सीद्धे लेट गया और उनकी एक चूंची को मुँह मे ले कर चूस्ते हुए कस कर कमर का धक्का लगाया. मेरा पूरा का पूरा लंड दनदनाता हुआ भाभी की चूत को चीरता हुआ अंदर चला गया. भाभी चौंक कर उठ गयी और बोले, “कौन है?” मैने भाभी के होंटो को चूस्ते हुए कहा, “तुम्हारा दीवाना देवर. तुम किसी और का इन्तिजर कर रही थी क्या?” भाभी ने मुस्कुराते हुए मुझे बाहों मे जकर कर लिया और बोले, “एरी वाह मेरे चुड़दकर राजा, एक ही दिन मे पूरे एक्सपर्ट हो गये. मुझे सोते सोते ही चोदना शुरू कर दिया. कल तक तो एह भी नही मालूम था कि अपने लंड का क्या करना है.” मैने भाभी के गाल्लो को काटते हुए जवाब दिया, “एह तो तुम्हारी मेहेरबानी है, वरना जवानी उन्ही निकल जाती. क्या करूँ भाभी तुम्हारी मस्त नंगी जवानी को देख कर रहा नही गया. तुम्हे बुरा तो नही लगा?” भाभी ने मुझे और कस कर जकर लिया और नीचे से चूतर उछलते हुए जवाब दिया, “नही मेरे राजा, बुरा कहे मानूगी? मेरी जवानी तुम्हाए नाम हो गयी है. जब चाहो और जहाँ चाहो डिब्की लगा लो.” भाभी का जवाब पाकर मैं बहुत खुश हुआ और कमर हिला हिला कर चोदना शुरू कर दिया. भाभी भी पूरे जोश के साथ मेरे हर शॉट का जवाब कमर उठा उठा कर दे रही थी. पूरे कमरे मे एक बार फिर से फ़चा-फ़च का मधुर संगीत गूंजने लगी. भाभी ज़ोर ज़ोर से चूतर उछाल रही थी. मैं भी पागलो की तरह चूंची का रस चूस्ता हुआ कमर हिला हिला कर भाभी को चोदे जा रहा था. तभी भाभी ने अपनी टाँगो को उपर कर के मेरी कमर पर कस लिया और ज़ोर ज़ोर से चूतर उछाल उछाल कर कर चुद्वने लगी. मैने भी भाभी के रसीले होन्ट को चूमते हुए अपनी चोदने का स्पीड बढ़ा दिया. भाभी अब मुझको कस कर जाकारे हुए थी. उनकी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया जिससे फ़च-फ़च की आवाज़ और तेज हो गयी. भाभी हानफते हुए मेरी गर्दन मे बाहें डाल कर अपने से चिपकाते हुए बोली, “मैं तो गइई. तुम्हारी रानी गयी. उईईइ माआ क्या जालिम लौरा है तुम्हारा. चोद डाला तुमने मुझे. मैं गइईईई” और भाभी मुझसे चिपक कर शांत हो गयी. मैं भी और रुक नही पाया और भाभी को चूमते हुए उनकी चूत म
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